Reality Check of RTO Lucknow: दलाल और परिवहन कर्मियों की खुलेआम जुगलबंदी, आवेदक परेशान
लखनऊ में दलालों का गाड़ी चलानी आती हो या नहीं बिना टेस्ट के ही डीएल जारी कराने का दावा। कतारों में लगे आवेदकों के कागजातों की ऐसी पड़ताल मानो बॉर्डर पार करा रहे हैं लेकिन दलाल सीधे कमरों में प्रवेश करते हैं।
लखनऊ, जेएनएन। लाइन में लगे आवेदकों को दुत्कार और दलालों पर उमड़ता दुलार। यह हकीकत है आरटीओ कार्यालयों की। दलाल भी ऐसे जो कागज थामकर सीधे कमरों के भीतर। कर्मियों के साथ ऐसी जुगलबंदी की मजाल है कि कोई काम रुक जाए। गाड़ी चलानी आती हो या नहीं, बिना टेस्ट के ही डीएल जारी कराने का दावा। कतारों में लगे आवेदकों के कागजातों की ऐसी पड़ताल मानो बॉर्डर पार करा रहे हैं, लेकिन दलाल सीधे कमरों में प्रवेश करते हैं। थोड़ी देर बाद ये बाहर निकलते हैं और आवेदक को संतुष्ट कर डीएल ओके होने का दावा करते हैं। यहां ऑनलाइन डीएल व्यवस्था अब ऑफलाइन हो चुकी है। टाइम स्लॉट के खेल से परेशान आवेदक इन्हीं के पास अपने कागज सुरक्षित महसूस करते हैं। पेश है ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ कार्यालय की पड़ताल करती जागरण टीम।
दृश्य एक-दोपहर 1 :29 बजे :
आरटीओ कार्यालय का सारथी भवन। संवाददाता नीरज मिश्र प्रवेश करते हैं। टोकन के लिए काउंटरों पर नंबर की व्यवस्था देख वहां रुकते हैं। टोकन को लेकर पूछताछ कर रहे कतारों में लगे आमजनों को कर्मी दुत्कारते नजर आते हैं। तभी पिछले दरवाजे से दलाल सुरेश हाथों में कागजों का पुलिंदा लेकर प्रवेश करते हैं। एक और दो नंबर काउंटर पर बैठे कर्मी कंप्यूटर स्क्रीन देख दनादन नंबर देने लगते हैं। प्रथम तल पर भीड़ देख वह इधर-उधर देख ही रहे थे कि एक पुराने दलाल एके दीक्षित से सामना होता है। वह नाम बताते हुए बेटे और बेटी के डीएल बनवाने के बारे में पूछते हैं। वह कहते हैं कि चौपहिया वाहन नहीं चला पाते हैं। टेस्ट न देना पड़े और बिना गाड़ी चलाए डीएल कितने में बन जाएगा। इस पर रास्ता बताते हुए जवाब मिलता है कि लर्निंग लाइसेंस के लिए 350 रुपये फीस, 100 रुपये अतिरिक्त इसके अलावा 950 रुपया और देना पड़ेगा। यानी कुल मिलाकर 1400 रुपये का भुगतान करना होगा और फिर डीएल आपके हाथ में होगा। एक माह बीतने पर स्थाई लाइसेंस के लिए 2,400 रुपया खर्च करना पड़ेगा। टेस्ट और गाड़ी चलाने का चक्कर छोडि़ए सिर्फ फोटो खिंचाने आ जाना। इसके बाद अपना मोबाइल नंबर देकर दूसरे ग्राहक से जुड़ जाते हैं। यह सबकुछ उस सारथी भवन में होता है, जहां दलालों का प्रवेश कथित रूप से वर्जित है।
दृश्य दो-दोपहर 1:37 बजे
अभी चंद मिनट पहले ही टोकन दिलाने के बाद दाढ़ी वाले दलाल सुरेश लपकते कदमों से एक अन्य आवेदक अमर ङ्क्षसह को साथ लिए मुख्य भवन के काउंटर नंबर आठ पर पहुंचते हैं। टैक्सी का टैक्स कम कराने का मामला था। पता चला कि टैक्सी का करीब 55,000 का कर बकाया है। जनाब ने उसे 40,000 में निपटवा देने का वादा किया है। वह पिछले दरवाजे से कमरे में प्रवेश करता है। कमरे में खड़े लोगों को धक्का देते हुए कर्मचारी बाहर का रास्ता दिखाते हैं, लेकिन दलाल पर मेहरबानी जारी रही। दलाल ने कागज का पुलिंदा दिया और इशारों में ओके हुआ। इसके बाद कर्मियों से हाथ मिलाकर वह बाहर आया और आवेदक को आश्वस्त करते हुए वह तीसरे ग्राहक की ओर बढ़ चला।
दृश्य तीन : दोपहर करीब 1:55 बजे
आरटीओ कार्यालय की पार्किंग में पराग बूथ के सामने संवाददाता जितेंद्र उपाध्याय की गुड्डू ङ्क्षसह से मुलाकात होती है। यहां दलालों का पूरा गैंग पार्किंग में ग्राहकों के आने का इंतजार करता रहता है। तभी गुड्डू से बिना पूछे ही उसने कहा कि क्या काम है। इस पर उन्होंने कहा कि चार पहिया वाहन की फिटनेस करानी है। दलाल ने कहा, हो जाएगी। सभी कागजात के साथ आप आइए, आपका काम करा दिया जाएगा। एक हजार रुपये फीस पड़ेगी। आपकी गाड़ी की फिटनेस फेल हो जाएगी और फिर आपको चार हजार रुपये देने होंगे, गारंटी होगी कि फिटनेस हो जाएगी।
दृश्य चार-आरटीओ कार्यालय के गेट नंबर दो के पास सारथी भवन के सामने पहुंच संवाददाता ने लाइसेंस बनवाने के लिए दलाल से बात की। पहले तो वह ऑनलाइन आवेदन के बाद ही कोई बात करने को तैयार हुआ। उसने मोबाइल नंबर दिया और आधार कार्ड वॉटसएप करने और फिर आवेदन के बाद समय मिलने पर आने की बात कही। दस्तावेज में कम से कम आधारकार्ड या कोई आइडी होने की बात कही। फीस के बारे में उसने बताया कि लर्निंग की फीस 350 रुपये है, लेकिन आरटीओ में 100 रुपये अधिक देने होते हैं। कुल 1400 रुपये में आपको लर्निंग लाइसेंस बनाकर दे दूंगा। एक महीने बाद स्थाई लाइसेंस बनेगा, जिसका खर्च बाद में बताएंगे। शुभम की पैठ इतनी तगड़ी कि बिना लाइन के वह खिड़कियों पर चुटकियों मेें काम करा रहा था।