Ayodhya Ram Mandir: ऊंचाई में वृद्धि के साथ अब तीन तल का होगा राममंदिर, ऐसा होगा संशाेधित आकार
पूर्व निर्धारित 212 स्तंभों की बजाय मंदिर निर्माण में प्रयुक्त होंगे 318 स्तंभ। संशोधित आकार के अनुरूप मंदिर की डिजाइन तैयार करने में लगे वास्तुविद् चंद्रकांत सोमपुरा।
अयोध्या, जेएनएन। शनिवार को श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक के बाद जहां यह एलान हुआ कि रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर पूर्व निर्धारित 128 फीट की बजाय 161 फीट ऊंचा होगा तथा उसमें तीन की बजाय पांच शिखर होंगे, वहीं अब राममंदिर के मुख्य शिल्पी चंद्रकांत सोमपुरा संशोधित लक्ष्य के अनुरूप मंदिर निर्माण की तैयारियों में जुट गये हैं। ‘जागरण’ से दूरभाष पर मुखातिब सोमपुरा के अनुसार संशोधित लक्ष्य मिलने के बावजूद मंदिर की लंबाई-चौड़ाई पूर्व निर्धारित माप के अनुरूप 268 गुणे 140 फीट होगी, पर ऊंचाई में वृद्धि को देखते हुए अब यह दो नहीं बल्कि तीन मंजिला होगा।
प्रत्येक तल पर पूर्व की तरह 106 स्तंभ लगेंगे और तीन तल का होने की वजह से मंदिर में लगने वाले स्तंभों की संख्या 212 से बढ़कर 318 होगी। स्तंभों की ऊंचाई 14 फीट 6 इंच होगी। हर खंभे में 16 मूर्तियां तराशी जाएंगी। सोमपुरा के अनुसार पांच शिखरों वाला तीन मंजिला मंदिर दुनिया में कहीं नहीं है। गुजरात के जाने-माने वास्तुविद् चंद्रकांत सोमपुरा ने साल 1987 में विहिप के तत्कालीन सुप्रीमो अशोक सिंहल के कहने पर राम मंदिर का मॉडल तैयार किया था। सोमपुरा के अनुसार संशोधित आकार के अनुरूप 15 दिन में नई डिजाइन के अनुसार मास्टर प्लान तैयार हो सकता है।
उन्होंने अनुमान जताया कि मौजूदा डिजाइन के हिसाब से मंदिर निर्माण में करीब सौ करोड़ रुपये की लागत आएगी, पर संशेधन के बाद खर्च बढ़ जायेगा। लागत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि मंदिर को किस समय सीमा में पूरा करना है। निर्माण को समय सीमा में पूरा करने के लिए ज्यादा संसाधन और बजट की जरूरत होगी। सोमपुरा आश्वस्त करते हैं कि आकार में संशोधन के बावजूद गर्भगृह, आरती स्थल, सीता रसोई, रंगमंडपम की संरचना में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसकी संरचना पहले बनाए गए नक्शे के हिसाब से ही रहेगी। नए राम मंदिर की ऊंचाई बढ़ाई गई है, लेकिन यह भारत में सबसे ऊंचे शिखर वाला मंदिर नहीं होगा।
दक्षिण भारत में कई मंदिरों के शिखर की ऊंचाई 200 से 250 फीट से ज्यादा है। अक्षरधाम समेत कई मंदिरों में पांच शिखर हैं। द्वारका मंदिर तो सात मंजिला है। सोमपुरा ने बताया कि तय समय पर कार्य के लिए बड़े ठेकेदारों की भी जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण का कार्य तीन से साढ़े तीन साल में पूरा करने के लिए कम से कम पांच-छह बड़े ठेकेदारों की जरूरत होगी। दो मंजिला मंदिर का निर्माण दो-ढाई साल में ही पूरा करने का लक्ष्य था। सोमपुरा के मुताबिक मंदिर निर्माण कार्य की जिम्मेदारी संभालने वाली कंपनी लार्सन एंड टुब्रो मिट्टी के परीक्षण लेकर उसकी ताकत को परख रही है।