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Fight Against Corona Virus : आयुर्वेद में कोरोना वायरस की काट, कालमेघ बनेगा इसका काल

मॉडर्न मेडिसिन के साथ सीडीआरआइ का फोकस आयुर्वेद की तरफ भी कालमेघ औषधीय पौधे का प्रयोग फीवर व वायरल संक्रमण में किया जाता है। जिसमें वायरल रोगों के नियंत्रण की अपारशक्ति है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 08:11 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 03:55 PM (IST)
Fight Against Corona Virus : आयुर्वेद में कोरोना वायरस की काट, कालमेघ बनेगा इसका काल
Fight Against Corona Virus : आयुर्वेद में कोरोना वायरस की काट, कालमेघ बनेगा इसका काल

लखनऊ, (रूमा सिन्हा)। तमाम चिकित्सा पद्धतियों के बीच आयुर्वेद का रुतबा क्यों बरकरार है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं। दुनिया के तमाम देश जहां कोरोना से त्रहि-त्रहि कर रहे हैं, वहीं भारतीय वैज्ञानिक कोरोना का काल तलाशने में जोर-शोर से जुटे हैं। उम्मीद की किरण जगी है कि औषधीय पौधा कालमेघ कोरोना का काल बनेगा।

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सीडीआरआइ के निदेशक डॉ.तापस के. कुंडू बताते हैं कि मॉडर्न मेडिसिन के साथ हमारा फोकस आयुर्वेद की तरफ भी है। कालमेघ औषधीय पौधे का प्रयोग फीवर व वायरल संक्रमण में किया जाता है। जिसमें वायरल रोगों के नियंत्रण की अपारशक्ति है। कालमेघ में एंडो ग्राफीलाइट पैनीकुलेटम पाया जाता है। यह एक टेट्रासाइक्लिक कंपाउंड है जो वायरस की प्रोटीन के साथ जुड़ता है और उसे खत्म कर देता है।

सीडीआरआइ इसके प्रभावों की पड़ताल कर रहा है। इसके लिए हर्बल टीम तैयार की गई है। उम्मीद है किजल्द कोविड-19 के हर्बल उपचार में सफलता मिलेगी। संस्थान मॉडर्न मेडिसिन के तहत ऐसे मॉलिक्यूल की परख में जुटा है, जो इलाज में कारगर होते दिखाई दे रहे हैं।

तीन फ्रंट पर चल रहा काम
सीडीआरआइ के निदेशक डॉ.तापस के. कुंडू ने बताया कि कोरोना से जंग में संस्थान तीन फ्रंट पर काम कर रहा है। जल्द से जल्द कुछ अलग तरह का ब्रॉड स्पेक्ट्रम डायग्नोस्टिक किट तैयार करने की कोशिश है जो मौजूदा किट से अलग होगा। दूसरा, देश में जहां भी औषधि अनुसंधान किया जा रहा है।

हम कोविड-19 वायरस का प्रोटीन लेकर विकसित दवा को परखकर यह बता सकते हैं कि वह उपचार में कारगर होगी या नहीं। संस्थान ने ऐसे मॉलिक्यूल की पहचान की है जिन्हें कोविड-19 के इलाज के लिए संभावित मॉलिक्यूल के रूप में देखा जा रहा है। प्रो. तपस कुमार कुंडू डायग्नोस्टिक किट तैयार करने में जुटा सीडीआरआइ वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) का केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) डायग्नोस्टिक किट तैयार करने में भी जुटा है। वैज्ञानिकों का प्रयास है कि वायरस के मुकाबले के लिए देश को हर फ्रंट पर तैयार किया जा सके।

यह हैं गुण

  • बुखार और वायरल संक्रमण में किया जाता है कालमेघ पौधे का प्रयोग। इसमें वायरल रोगों के नियंत्रण के गुण पाए जाते हैं कालमेघ में एंडो ग्राफीलाइट पैनीकुलेटम होता है।
  • यह एक टेट्रासाइक्लिक कंपाउंड है जो वायरस की प्रोटीन के साथ जुड़ता है और उसे खत्म कर देता है

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