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यूपी में पुलिस व अपराधियों के गठजोड़ ने बढ़ाई मुश्किलें, छोटों से लेकर बड़ों तक ने खूब लगाए दाग

यूपी पुलिस के पन्ने पलटें तो यहां दागियों की कमी नहीं। राजनीतिक रसूख से लेकर निजी फायदे तक के लिए पुलिस अधिकारी व कर्मी अपने दामन को दागदार करते रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 03:56 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 03:56 PM (IST)
यूपी में पुलिस व अपराधियों के गठजोड़ ने बढ़ाई मुश्किलें, छोटों से लेकर बड़ों तक ने खूब लगाए दाग
यूपी में पुलिस व अपराधियों के गठजोड़ ने बढ़ाई मुश्किलें, छोटों से लेकर बड़ों तक ने खूब लगाए दाग

लखनऊ [आलोक मिश्र]। कानपुर में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की वारदात के बाद पुलिस व अपराधी विकास दुबे के बीच जो गठजोड़ सामने आया था, उसमें अभी कुछ और नाम सामने आने बाकी हैं। प्रकरण में दो उपनिरीक्षक जेल जा चुके हैं और विशेष जांच दल (एसआईटी) की निगाह कई पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की भूमिका पर है। ऐसे में सोमवार को जालसाजों से संलिप्तता में डीआईजी अरविंद सेन व डीआईजी दिनेश चंद्र दुबे के निलंबन के बाद महकमे की छवि पर और बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ में छोटों से लेकर बड़ों तक की भूमिका उजागर हो रही है। 

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यूपी पुलिस के पन्ने पलटें तो यहां दागियों की कमी नहीं। राजनीतिक रसूख से लेकर निजी फायदे तक के लिए पुलिस अधिकारी व कर्मी अपने दामन को दागदार करते रहे हैं। एक के बाद एक कड़ी कार्रवाई भी उनके लिए सबक नहीं बन सकी। अपने तबादले के बावजूद दूसरों का स्थानांतरण करने के खेल में बीते दिनों एक आईपीएस अधिकारी के हाथ झुलस चुके हैं। करीब डेढ़ साल पूर्व बाराबंकी में एक ट्रेडिंग कंपनी संचालकों से 65 लाख रुपये वसूली के मामले ने भी खूब तूल पकड़ा था। तब मामला डीजीपी मुख्यालय तक पहुंचा था और आरोपित उपनिरीक्षक अनूप यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज गया था। आरोपों से तत्कालीन एसपी बाराबंकी भी घिरे थे और उन्हें निलंबित किया गया था। हालांकि बाद में वह बहाल हो गए थे।

करीब एक साल पहले गौतमबुद्धनगर के तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण के साथी पांच आइपीएस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों का मामला भी महकमे की खूब किरकिरी करा चुका है। उन्नाव दुष्कर्म कांड में पुलिस जिस तरह आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मददगार बनी थी, उसकी परतें भी सीबीआइ जांच में खुल चुकी हैं।

ये मामले भी बने थे सुर्खियां : सोशल मीडिया पर बीते दिनों झांसी के थाना मऊरानीपुर के तत्कालीन इंस्पेक्टर सुनीत कुमार सिंह का एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह वांछित अपराधी लेखराज यादव से बातचीत कर रहे थे। इंस्पेक्टर की वांछित से एनकाउंटर को लेकर डील चल रही थी। पुलिस-अपराधी गठजोड़ के इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था। बाद में इंस्पेक्टर सुनीत को बर्खास्त कर दिया गया था। सोशल मीडिया पर नोएडा पुलिस की वसूली का रेटचार्ट तथा वसूली को ही लेकर बाराबंकी के एक सिपाही का वीडियो भी वायरल हुआ था।

ठगी के आरोपितों को रिमांड पर लेगी पुलिस : पशुपालन विभाग के बाद खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी के मामले में पुलिस जेल में बंद आरोपितों को रिमांड पर लेगी। पुलिस की ओर से न्यायालय में इस बाबत प्रार्थना पत्र दिया गया है। पुलिस का कहना है कि मुख्य आरोपित आशीष राय दो दिन बाद न्यायालय में पेश होगा, जिसे पुलिस रिमांड पर लिया जाएगा। इसके बाद उससे गिरोह के अन्य लोगों के बारे में पूछताछ की जाएगी। 


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