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बैंक ऑफ इंडिया की सैदापुर शाखा में चोरों ने लगाई सेंध, लोन की बिखरी फाइलों से गहराया रहस्य

माल थाना क्षेत्र के सैदपुर गांव में बैंक ऑफ इंडिया की दीवार में सेंध। बैंक मैनेजर ने बताया कि बैंक का कैश सुरक्षित है, केवल चोरी का प्रयास हुआ।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 10:52 AM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 08:14 PM (IST)
बैंक ऑफ इंडिया की सैदापुर शाखा में चोरों ने लगाई सेंध, लोन की बिखरी फाइलों से गहराया रहस्य
बैंक ऑफ इंडिया की सैदापुर शाखा में चोरों ने लगाई सेंध, लोन की बिखरी फाइलों से गहराया रहस्य

लखनऊ, जेएनएन। माल थाना क्षेत्र में बेखौफ चोर बैंक ऑफ इंडिया सैदापुर शाखा में सेंध लगाकर घुस गए। बैंक का सिक्योरिटी अलार्म खराब होने से चोरों के आने की आहट तक नहीं मिल सकी। चोर रातभर स्ट्रांग रूम का ताला तोड़कर कैश उड़ाने का प्रयास करते रहे, लेकिन सफलता नहीं मिली। शाखा प्रबंधक शैलेंद्र वर्मा का कहना है कि करेंसी चेस्ट को तोडऩे का प्रयास किया गया है, लेकिन तोड़ नहीं पाए हैं। कैश सुरक्षित है। दस्तावेजों की जांच की जा रही है। चोरों ने पीछे की दीवार में सेंध लगाकर चोरी का प्रयास किया। वहीं लोन से संबंधित फाइलों का बंडल बाहर पड़ा मिला।

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माल पुलिस ने बैंक के आसपास का क्षेत्र  सील कर बैंक व पुलिस के उच्चाधिकारियों को सूचित किया। मौके पर पहुंचे सीओ मलिहाबाद ने डॉग स्क्वायड व फिंगर प्रिंट दस्ते के एक्सपर्ट को बुलाकर जांच पड़ताल शुरू की। डॉग स्क्वायड 300 मीटर दूर बाग में शीतला सिंह के ट्रांसपोर्ट पर जाकर रुक गया। वहीं पर कार के पहियों के निशान चंद्रिका देवी रोड तक मिले हैं। इससे आशंका जताई जा रही है कि चोरों ने कार को तीन सौ मीटर दूर बाग में खड़ा किया और बैंक तक पैदल ही गए। एसओ माल अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि अज्ञात चोरों के खिलाफ एफआइआर दर्जकर छानबीन की जा रही है। सुबह क्यूआरटी से मिली सूचना पर मौके पर पहुचे तो बैंक की दीवार में एक जगह सेंध कटी हुई थी, दूसरी जगह चोरों ने सेंध काटने का प्रयास किया था।मुख्य महाप्रबंधक सुरक्षा एवं प्रसाशन कैप्टन एससी सिंह ने बताया कि कैश चेस्ट पूरी तरह सुरक्षित है। फिंगर एक्सपर्ट व दस्तावेजों की जांच में अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।

चोरी के पीछे कोई और राज तो नहीं
बैंक ऑफ इंडिया सैदापुर शाखा में छह माह पूर्व दूसरे लोगों द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड बनवा कर लोन लिया गया था। मामले की एफआइआर भी दर्ज हुई थी, लेकिन रसूखदारों के दबाव के चलते मामले को दबा दिया गया था। क्षेत्र के कई गांवों के किसानों की खसरा खतौनी लेकर साठ हजार तक के केसीसी बनवा कर पैसा निकाल लिया गया था। साठ हजार तक केसीसी में कोई स्थलीय सत्यापन नहीं किया जाता है। जब कर्ज माफी के तहत किसानों के पास चिट्टी आने लगी तब किसानों ने जाकर बैंक में पता करना शुरू किया। मामले में फंस रहे कुछ रसूखदारो के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी, लेकिन फाइलें बैंक में रिकॉर्ड के रूप में रखीं थीं, जिसपर फर्जी लोन लेने वाले गैंग की निगाहें थीं। बाहर पड़ी फाइलों के संबंध में शाखा प्रबंधक से लेकर पूरा स्टाफ कुछ बोलने से साफतौर से इंकार कर रहा है।


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