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सूर्य देव की आकृति वाले चांदी के सिंहासन पर कल विराजेंगे रामलला, ये है सिंहासन की खासियत

अयोध्या राजपरिवार के मुखिया बिमलेंद्रमोहन मिश्र ने श्री रामजन्मभूमि। तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को सौंपा सिंहासन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 24 Mar 2020 09:20 AM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2020 09:20 AM (IST)
सूर्य देव की आकृति वाले चांदी के सिंहासन पर कल विराजेंगे रामलला, ये है सिंहासन की खासियत
सूर्य देव की आकृति वाले चांदी के सिंहासन पर कल विराजेंगे रामलला, ये है सिंहासन की खासियत

अयोध्या, जेएनएन। वैकल्पिक गर्भगृह में रामलला की स्थापना बुधवार को ब्रह्ममुहूर्त में होगी। नए गर्भगृह में रामलला चांदी के सिंहासन पर विराजमान होंगे। गौरतलब है कि अभी तक रामलाला मूल गर्भगृह के अस्थाई मंडप में लकड़ी के सिंहासन पर विराजमान हैं। रामलला को वैकल्पिक गर्भगृह में स्थापित करने की तैयारियों के बीच सोमवार को चांदी का सिंहासन भेंट किया गया।

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नौ किलो 500 ग्राम चांदी से निर्मित यह सिंहासन श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी एवं अयोध्या राज परिवार के मुखिया बिमलेंद्रमोहन मिश्र ने राज सदन स्थित अपने आवास पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को दान स्वरूप अर्पित किया। यह सिंहासन जयपुर के विशेषज्ञ कलाकारों ने राजसदन में कई दिनों की मेहनत के बाद तैयार किया है। 25 इंच लंबा, 13 इंच चौड़ा एवं 30 इंच ऊंचा यह सिंहासन कलात्मकता की नजीर है। सिंहासन के पृष्ठ पर सूर्य देव की आकृति और दो मोर उत्कीर्ण हैं। सूर्य देव की आकृति यह बयां करने वाली है कि भगवान राम जिस कुल के हैं, वह सूर्यवंशीय है और मोर शुभता के परिचायक हैं।

इस मौके पर ट्रस्ट के पदेन सदस्य जिलाधिकारी अनुज कुमार झा एवं ट्रस्ट के एक अन्य सदस्य डॉ. अनिल कुमार मिश्र सहित महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, विधायक वेदप्रकाश गुप्त, नगर आयुक्त डॉक्टर नीरज शुक्ल, बिमलेंद्र मिश्र के पुत्र एवं प्रख्यात साहित्यकार यतींद्र मिश्र आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। वैकल्पिक गर्भगृह में रामलला की स्थापना बुधवार को ब्रह्ममुहूर्त में प्रस्तावित है। नए गर्भगृह में रामलला इसी सिंहासन पर विराजमान होंगे। फिलहाल, मूल गर्भगृह के अस्थाई मंडप में रामलला लकड़ी के सिंहासन पर विराजमान थे।

रामलला से वैकल्पिक गर्भगृह में चलने की प्रार्थना

रामलला बुधवार को मंदिर निर्माण शुरू होने की प्रक्रिया से पूर्व मूल गर्भगृह से वैकल्पिक गर्भगृह में स्थापित किए जाएंगे। वैदिक परंपरा के अनुरूप नए गर्भगृह में स्थापित किए जाने के दौरान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। सोमवार को सुबह सात बजे बजे से उनकी प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान उदक शांति पाठ से शुरू हुआ। एक ओर गर्भगृह में 10 वैदिक विद्वानों ने रामलला से वैकल्पिक गर्भ गृह में चलने की प्रार्थना शुरू की, दूसरी ओर मूल गर्भगृह के करीब सौ मीटर के फासले पर नवनिर्मित वैकल्पिक गर्भगृह में पांच आचार्य भूमि शुद्धि का अनुष्ठान करने में लगे। यह प्रक्रिया बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त तक चलेगी। ब्रह्म मुहूर्त में ही रामलला को नए गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। इस मौके पर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के यजमान के रूप में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी एवं अयोध्या राज परिवार के मुखिया बिमलेंद्रमोहन मिश्र एवं डॉ अनिल कुमार मिश्र सहित जिलाधिकारी अनुज कुमार झा एवं विधायक वेदप्रकाश गुप्त आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

विशेषज्ञ वैदिक आचार्य करा रहे अनुष्ठान

रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान विशेषज्ञ वैदिक आचार्यों के मार्गदर्शन में संपादित हो रहा है। मुख्य आचार्य दिल्ली के कीर्तिकांत शर्मा हैं। अन्य आचार्यों में मथुरा, काशी, प्रयाग सहित अयोध्या के भी आचार्य शामिल हैं।

पवित्र ग्रंथों का चल रहा पाठ

प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के क्रम में उदक शांति पाठ के साथ वेद पाठ, रामरक्षा स्तोत्र का पाठ एवं जप संयोजित है। पहले यह अनुष्ठान 22 से 27 मार्च तक निर्धारित था, पर कोरोना के संक्रमण का संकट देखते हुए इसे 23 से 25 मार्च की सुबह तक सीमित कर दिया गया है।


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