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Vat savitri vrat in Lucknow: बारिश से व्रती सुहागिनों को मिली राहत, घरों के आसपास की बरगद की पूजा

लखनऊ में गुरुवार को महिलाओं ने बरगद की पूजा की। सुबह बारिश होने से लोगों को गर्मी से राहत मिली। सुहागिनों ने बरगद की परिक्रमा कर पति के दीर्घायु होने की कामना की। शारीरिक दूरी बनाकर महिलाओं ने विधि विधान से पूजा अर्चना की।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 02:01 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 08:15 PM (IST)
Vat savitri vrat in Lucknow: बारिश से व्रती सुहागिनों को मिली राहत, घरों के आसपास की बरगद की पूजा
लखनऊ में अपने आवास पर पत्‍नी के साथ वट की पूजा करते ड‍िप्‍टी सीएम डाॅ द‍िनेश शर्मा।

लखनऊ, जेएनएन। विकास के इस डिजिटल युग में भी हमारी पौराणिक मान्यताएं आपसी प्रेम और त्याग की दास्तां बयां करते हैं। पति को देवता का दर्जा देने वाली सुहागिनों ने गुरुवार को एक बार फिर देवता स्वरूप वट वृक्ष से सुहाग की लंबी उम्र की कामना की। सुबह बारिश होने से मौसम सुहाना हो गया। व्रतियों को गर्मी से राहत मिली और बरगद की परिक्रमा कर पति के दीर्घायु की कामना की। लॉकडाउन में छूट के बावजूद सुहागिनाें ने अपनी सुविधा के अनुरूप घरों में और आसपास लगे वट वृक्ष के पास पूजन किया। शारीरिक दूरी बनाकर महिलाओं ने विधि विधान से पूजा अर्चना की। ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या को होने वाली इस पूजा के पीछे सती सावित्री और सत्यवान की कथा जुड़ी है।

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कहते हैं कि वट वृक्ष की लटकती तनाओं में सती सावित्री ने पति को छिपा कर यमराज के पीछे-पीछे चल पड़ी थीं। सावित्री ने यमराज से 100 पुत्रों का वरदान मांगा और फिर यमराज को सत्यवान के प्राण वापस करने पड़े। चने के रूप में यमाराज ने प्राण वापस दिए थे। इसी परंपरा के चलते पूजन में चना जरूर चढ़ाया जाता है। आशियाना में पूजा मेहरोत्रा ने पास में रहने वाली निधी के साथ गमले में पूजन की लाॅकडाउन का पालन किया तो डॉ.विनीता शुक्ला ने भी घर में ही विधि विधान से पूजा अर्चना की। सदर में मधु अगग्रवाल, एकता अग्रवाल और पुष्पा अग्रवाल ने घर में ही पूजन किया। सोलह श्रृंगार किए कुछ महिलाओं ने घर के पास वट वृक्ष की पूजा की। शनिदेव मंदिर एलडीए कॉलोनी, इंदिरानगर ,मानस नगर के तुलसी मानस मंदिर और बुद्धेश्वर मंदिर परिसर के अलावा बिरहाना पार्क के पास लगे वृक्ष की पूजा कर परिक्रमा की।

शनि जयंती पर हुआ पूजन

शनि देव सूर्यदेव और माता छाया के पुत्र हैं। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि शनि महाराज का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या के दिन हुआ था। शनि जयंती के दिन शनि देव की विशेष पूजा करने से ग्रह शांत होते हैं। इसी मंशा के चलते श्रद्धालुओ ने  विषम संख्या में काली सरसों के तेल के दीपक शनि प्रतिमा के सामने और पीपल के पेड़ के नीचे जलाकर उनको नमन किया। आचार्य विजय वर्मा ने बतायाकि सूर्य पुत्र भगवान शनि न्याय के देवता है इस दिन शनि पूजन व्रत और शनि की वस्तुओं का दान किया गया।  गरीबों और मजदूरों की सेवा और सहायता के साथ श्रद्धालुओं ने काला वस्त्र , काला छाता, काले तिल , काली उड़द दान की।

पर्यावरण संरक्षण के साथ औषधि का खजाना है बरगद

धार्मिक मान्यताओं के साथ पर्यावरणीय दृष्टि से वट वृक्ष (बरगद) का अलग महत्व है। आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि बरगद की जड़ें- ब्रह्मा, छाल-विष्णु और शाखाएं शिव हैं। लक्ष्मी जी भी इस वृक्ष पर आती हैं। गुरुवार को सुहागिनों ने वट वृक्ष की पूजा की। पूजा सिर्फ एक दिन नहीं हम हर दिन वट वृक्ष के करीब रहें। बाबा साहेब भीमराव आंबडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय की पर्यावरण विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा.नरेंद्र कुमार ने बताया कि पत्तों के साथ ही बरगद की जड़ें भी काफी लाभ प्रद हैं। भारतीय विज्ञान के शोध में पीपल, बरगद, पाकड़ के रोपण को आपदा रोकने का कारण माना गया है। भूकंपरोधी पेड़ बताया गया है।

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रो.वेंकटेश दत्ता ने बताया कि वट वृक्ष में विशिष्ट जल धारण क्षमता, वाष्पोत्सर्जन, खनिज लवणों के अवशोषण के गुणों द्वारा जल को गुरुत्वीय क्षेत्र से जाने से रोकते हैं। वाष्पोत्सर्जन के द्वारा जल के अनावश्यक दबाव को कम करता है। शोध में पाया गया हैँ कि यह सर्वाधिक ऑक्सीजन देने वाला पेड़ है। आयुर्वेद के चिकित्सक डा. शिव शंकर त्रिपाठी के मुताबिक बरगद के रस और फल चोट, घावों और अल्सर के लिए बाहरी रूप से लागू दवाओं के रूप में उपयोगी होते हैं। इससे जोड़ें के दर्द के रोगियों में सुधार होता है। सूजन में भी राहत मिलती है। गठिया के दर्द से राहत के लिए इसके लेटेक्स (दूध) को बाहरी रूप से प्रयोग कर सकते हैं। 


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