रेलवे नहीं दे रहा है SGPGI का 33 लाख बकाया, 1.6 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति भी लटकी
कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहे रेलवे की स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं पर इसका असर पडऩे लगा है। रेलवे के ऊपर एसजीपीजीआइ जैसे संस्थान का भी 33 लाख रुपये बकाया हो गया है। 136 कर्मचारियों का 1.6 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति भी लटकी ।
लखनऊ, जेएनएन। चारबाग स्टेशन यार्ड में तैनात रेलकर्मी सुनील कुमार पांडेय की पत्नी को कैंसर हो गया। सुनील कुमार पांडेय ने अपनी पत्नी का उपचार उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल से संबद्ध शहर के एक निजी अस्पताल में कराया। जिस पर खर्च छह लाख रुपये आया। लोगों से कर्जा लेकर सुनील कुमार पांडेय ने निजी अस्पताल का बिल इस उम्मीद से भर दिया कि रेलवे से उसे समय पर प्रतिपूर्ति हो जाएगी। एक साल होने वाले हैं। सुनील कुमार पांडेय को रेलवे बजट न होने के कारण प्रतिपूर्ति नहीं कर पा रहा है।
कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहे रेलवे की स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं पर इसका असर पडऩे लगा है। रेलवे के ऊपर एसजीपीजीआइ जैसे संस्थान का भी 33 लाख रुपये बकाया हो गया है। दरअसल रेलवे अपने कर्मचारियों को एसजीपीजीआइ में कैशलेस इलाज देने के लिए उसके खाते में 50 लाख रुपये जमा करता है। पिछले वित्तीय वर्ष का रुपया रेलवे को इस साल 31 मार्च तक जमा करना था। अब तक रेलवे उसे जमा नहीं कर सका। एसजीपीजीआइ मंडल अस्पताल से रेफर कर्मचारियों का कैशलेस उपचार कर रहा है। हालांकि अब रेलवे पर 33 लाख रुपये का बकाया हो गया है। कुछ इसी तरह कैरिज व वैगन वर्कशॉप में तैनात सीनियर सेक्शन इंजीनियर मनीष मिश्र का भी निजी अस्पताल में उपचार पर 10 लाख रुपये का खर्च आया। उनकी फाइल सितंबर 2019 से लंबित पड़ी है।
इतनी की है दरकार
चारबाग स्थित 275 बेड के मंडल रेल अस्पताल को रेल मंत्रालय ने कोविड केयर सेंटर बनाया था। इस कारण मार्च से यहां आने वाले रोगियों का उपचार निजी अस्पतालों में कराने के निर्देश दिए गए। वर्ष 2019-2020 में रेलवे ने अस्पताल को 10.38 करोड़ रुपये का आवंटन किया। रेलवे ने इसके बदले 9.26 करोड़ रुपये जारी किए। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 7.89 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। जिसका पूरा इस्तेमाल अस्पताल में दो वेंटीलेटर सहित कोविड केयर सेंटर की तैयारियां करने पर हो चुका है। शासन की ओर से रेलवे को इसका भुगतान नहीं हो सका। वहीं अब भी रेलवे के पैनल में शामिल निजी अस्पतालों में उपचार कराने वाले 136 कर्मचारियों का 1.6 करोड़ रुपये के बिल लटक गए हैं। वहीं निजी अस्पतालों से सीधे रेलवे को भेजे जाने वाले भी बिल लंबित हैं। रेलवे ने मेडिकल मद में 18.94 करोड़ रुपये और जारी करने की मांग मुख्यालय से की है। नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के मंडल मंत्री आरके पांडेय बताते हैं कि जीएम से विशेष बजट जारी करने की मांग की गई है। कई कर्मचारियों ने कर्ज लेकर अपना उपचार निजी अस्पतालों में कराया है।