पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे सिर्फ एक सड़क नहीं, दशकों से पिछड़े इस इलाके की नई उम्मीद
Purvanchal Expressway Link Road मार्च में पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे पर हल्के वाहनों का आवागमन शुरू हो रहा है इसलिए मॉनिटरिंग ग्रुप ने पब्लिक यूटिलिटी और पेट्रोल पंप आदि की व्यवस्था पर अभी से ध्यान देना शुरू कर दिया है।
लखनऊ, जेएनएन। Purvanchal Expressway Link Road स्थापित सत्य है कि विकास की गाड़ी सड़कों पर ही दौड़ती है और यदि उत्तर प्रदेश में पूर्वाचल की छवि पिछड़े क्षेत्र की बनी है तो इसका मुख्य कारण यहां अब तक सड़कों पर ध्यान न दिया जाना है। यही वजह है कि योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद पूर्वाचल के विकास का तानाबाना सड़कों के इर्द-गिर्द बुना और अब एक महत्वपूर्ण योजना पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे अपनी मंजिल के बेहद करीब है।
लखनऊ से बिहार सीमा तक जाने वाले इस एक्सप्रेस-वे पर मार्च से हल्के वाहनों का चलना शुरू होने के साथ ही पूर्वाचल के लोगों का बड़ा सपना पूरा हो जाएगा। यह एक्सप्रेस-वे न सिर्फ उद्योग धंधों का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि क्षेत्रीय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी उपलब्ध कराएगा। अक्टूबर तक इस पर सभी किस्म के वाहनों को चलने की अनुमति मिलने की संभावना है। यानी सरकार की ओर से प्रदेश के लोगों को इस साल का यह बड़ा तोहफा होगा। बड़ी उपलब्धि यह भी है कि योजना अपने तय समय में पूरी होने जा रही है।
आने वाले दिनों में सड़कें ही उत्तर प्रदेश की जीवनरेखा होंगी। पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, गोरखपुर-आजमगढ़ लिंक एक्सप्रेस-वे, गंगा एक्सप्रेस-वेऔर डिफेंस कॉरिडोर के साकार होते ही पूरे प्रदेश का परिदृश्य बदला नजर आएगा। गंगा एक्सप्रेस-वे और डिफेंस कॉरिडोर को छोड़ दें तो अन्य सभी परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और इनके भी 2022 तक पूरा होने के आसार हैं।
सरकार इन परियोजनाओं को लेकर कितनी गंभीर है, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि तय अवधि में इन्हें पूरा करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप का गठन किया गया है जो लगातार पूरे काम पर निगरानी रखे हुए है। यह जरूरी भी है, क्योंकि पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे मात्र एक सड़क ही नहीं है, यह दशकों से पिछड़े इस पूरे क्षेत्र में नई उम्मीदों की भी राह है।