Coronavirus Effect : यूपी की जेलों से जल्द बाहर आएंगे सात साल से कम सजा पाने वाले बंदी
Coronavirus Effect उत्तर प्रदेश में जारी कोरोना वायरस के कहर से बंदियों को बचाने के लिए जल्द उनकी रिहाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
लखनऊ, जेएनएन। Coronavirus Effect : उत्तर प्रदेश में जारी कोरोना वायरस के कहर से बंदियों को बचाने के लिए जल्द उनकी रिहाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा। स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉर्टी की कमेटी ने शुक्रवार को बैठक कर इसके मानक तय कर दिए हैं। इसके तहत जिला स्तर पर बंदियों को जमानत व पैरोल पर सशर्त रिहा किए जाने की कार्रवाई अब जल्द शुरू होगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश पीके जायसवाल की अगुवाई में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार कुमार अवस्थी और डीजी जेल आनंद कुमार ने बंदियों की रिहाई के लिए मंथन किया। विचाराधीन बंदियों को जमानत और सात साल या उससे कम की सजा पा चुके बंदियों को पैरोल या जमानत देकर तय समय के लिए छोड़े जाने की व्यवस्था भी होगी। गंभीर मामलों में सजा काट रहे बंदियों की रिहाई संभव नहीं होगी।
जिला स्तर पर संबंधित कोर्ट के जरिए बंदियों को जमानत देने के लिए मानक के अनुरूप कार्रवाई सोमवार से शुरू होने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुई इस कार्रवाई में हजारों बंदियों को संक्रमण के इस काल में सलाखों से बाहर आने का मौका मिलेगा। सूबे की 71 जेलों में करीब 1.3 लाख बंदी हैं, जो क्षमता से कई गुना अधिक हैं। ओवरक्राउडिंग के चलते संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए यह कार्रवाई शुरू की गई है।
उत्तर प्रदेश की 71 जेलों में करीब 1.3 लाख बंदी निरुद्ध हैं, जो क्षमता से करीब 68 फीसद अधिक हैं। सूबे की जेलों में मास्क बनाने के साथ ही साफ-सफाई के विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। जेलों में दाखिल हो रहे नए बंदियों को 10 दिनों तक अलग निगरानी में भी रखा जा रहा है। अधिक बंदी होने के चलते जेल अधिकारियों को बंदोबस्त करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कुछ बंदियों की रिहाई से जेल में व्यवस्थाएं करने में आसानी होगी।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने बंदियों की कोरोना वायरस से सुरक्षा का संज्ञान लेते हुए यह अहम आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने आदेश में कहा है कि जेलों में क्षमता से ज्यादा भीड़ गंभीर चिंता का मुद्दा है विशेषतौर पर कोराना महामारी को देखते हुए।
कोर्ट ने प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को एक हाईपावर कमेटी गठित करने का आदेश दिया। इस कमेटी में स्टेट लीगल सविर्स कमेटी के अध्यक्ष, प्रिंसपल सेक्रेटरी गृह या जेल, और डीजीपी कारागार शामिल होंगे। कोर्ट ने कहा कि यह हाईपावर कमेटी तय करेगी कि किस श्रेणी के कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर कितने समय के लिए रिहा किया जा सकता है।