जीएसटी की 609 करोड़ रुपये की चोरी, यूपी-झारखंड में सिंडीकेट को तलाश
जीएसटी लागू होने के बाद सक्रिय हुए शातिर कारोबारियों के गोरखधंधे का पर्दाफाश करते हुए वाणिज्य कर विभाग ने 609 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी पकड़ी है।
जेएनएन, लखनऊ। जीएसटी लागू होने के बाद सक्रिय हुए शातिर कारोबारियों के गोरखधंधे का पर्दाफाश करते हुए वाणिज्य कर विभाग ने 609 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी पकड़ी है। उत्तर प्रदेश सहित देश के 17 राज्यों में जीएसटी चोरी का सिंडीकेट सक्रिय होने के संकेत से विभाग से लेकर शासन तक सबके कान खड़े हो गए हैं। वाणिज्य कर अधिकारियों ने जीएसटी चोरी में इस्तेमाल किए गए 1591 वाहनों के मालिकों के खिलाफ लखनऊ के विभूति खंड थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी है।
खास बातें
- 142 बोगस फर्में, जिसमें 56 उत्तर प्रदेश की
- 97 फर्मों से फर्जी ई-वे बिल में 39 फर्में यूपी की
- 84 फर्मों में किया 25 आधार नंबरों का प्रयोग
- एक आधार नंबर से 10 राज्यों में बनाईं 27 फर्में
- 847 करोड़ कारोबार में नहीं अदा किया जीएसटी
- यूपी में जीएसटी चोरी से आया 373 करोड़ का माल
- खरीदने और बेचने वाले दोनों का कोई पता नहीं
अपनी तरह के इस पहले मामले में देश के 17 राज्यों में 402 करोड़ रुपये का माल खरीदा गया और 445 करोड़ रुपये का माल बेचा गया लेकिन, न खरीदने वाले का पता है न बेचने वाले का। जीएसटी लागू होने के बाद लचर व्यवस्था का फायदा उठाते हुए पंजीकृत कराई गईं 142 बोगस फर्मों में से 97 फर्मों के जरिये हुए इस कारोबार में धोखाधड़ी कर अन्य लोगों के 112 पैन कार्ड इस्तेमाल किए गए, जबकि 37 मोबाइल नंबरों का पंजीकरण में इस्तेमाल करने के बाद इन्हें बंद कर दिया गया। पंजीकरण के लिए फर्जी आधार नंबर लगाए गए और फर्जी दस्तावेजों के साथ प्रत्येक फर्म के लिए बैैंक खाता भी खोला गया। फर्जी दस्तावेजों के जरिए ही कुल 3023 ई-वे बिल भी जेनरेट कराए गए। 847 करोड़ रुपये के माल के परिवहन के लिए 1591 वाहनों का इस्तेमाल किया गया।
वाणिज्य कर आयुक्त कामिनी चौहान रतन के मुताबिक तीन महीने से पड़ताल कर रही प्रदेश की जीएसटी एसटीएफ टीम को इस मामले का पहला सुराग तब मिला था, जब एक मोबाइल नंबर से नौ राज्यों में 50 फर्में पंजीकृत पाई गई थीं। इसमें 24 फर्में प्रदेश की थीं। इन फर्मों की खरीद-बिक्री की शृंखला जांची गई तो 17 राज्यों में सक्रिय 142 फर्जी फर्में सामने आ गईं। इसमें 56 फर्मों का फर्जी पता प्रदेश के 21 जिलों का है, जबकि 25 फर्में झारखंड की थीं। जीएसटी एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक 142 फर्मों को संचालित कर रहे सिंडीकेट के उत्तर प्रदेश या झारखंड में मौजूद होने की आशंका है। जीएसटी एसटीएफ के अधिकारी सीबी सिंह के मुताबिक जांच में सामने आया कि 142 में से 97 फर्मों का इस्तेमाल ई-वे बिल डाउनलोड करने के लिए किया गया, जिसमें 39 फर्म प्रदेश की थीं।
142 फर्मों में से 84 फर्मों के साथ कुल 25 आधार नंबरों का प्रयोग किया गया। इन 25 आधार नंबरों में से 17 का प्रयोग तो एक-एक बार हुआ, जबकि आठ नंबरों का प्रयोग दो या दो से ज्यादा बार किया गया। इन आठ आधार नंबरों के जरिये पंजीकृत 67 फर्में पूरी तरह बोगस पाई गई हैैं। इन आठ में से एक आधार नंबर का इस्तेमाल 10 प्रदेशों की 27 फर्मों के पंजीकरण में किया गया। इसमें सबसे ज्यादा 10 फर्में झारखंड की थीं, जबकि प्रदेश की भी पांच फर्में इसमें शामिल थीं। प्रदेश में पंजीकृत 56 बोगस फर्मों को कच्चा लोहा भेजने के लिए कुल 3023 ई-वे बिल जेनरेट किए गए, जिसमें से 2969 ई-वे बिल के लिए 1591 ट्रकों का इस्तेमाल किया गया। इसमें से 32 ई-वे बिल वाणिज्य कर विभाग ने माल के परिवहन के दौरान जांचने के बाद ट्रकों को आगे बढ़ा दिया था।