गोंडा में 50 फर्जी शिक्षकों ने विभाग को लगाया करोड़ों का चूना, रिकवरी नोटिस जारी
फर्जी अभिलेख लगाकर सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल की। वेतन के नाम पर हर माह मोटी रकम ले लिया। राजफाश होने के बाद अब रिकवरी की कवायद शुरू की गई है। इन पर विभिन्न थानों में जालसाजी का एफआइआर कराकर नोटिस भेजा गया है।
गोंडा, जेएनएन। अब इसे तत्कालीन अधिकारियों की लापरवाही कहें या कुछ और यहां बेसिक शिक्षा विभाग को 8.50 करोड़ रुपये की चपत लगाकर 50 लोग फरार हो गए हैं। फर्जी अभिलेख लगाकर सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल की। वेतन के नाम पर हर माह मोटी रकम ले लिया। राजफाश होने के बाद अब रिकवरी की कवायद शुरू की गई है। इन पर विभिन्न थानों में जालसाजी का एफआइआर कराकर नोटिस भेजा गया है।
दिनेश कुमार शर्मा का वर्ष 1998 में परिषदीय विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर चयन हुआ था। पदोन्नति हासिल करके प्रधानाध्यापक पद पर सेवा दी। 21 वर्ष बाद अभिलेखों की जांच शुरू हुई तो शैक्षिक प्रमाण पत्र फर्जी मिले। इन्हें एक अगस्त वर्ष 1998 से 28 फरवरी 2019 तक 65 लाख 89 हजार 945 रुपये का भुगतान किया गया है। इसी प्रकार सुरेंद्र प्रसाद ने फर्जी अभिलेख के सहारे नौ वर्षों तक नौकरी की। इन्हें 36 लाख 45 हजार 990 रुपये दिया गया। इसी तरह 50 लोगों ने फर्जीवाड़ा करके शासन को करोड़ों रुपये की चपत लगाई है। अधिकारी वर्षों तक अनजान बने रहे।
यही नहीं, इन्हें वेतन के साथ ही प्रमोशन भी दिया गया। सहायक अध्यापक से प्रधानाध्यापक बनकर वेतन हासिल किया। राजफाश होने के बाद इन पर जालसाजी के साथ ही अन्य धाराओं में मुकदमा कराया गया है। इन्हें दिए गए रुपये की रिकवरी को लेकर भी सक्रियता बढ़ी है। बीएसए के साथ ही वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक ने नोटिस भेजा है। हालांकि अभी रुपये नहीं मिल सके हैं।
बोले जिम्मेदार
फर्जी अभिलेख लगाकर शिक्षक की नौकरी हासिल करने वालों की सेवा समाप्त कर दी गई है। इन पर एफआइआर करा दिया गया है। रिकवरी का नोटिस भेजा गया है। - विनय मोहन वन, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी