Move to Jagran APP

उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के इलाज के नाम पर प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी वसूली पर लगी लगाम

यूपी में कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज कर रहे प्राइवेट अस्पताल अब नर्सिंग केयर मानीटरिंग डॉक्टर की विजिट आवश्यक जांचें और परीक्षण के नाम पर अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकेंगे।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 11:15 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 06:04 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के इलाज के नाम पर प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी वसूली पर लगी लगाम
उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के इलाज के नाम पर प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी वसूली पर लगी लगाम

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज कर रहे प्राइवेट अस्पताल अब नर्सिंग केयर, मानीटरिंग, डॉक्टर की विजिट, आवश्यक जांचें और परीक्षण इत्यादि के नाम पर अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूल सकेंगे। अभी कोविड-19 के प्राइवेट अस्पताल मरीजों को तय शुल्क के अतिरिक्त अन्य कई तरह के मद जोड़कर लाखों का बिल थमा रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को आदेश जारी कर यह स्पष्ट किया कि पहले से निर्धारित शुल्क में ही पूरा पैकेज शामिल है। सिर्फ रैमडेसिविर से प्रयोगात्मक उपचार व कोरोना जांच का शुल्क इसमें शामिल नहीं है। अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने सख्त निर्देश दिए हैं कि अगर इससे अधिक कोई निजी अस्पताल शुल्क ले तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

loksabha election banner

कोविड-19 के वह निजी अस्पताल जो नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड आफ हास्पिटल एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं वह आइसोलेशन बेड का 10 हजार रुपये प्रतिदिन और नॉन एनएबीएच अस्पताल आठ हजार रुपये प्रतिदिन आइसोलेशन बेड का चार्ज ले सकेंगे। इसमें कम गंभीर रोगियों के लिए आक्सीजन एवं अन्य सहयोगी उपचार भी शामिल है। वहीं एनएबीएच से मान्यता वाले अस्पताल आइसीयू में बिना वेंटिलेटर वाले बेड का 15 हजार रुपये और नान एनएबीएच अस्पताल 13 हजार रुपये प्रतिदिन ले सकेंगे। इस श्रेणी में हाइपरटेंशन एवं अनियंत्रित डायबटीज से पीड़ित को-मार्बिडिटीज के रोगी भी शामिल हैं। यानी ऐसे रोगियों को अगर वेंटिलेटर की जरूरत नहीं है तो इसी दर पर इलाज होगा।

वहीं एनएबीएच से मान्यता प्राप्त निजी अस्पताल में आइसीयू में वेंटिलेटर वाले बेड का 18 हजार व नॉन एनएबीएच वाले अस्पताल 15 हजार रुपये प्रतिदिन शुल्क ले सकेंगे। इस श्रेणी में इनवैसिव मैकेनिकल वेंटीलेशन तथा नॉन इनवैसिव मैकेनिकल वेंटीलेशन जैसे एचएफएनसी एवं बाईपैप की आवश्यकता वाले रोगियों का उपचार भी शामिल है। यानी निजी अस्पतालों हेतु निर्धारित शुल्कसभी सुविधाओं को सम्मिलित करते हुए एक पैकेज है। इस पैकेज में कोविड केयर प्रोटोकॉल के अनुसार उचार प्रदान किए जाने के लिए बेड, भोजन तथा अन्य सुविधाएं नर्सिंग केयर, मानीटरिंग, इमेंजिंग सहित अन्य आवश्यक जांचें, विजिट व कंसल्टेंट, चिकित्सक व परीक्षण इत्यादि की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

को-मार्बिडिटीज रोगियों का उपचार तथा अल्प अवधि की हीमो डायलिसिस की सुविधा भी पैकेज में शामिल है। इस पैकेज में प्रयोगात्मक उपचार जैसे रैमडेसिविर का प्रयोग और कोरोना की आरटीपीसीआर जांच तथा आइएल-6 टेस्ट को शामिल नहीं किया गया है। यह दरें पीडियाट्रिक रोगियों के ऊपर भी लागू है। गर्भवती महिलाओं का प्रसव व नवजात शिशु के उपचार पर होने वाले व्यय को चिकित्सालय आयुष्मान भारत योजना के प्रचलित दर पर अलग से लिया जाएगा। वहीं आयुष्मान भारत के लाभार्थियों से इस संबंध में कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

बता दें कि यह पहले ही तय किया जा चुका है कि ए श्रेणी के नगरों कानपुर, लखनऊ, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, बरेली, गोरखपुर, मेरठ, नोएडा व गाजियाबाद के प्राइवेट अस्पताल यह शुल्क लेंगे। वहीं बी श्रेणी के नगर जिसमें मुरादाबाद, अलीगढ़, झांसी, सहारनपुर, मथुरा, रामपुर, मिर्जापुर, शाहजहांपुर, अयोध्या, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनगर और फर्रुखाबाद शामिल हैं, वहां के प्राइवेट अस्पताल ए श्रेणी के जिलों के लिए निर्धारित शुल्क से 20 फीसद कम शुल्क लेंगे। वहीं अन्य सभी सी श्रेणी के जिलों में ए श्रेणी के जिलों के मुकाबले 40 फीसद कम शुल्क लिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.