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लुप्त हो रहे संस्कारों पर संघ प्रमुख मोहन भागवत की नसीहत, परिवार संग बैठें तो मोबाइल छोड़ें

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने संघ प्रमुख को मंदिर निर्माण के बारे में जानकारी दी। किस क्षेत्र में मंदिर का गर्भगृह निर्मित होगा उसके बारे में बताया गया। अखिल भारतीय शारीरिक अभ्यास वर्ग में दो दिन बिताने के बाद वापस लौटे संघ प्रमुख।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 05:08 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 07:29 AM (IST)
लुप्त हो रहे संस्कारों पर संघ प्रमुख मोहन भागवत की नसीहत, परिवार संग बैठें तो मोबाइल छोड़ें
रामलला का दर्शन कर मंदिर निर्माण कार्य को देखा, कार्य की प्रगति पर जताया संतोष।

अयोध्या, जेएनएन।

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-रामलला का दर्शन कर मंदिर निर्माण कार्य को देखा, कार्य की प्रगति से संतुष्ट

-शारीरिक अभ्यास वर्ग में दो दिन बिताने के बाद वापस लौटे संघ प्रमुख

जासं, अयेाध्या : संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को यहां परिवारों से लुप्त हो रहे संस्कारों को पुनर्जीवित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्य कुटुंब प्रबोधन से हो सकता है। इसके लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा समय परिवार के साथ बिताना चाहिए।

अखिल भारतीय शारीरिक वर्ग में शारीरिक प्रमुखों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब परिवार के सदस्यों के साथ बैठे हों तो मोबाइल का प्रयोग न करें। एक-दूसरे से खूब बात करें। आपसी संवाद से रिश्तों की डोर मजबूत होगी। संवाद हर समस्या का समाधान है, परिवार तथा समाज में संवादहीनता नहीं रहनी चाहिए।

संघ प्रमुख ने कहा कि खेलों से युवाओं में संस्कार रोपित करना होगा। जैसे 'मैं शिवाजीÓ खेल में प्रतिभागी युवाओं को उनके जैसा शौर्य विकसित करने की सीख दी जानी चाहिए। खेलों में प्रतिभाग करने से नेतृत्व क्षमता का विकास होता है। युवाओं को खेल में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करना होगा। उन्होंने संघ के अधिकारियों से भी कुटुंब प्रबोधन अभियान पर चर्चा की।

बुधवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत दोपहर बाद चार बजे रामजन्मभूमि पहुंचे। पहले रामलला का दर्शन पूजन किया, आरती उतारी और प्रसाद लिया। बाद में मंदिर निर्माण की प्रगति देखने के लिए निर्माण स्थल पर गए। खोदाई के दौरान मिली वस्तुओं को भी देखा। मंदिर के माडल का दर्शन किया और कार्यदायी संस्था के कार्यालय जाकर बातचीत की। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने संघ प्रमुख को मंदिर निर्माण के बारे में समग्र जानकारी दी। संघ प्रमुख तकरीबन आधा घंटे परिसर में रहे।

इससे पूर्व सुबह पौने आठ बजे भागवत अखिल भारतीय शारीरिक अभ्यास वर्ग में हिस्सा लेने के लिए कारसेवकपुरम पहुंचे। उन्होंने वर्ग की व्यवस्था में लगे कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी की। स्वयंसेवकों की पीठ थपथपाकर वर्ग की समाप्ति के बाद समीक्षा करने की सीख दी। सुझाव दिया कि कम खर्च में और अच्छा आयोजन कैसे हो सकता है, इस बारे सोचना चाहिए। देर शाम संघ प्रमुख अयोध्या से लखनऊ पहुंचे। उन्होंने राजेंद्रनगर स्थित भारती-भवन में लोगों से मुलाकात की।

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क्या है कुटुंब प्रबोधन

संघ के 'कुटुंब प्रबोधनÓ अभियान के तहत हर परिवार के सदस्य को सप्ताह में एक बार परिवार से मिलना चाहिए और साथ बैठकर भोजन करना चाहिए। संघ ने अपने इस अभियान की शुरुआत देश के सभी प्रांतों में की है। संघ के कार्यकर्ता भी जब यात्रा करते हैं तो वे किसी होटल की जगह अपने सहकर्मियों के घरों में रुकते हैं। कुटुंब प्रबोधन परिवारिक रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

बुधवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत दोपहर बाद चार बजे रामजन्मभूमि पहुंचे। पहले रामलला का दर्शन पूजन किया, आरती उतारी। प्रसाद लिया। बाद में मंदिर निर्माण की प्रगति देखने के लिए निर्माण स्थल पर गए। खुदाई के दौरान मिली वस्तुओं को भी देखा। मंदिर के मॉडल का दर्शन किया। कार्यदायी संस्था के कार्यालय में बैठे, चाय भी पी। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने संघ प्रमुख को मंदिर निर्माण के बारे में समग्र जानकारी दी। वे मंदिर निर्माण की प्रगति देख खुश हुए और संतोष जताया। जिलाधिकारी अनुज झा ने मंदिर परिसर व उसके बाहर के विकास के लेआउट व मार्ग चौड़ीकरण के बारे जानकारी दी। संघ प्रमुख तकरीबन आधा घंटे परिसर में रहे।

इससे पहले मंदिर परिसर पहुंचने पर मोहन भागवत की अगुवानी श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, ट्रस्टी डॉ.अनिल मिश्रा, राजा अयोध्या बिमलेंद्र मोहन मिश्रा, जिलाधिकारी अनुज कुमार झा, एसएसपी शैलेष पांडेय, हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेशदास ने की। चंपतराय ने सभी का परिचय कराया। इससे पूर्व सुबह पौने आठ बजे भागवत अखिल भारतीय शारीरिक अभ्यास वर्ग में हिस्सा लेने के लिए कारसेवकपुरमप पहुंचे। संघ प्रमुख ने कार्यकर्ताओं के साथ जलपान व दोपहर में भोजन किया। इसके अलावा वर्ग की व्यवस्था में लगे कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। सफल कार्यक्रम के लिए स्वयंसेवकों की पीठ थपथपाई। वर्ग की समाप्ति के बाद समीक्षा करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि कम संसाधनों में अ'छी तैयारी हुई, लेकिन कम खर्च में और अ'छा आयोजन कैसे हो सकता है, इस बारे सोचना चाहिए।


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