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Priyanka in UP: किसी को संगठन में उपेक्षा का शिकवा तो किसी को बाहरी नेताओं को महत्व पर एतराज

पहली बार प्रियंका गांधी से मिला 55 वर्षीय महादीन अपने आसूं नहीं रोक पाया। सहजता से मिलने के लिए प्रियंका का आभार जताने के साथ महादीन प्रदेशीय नेताओं के प्रति अपनी नाराजगी जताने से भी नहीं चूका।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 01:43 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 05:47 PM (IST)
Priyanka in UP: किसी को संगठन में उपेक्षा का शिकवा तो किसी को बाहरी नेताओं को महत्व पर एतराज
Priyanka in UP: किसी को संगठन में उपेक्षा का शिकवा तो किसी को बाहरी नेताओं को महत्व पर एतराज

लखनऊ, जेएनएन। पहली बार प्रियंका गांधी से मिला 55 वर्षीय महादीन अपने आसूं नहीं रोक पाया। सहजता से मिलने के लिए प्रियंका का आभार जताने के साथ महादीन प्रदेशीय नेताओं के प्रति अपनी नाराजगी जताने से भी नहीं चूका। उसे शिकायत थी कि जिस सरल भाव से प्रियंका उससे मिलीं, प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं का बर्ताव उससे उलट है। कार्यालय के चक्कर लगाने के बावजूद बड़े नेता आम कार्यकर्ताओं से मिलने से कतराते हैं। ऐसी शिकायत करने वाला महादीन अकेला कांग्रेसी नहीं था।

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अमूमन सभी क्षेत्रों से आए कार्यकर्ताओं को कोई न कोई शिकायत जरूर थी। किसी को संगठन में उपेक्षा का शिकवा रहा तो किसी ने बाहरी नेताओं को जरूरत से ज्यादा महत्व देने पर एतराज जताया। गठबंधन न करके अकेले अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरने का सुझाव भी अधिकतर नेताओं ने दिया। प्रियंका ने सबकी सुनी और संगठन मजबूत करके वर्ष 2022 में कांग्रेस सरकार बनाने का दावा दोहराया। 

तुम चुनाव जीतने में जुटो, संगठन हम दुरुस्त करेंगे 

संगठन की कमी गिनाने वालों को प्रियंका गांधी ने एक ही मंत्र दिया। उनका कहना था कि अब चुनाव निकट है और उसमें कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन जरूरी है। आपसी मतभेद भुला कर प्रत्येक कार्यकर्ता चुनाव जिताने में जुटेगा तब ही कांग्रेस के अच्छे दिन आ सकेंगे। संगठन की कमजोरी स्वीकारते हुए उन्होंने संकेत दिए कि चुनाव बाद बड़े बदलाव होंगे।

लखनऊ से चुनाव लडऩे का प्रस्ताव मुस्कुरा कर टाला 

लखनऊ क्षेत्र के नेताओं ने एकमत हो प्रियंका गांधी को लखनऊ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडऩे का प्रस्ताव दिया जिसेे मुस्कुरा कर टालते हुए प्रियंका ने कहा कि उनकी प्राथमिकता प्रदेश में कांग्रेस मजबूत करना और 2022 मेंं सरकार बनवाना है। उन्होंने संकेत दिया कि संगठन में बड़ी कमेटियां बनाने की परंपरा बंद की जाएगी। फ्रंटल संगठनों में समन्वय को बेहतर बनाने का काम होगा।


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