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राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दौरे से पूर्व यूपी भाजपा में संगठन विस्तार की तैयारी, इन पद के लिए जोड़तोड़ ज्यादा

राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के 28 दिसंबर से आरंभ होने वाले दो दिवसीय दौरे से पूर्व उत्तर प्रदेश भाजपा में संगठन विस्तार की तैयारी है। प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यों की नियुक्ति के अलावा मोर्चा प्रकोष्ठों के प्रदेश प्रमुखों की तैनाती भी होगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 09:15 AM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 09:15 AM (IST)
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दौरे से पूर्व यूपी भाजपा में संगठन विस्तार की तैयारी, इन पद के लिए जोड़तोड़ ज्यादा
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दो दिवसीय दौरे से पूर्व उत्तर प्रदेश भाजपा में संगठन विस्तार की तैयारी है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के 28 दिसंबर से आरंभ होने वाले दो दिवसीय दौरे से पूर्व उत्तर प्रदेश भाजपा में संगठन विस्तार की तैयारी है। प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यों की नियुक्ति के अलावा मोर्चा प्रकोष्ठों के प्रदेश प्रमुखों की तैनाती भी होगी। सबसे अधिक खींचतान भारतीय जनता युवा मोर्चा व महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए है। वहीं किसान व अनुसूचित जाति मोर्चा के लिए दमदार नेता की तलाश जारी है।

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प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह और सह संगठन महामंत्रियों की नियुक्ति के बाद से संगठन विस्तार की गतिविधियां तेज हो गई हैं। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल नियुक्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आधा दर्जन से अधिक दावेदार जोड़तोड़ में लगे हैं।

माना जा रहा है कि भाजपा की बी टीम कहलाने वाले भाजयुमो की कमान ब्राह्मण अथवा ठाकुर समाज के कार्यकर्ता को सौंपी जा सकती है। दावेदारों में जिन नामों की चर्चा जोरों पर है। उसमें प्रांशु दत्त द्विवेदी, मिथलेश त्रिपाठी, अभिषेक कौशिक, वरुण गोयल व हर्षवर्धन सिंह का नाम प्रमुख हैं। महिला मोर्चा में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष दर्शना सिंह का कार्यकाल बढ़ाने की पैरोकारी में एक वर्ग जुटा है, वहीं अर्चना मिश्रा को ब्राह्मण कोटे में दायित्व सौंपे जाने की उम्मीद जताई जा रही है।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नजदीक आने के कारण भाजपा ग्रामीण क्षेत्रों में भी फोकस किए है। विपक्ष द्वारा किसानों को भड़काने की कोशिश को देखते हुए किसान मोर्चा किसी ऐसे तेजतर्रार नेता को सौंपने की तैयारी है, जिसकी गांवों व खेती में पकड़ मजबूत हो और विपक्ष के हमलों का जवाब भी मजबूती से दे सके। दूसरी ओर अनुसूचित वर्ग में बसपा की पकड़ कमजोर होते देख पार्टी अपनी पकड़ बढ़ाने के लिए अनुसूचित जाति मोर्चा की सक्रियता बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है। मिशन 2022 के लिए तैयार होने वाले मोर्चा प्रकोष्ठों के गठन में सामाजिक संतुलन के साथ क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का ध्यान भी रखा जाएगा।


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