अनूठी सजा: पत्तियों की गवाही तक परवरिश की सजा
खेत में गेहूं के ठूंठों में आग की तपिश जामुन का पौधा नहीं झेल पाया। इस पर पांच हजार जुर्माना और नई पत्तियां आने तक परवरिश की सजा सुनाई।
मथुरा (जेएनएन)। खेत में गेहूं के ठूंठों में लगी आग की तपिश नाले पर लगा जामुन का पौधा नहीं झेल पाया। हरी पत्तियांं जल गईं। वन विभाग ने अनूठी सजा सुनाते हुए जिम्मेदार किसान से पांच हजार का जुर्माना तो वसूला ही, नई पत्तियां आने तक इसकी परवरिश की सजा सुनाई। मामला नंदगांव ब्लॉक के गांव बठैनखुर्द का है। यहां पिछले दिनों किसान संजय ने अपने खेत में गेंहू की फसल कटने के बाद बचे ठूंठों को नष्ट करने के लिए आग लगा दी थी। खेत के किनारे नाले पर वन विभाग ने जामुन आदि के पौधे रोपे थे। जामुन के पौधे की उम्र करीब डेढ़ वर्ष की है। ठूंठों में लगी आग से जामुन का पौधा बुरी तरह झुलस गया। सारी पत्तियां जल गईं। केवल तना रह गया। जानकारी होने पर वन विभाग ने सख्त रुख अपनाया।
भविष्य में पेड़-पौधों की सुरक्षा
वन क्षेत्राधिकारी मेघराज शर्मा ने क्षेत्रीय वन दारोगा मनोज कुमार से जांच कराने के बाद आरोपी किसान संजय को तलब किया। संजय ने अपनी गलती मान ली और भविष्य में पेड़-पौधों की सुरक्षा के लिए सहयोग का वादा भी किया। इसके बाद वन विभाग ने उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना ठोंका। साथ ही पौधे की तब तक परवरिश की सजा सुनाई जब तक उसमें नई पत्तियां नहीं आ जातीं। संजय ने बुधवार को जुर्माना तो भरा ही सजा को भी सहर्ष स्वीकार कर लिया। संजय के पिता जगदीश ने कहा कि गलती तो हो ही गई है, अब जामुन के पौधे की देखभाल भी करेंगे।
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क्या है कानून
वन क्षेत्राधिकारी मेघराज शर्मा ने बताया कि ये कार्रवाई वन विभाग के ग्रामीण वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 की धारा 4/10 के तहत की गई है। जिसमें किसी भी पौधे या वृक्ष को काटने, नुकसान पहुंचाने के आरोप में जुर्माना आदि का प्रावधान है। बठैनखुर्द में भी इसी अधिनियम के तहत ही कार्रवाई की गई है।
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