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PGI में शुरू हुई रैपिड बैरो स्टैट जांच, जानिए क्या होंगे फायदे Lucknow News

लखनऊ के एसजीपीजीआई में पेट की बीमारी का होगा सटीक इलाज। शुरू होगी रैपिड बैरो टेस्‍ट।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 09 Jul 2019 05:41 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 09:00 AM (IST)
PGI में शुरू हुई रैपिड बैरो स्टैट जांच, जानिए क्या होंगे फायदे Lucknow News
PGI में शुरू हुई रैपिड बैरो स्टैट जांच, जानिए क्या होंगे फायदे Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। आंत की संवेदन शीलता में कमी या अधिकता के कारण पेट की बीमारी से ग्रस्त 30 से 40 फीसदी मरीजों को सटीक इलाज देने के लिए संजय गांधी पीजीआइ ने रैपिड बैरो स्‍टैट जांच शुरू किया है। संस्थान देश का पहला संस्थान है जिसने यह जांच शुरू की है। इस जांच को शुरू करने वाले  गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग के प्रो.यूसी घोषाल के मुताबिक आंत की चाल होती है वैसे ही आंत में संवेदन शीलता होती है। संवेदनशीलता की कमी  या अधिकता के कारण कई तरह की परेशानी होती है। इस बीमारी से ग्रस्त लोगों में अभी तक अंदाजे से इलाज किया जाता था लेकिन जांच के जरिए संवेदनशीलता की सही जानकारी हासिल कर सटीक इलाज संभव हो गया है। 

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रैपिड बैरो स्टैट की जांच 15 मरीजों किया जिसके आधार पर इलाज शुरू किया । यह मरीज कोलकता, आबू धाबी, केरला, मुंबई से यहां इलाज के लिए भेजे गए थे। आंत में संवेदनशीलता के कारण होने वाली परेशानी को डाक्टरी भाषा में इंस्टेस्टाइनल सूडो आब्सट्रेक्शन, हर्षप्रांग सिड्रोम सहित अन्य कहते हैं। प्रो. घोषाल के मुताबिक सही समय पर सही इलाज न होने पर इंटेस्टाइनल फेल्योर हो जाता है जिसके कारण व्यक्ति खाना नहीं खा पाता है। इन परेशानियों के इलाज के लिए न्यूरोलाजिकल बीमारियों के लिए दी जाने वाली दवाएं दी जाती है।

कैसे होती ही जांच

इस जांच में आंत में मशीन से जुडे गुब्बारे को डाला जाता है। फिर मशीन से इसे फुलाया जाता है जिसमें तय मात्रा में प्रेशर दिया जाता है। प्रेशर को मरीज अनुभव करता है। संवेदनशीलता अधिक होने पर अधिक प्रेशर देने पर वह दर्द बताता है। कम होने पर कम प्रेशर पर ही दर्द बताता है। प्रेशर के आधार पर आटो जनरटेड ग्राफ मशीन देता है।  

यह तो संभव है संवेदनशीलता में परेशानी

  • पेट में दर्द
  • खाना पेट में अटका रहता
  • मल त्याग करने की इच्छा ही नहीं होती
  • पेट में भारीपन

प्रो.राकेश कपूर ने बताया कि पेट की जटिल बीमारी के इलाज के लिए नई तकनीक देश में पहली बार स्थापित किया है। प्रो. घोषाल ने बडा काम किया है यह गर्व का विषय है।  


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