Move to Jagran APP

उत्तर प्रदेश के वोटरों के मन में बसने चलीं प्रियंका तो राहुल के बयान से टूटा कांग्रेसियों का दिल

UP Politics कांग्रेस सांसद ने केरल में उत्तर भारतीयों की समझ पर दिया था विवादित बयान। सोच समझ और बयानों पर अपने ही उठाते रहे हैं सवाल यूं ही नहीं हुए बेगाने। नेहरू-गांधी परिवार को सत्ता के पालने में झुलाते रहे कार्यकर्ताओं को भी ऐतराज।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 11:19 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 03:46 PM (IST)
उत्तर प्रदेश के वोटरों के मन में बसने चलीं प्रियंका तो राहुल के बयान से टूटा कांग्रेसियों का दिल
UP Politics: कांग्रेस सांसद ने केरल में उत्तर भारतीयों की समझ पर दिया था विवादित बयान।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। अपने पुरखों की लगभग उजड़ चुकी राजनीतिक विरासत को कुछ सहेजने-सींचने के लिए बतौर प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा पसीना बहा रही हैं। परिस्थिति अनुसार दूसरों के आंसुओं से अपनी पलकें भिगोकर यह दौड़ उत्तर प्रदेश के मतदाताओं के मन में बसने के लिए ही है। इस बीच उनके भाई और सांसद राहुल गांधी ने उत्तर भारतीयों की समझ पर सवाल उठाकर कांग्रेसियों का भी दिल तोड़ दिया है। नेतृत्व के फैसलों पर असहमति जताने की सजा देख चुके सामान्य कार्यकर्ता तो चुप हैं, लेकिन पहले भी पार्टी नेतृत्व की सोच-समझ पर सवाल उठाने वाले फिर मुखर हैं।

loksabha election banner

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अमेठी की अपनी पारंपरिक लोकसभा सीट भाजपा की स्मृति ईरानी से हार गए। बीते दिनों केरल में उन्होंने बयान देकर उत्तर भारतीयों की समझ पर सवाल उठाते हुए दक्षिण भारतीयों को मुद्दों की समझ रखने वाला बताया। इसे लेकर 2022 के लिए माहौल बनाने में जुटे कार्यकर्ता अवाक हैं। कानाफूसी है, लेकिन बेहद सावधानी से, क्योंकि इससे पहले राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा के फैसले पर असहमति जताने की वजह से दस वरिष्ठ कांग्रेसी पार्टी से निकाल दिए गए थे। इनमें पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक से लेकर संगठन के पुराने कार्यकर्ता तक थे। 

 

बहरहाल, मुद्दों को अपनी समझ पर परखने वाले कांग्रेसी राहुल के इस बयान पर भी मुखर हैं। कांग्रेस के गढ़ और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के सदर से पार्टी की ही विधायक अदिति सिंह कहती हैं कि राहुल गांधी कोई क्षेत्रीय दल से नहीं हैं। एक राष्ट्रीय नेता हैं। उन्हें विभाजनकारी बातें शोभा नहीं देतीं। वह कहती हैं कि अमेठी और रायबरेली की जनता ने, कार्यकर्ताओं ने उनकी व उनके परिवार की बहुत मदद की है। इतने चुनाव जिताए हैं। राहुल का बयान कार्यकर्ताओं के दिल को ठेस पहुंचाने वाला है।

रायबरेली से ही कांग्रेस विधायक राकेश सिंह चिंता जताते हैं कि इससे पहले भी कांग्रेस की ओर से राम मंदिर व अनुच्छेद 370 सहित देशहित के मुद्दों पर विवादित बयान सामने आए हैं। क्या उत्तर प्रदेश के लोग नासमझ थे, जो नेहरू-गांधी परिवार को लगातार जिताते रहे। उल्लेखनीय है कि यह दोनों पार्टी के बागी विधायक कहे जाते हैं।

उत्तर भारतीयों ने चार राज्यों में बनवाई थी सरकार: कांग्रेस के पूर्व सांसद संतोष स‍िंह का कहना है कि नेहरू-गांधी परिवार को सत्ता सौंपने में उत्तर भारत का बड़ा योगदान रहा है। 1992 में अयोध्या में ढांचा विध्वंस के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सहित मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया था। उसके बाद हुए चुनाव में चारों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी। राहुल बताएं- क्या तब उत्तर भारत के लोगों ने मुद्दा नहीं समझा था? क्या वह नासमझ थे? 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.