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देश में ब‍िना ड्राइवर ट्रेन दौड़ाने के ल‍िए आरडीएसओ तैयार, शुरू हुआ ट‍िकास ड‍िवाइस का ट्रायल

महानिदेशक ने बताया कि 160 किमी. प्रतिघंटे की गति से दौडऩे वाली वंदे भारत एक्सप्रेस के 44 ट्रेन सेट को कोच फैक्ट्री अब तीन की जगह एक साल में तैयार करेगी। अगले साल इसका पहला प्रोटोटाइप भी आ जाएगा। इसके लिए दो गुणे 25 केवी वाली ओएचई अपग्रेड होगी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 08:50 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 07:19 AM (IST)
देश में ब‍िना ड्राइवर ट्रेन दौड़ाने के ल‍िए आरडीएसओ तैयार, शुरू हुआ ट‍िकास ड‍िवाइस का ट्रायल
आरडीएसओ ने कई प्रोजेक्टों की समीक्षा की। दो साल में 200 किमी. प्रतिघंटे की गति की ट्रेन चलाने की तैयारी।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। भविष्य की ट्रेनें बिना ड्राइवर के दौड़ेंगी। आटोमेटिक ट्रेन आपरेशन तकनीक पर अनुसंधान अभिकल्प व मानक संगठन (आरडीएसओ) ने काम तेज कर दिया है। ट्रेन टकराव बचाव प्रणाली (टिकास) के पहले फेस के ट्रायल में आरडीएसओ ने बिना ड्राइवर ट्रेन, लूप लाइन स्पीड कंट्रोल, समपारों पर आटोमेटिक सीटी बजाने जैसे नए फीचर शामिल किए हैं। आरडीएसओ दो साल के भीतर 200 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से ट्रेन भी चलाएगा। शुक्रवार को आरडीएसओ के महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों की समीक्षा करने के बाद यह जानकारी महानिदेशक संजीव भूटानी ने दी।

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महानिदेशक ने बताया कि 160 किमी. प्रतिघंटे की गति से दौडऩे वाली वंदे भारत एक्सप्रेस के 44 ट्रेन सेट को कोच फैक्ट्री अब तीन की जगह एक साल में तैयार करेगी। अगले साल अप्रैल में इसका पहला प्रोटोटाइप भी आ जाएगा। इसके लिए दो गुणे 25 केवी वाली ओएचई अपग्रेड होगी। आरडीएसओ लाइन की क्षमता को बढ़ाने के लिए आर-1175 श्रेणी की रेल बना रहा है।

अब 26 बोगियों वाली ट्रेनों को 160 किमी. प्रतिघंटे की गति से चलाने के लिए डब्ल्यूएपी-7 एचएस इंजन का विकास किया गया है, जबकि मिशन रफ्तार के तहत मालगाडिय़ों को 100 किमी. प्रतिघंटे की गति से दौड़ाने के लिए डब्ल्यूएजी-9 एचएच का ट्रायल सिमंस व मेघा इंटरप्राइजेज नाम की दो कंपनियों ने किया है। बीएचईएल का ट्रायल अभी बाकी है। आक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह तेजी से पहुंचाने के लिए रोल आन रोल आफ वैगन डिजाइन हो रहा है। इसका डिजाइन तैयार है और ट्रायल इसी माह से होगा।

जनरल बोगी में एसी : आरडीएसओ डीजी ने बताया कि जनरल बोगी में सफर करने वाले यात्रियों को भी एसी की सुविधा मिले, इस दिशा में आरडीएसओ काम कर रहा है। जनरल कोच में 200 से 300 यात्री होते हैं। उनकी संख्या के हिसाब से एसी प्लांट डिजाइन किया जाएगा, वहीं विश्व में रेल फ्रैक्चर की सटीक सूचना मिले, इसे लेकर भी नई तकनीक पर काम कर रहे हैं।


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