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UP Cabinet Decision: अब हर रोजगार के लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी, भौगोलिक आधार पर होगा निर्धारण

UP Cabinet Decision केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई मजदूरी संहिता 2019 के क्रम में राज्य सरकार द्वारा बनायी गई उप्र मजदूरी संहिता नियमावली 2021 में यह प्राविधान किया गया है। नियमावली को बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 06:15 AM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 12:51 PM (IST)
UP Cabinet Decision: अब हर रोजगार के लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी, भौगोलिक आधार पर होगा निर्धारण
उप्र मजदूरी संहिता नियमावली, 2021 में सेवायोजकों को भी कई सहूलियतें।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में अब हर तरह के रोजगार से जुड़े श्रमिकों के लिए दैनिक आधार पर न्यूनतम मजदूरी दर निर्धारित की जाएगी। यानी सभी प्रकार के रोजगार के लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी होगी जो अभी तक नहीं थी। अभी तक सिर्फ अधिसूचित नियोजन (कुछ सूचीबद्ध रोजगार) में ही श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित थी। केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई मजदूरी संहिता 2019 के क्रम में राज्य सरकार द्वारा बनायी गई उप्र मजदूरी संहिता नियमावली, 2021 में यह प्राविधान किया गया है। नियमावली को बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। सभी प्रकार के रोजगार के लिए न्यूनतम मजदूरी की दरें तय करने के लिए प्रदेश सतर पर एडवाइजरी बोर्ड गठित होगा जिसका कार्यकाल तीन वर्ष होगा। मजदूरी की न्यूनतम दर तय करते समय राज्य सरकार संबंधित भौगोलिक क्षेत्र को तीन वर्गों-मेट्रोपोलिटन, गैर-मेट्रोपोलिटन व ग्रामीण क्षेत्र में बांटेगी। अभी तक यह व्यवस्था नहीं थी। अब भौगोलिक आधार पर मजदूरी तय की जाएगी। न्यूनतम मजदूरी दर अप्रैल और अक्टूबर से पूर्व तय की जाएगी। इस आधार पर कामगारों को पुनरीक्षित महंगाई भत्ता एक अप्रैल और एक अक्टूबर से दिया जाएगा।

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नियमावली के जरिये राज्य सरकार ने अति कुशल श्रमिक की एक और श्रेणी जोड़ी है। अभी तक श्रमिकों को सिर्फ तीन श्रेणियों में बांटा जाता था-अकुशल, अर्धकुशल और कुशल। इससे अति कुशल कामगारों को फायदा होगा। कौशल वर्गीकरण के बारे में केंद्र सरकार को सलाह देने के लिए राज्य सरकार श्रमायुक्त की अध्यक्षता में एक तकनीकी समिति गठित करेगी।

12 घंटे से ज्यादा काम नहीं : किसी कर्मचारी के समान कार्य दिवस में काम के आठ घंटे शामिल होंगे। काम के फैलाव, विश्राम अंतरालों आदि को मिलाकर किसी भी दिन 12 घंटे से अधिक कार्य नहीं होगा। नियोजक सामान्य रूप से प्रत्येक कर्मचारी को हफ्ते में एक विश्राम दिवस देंगे।

सेवायोजकों को भी सहूलियतें : सेवायोजकों की सहूलियत के लिए उन्हें सिर्फ दो रजिस्टर रखने होंगे। एक मजदूरी और दूसरा कर्मचारियों के रिकार्ड का। वे अब किसी भी तरह का रिकार्ड इलेक्ट्रानिक रूप में रख सकेंगे। यदि सेवायोजक पहली बार कोई अपराध करता है तो वह कोड में अंकित जुर्माने की अधिकतम राशि की आधी रकम जमा कर अपराध का उपशमन करा सकता है। दोबारा अपराध करने पर उपशमन का लाभ नहीं मिलेगा।

इंस्पेक्टर अब सेवाप्रदाता : नियमावली के तहत श्रम विभाग के इंस्पेक्टर की भूमिका सुविधाप्रदाता के तौर पर होगी जो मजदूरों और नियोक्ता की मदद करेगा। अंतिम विकल्प के तौर पर ही दंडात्मक कार्यवाही करेगा।

तेजी से होगा विवादों का निस्तारण : मजदूरी से संबंधित विवाद की सुनवाई असिस्टेंट लेबर कमिश्नर करेंगे। सुनवाई में पारित आदेश के खिलाफ अपील अब जिला जज की बजाय असिसटेंट लेबर कमिश्नर से एक सतर ऊपर के अधिकारी के समक्ष की जा सकेगी। इससे विवादों के निसतारण में तेजी आएगी।


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