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प्रयागराज के चर्चित डॉ. एके बंसल हत्याकांड का राजफाश, STF का दावा- आलोक सिन्हा व दिलीप मिश्रा ने रची थी साजिश

प्रयागराज के चर्चित जीवन ज्योति अस्पताल के संचालक डॉ. अश्वनी कुमार बंसल हत्याकांड का एसटीएफ ने सोमवार को राजफाश करने का दावा किया है। एसटीएफ का कहना है कि प्रयागराज जेल में आलोक सिन्हा और कुख्यात दिलीप मिश्रा ने डॉ. अश्वनी कुमार बंसल की हत्या की साजिश रची थी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 03:22 PM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 05:06 PM (IST)
प्रयागराज के चर्चित डॉ. एके बंसल हत्याकांड का राजफाश, STF का दावा- आलोक सिन्हा व दिलीप मिश्रा ने रची थी साजिश
प्रयागराज के जीवन ज्योति अस्पताल के संचालक डॉ. अश्वनी कुमार बंसल हत्याकांड का एसटीएफ ने राजफाश किया है।

लखनऊ, जेएनएन। प्रयागराज के बहुचर्चित डॉ. बंसल हत्याकांड की साजिश उनके दो दुश्मनों ने मिलकर नैनी जेल में रची थी और भाड़े के हत्यारों से वारदात कराई गई थी। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने करीब चार साल बाद प्रतापगढ़ के शूटर शोएब को गिरफ्तार कर इस सनसनीखेज हत्याकांड से पर्दा उठाया है। एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश का कहना है कि जीवन ज्योति हास्पिटल के संचालक डॉ. अश्वनी कुमार बंसल की हत्या जमीन व लेनदेन के विवाद में कराई गई थी। आरोपित शोएब पर प्रतापगढ़ पुलिस ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। शोएब व उसके साथी फ्रैक्चर गैंग के सक्रिय सदस्य थे।

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एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश के अनुसार डॉ. बंसल ने अपने बेटे अर्पित का दाखिला एक मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी में कराने के लिए आलोक सिन्हा को 55 लाख रुपये दिए थे। यह रकम उसने हड़प ली थी। डॉ. बंसल ने रकम वापस न मिलने पर आलोक सिन्हा के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराकर उसे जेल भेजवाया था। आलोक सिन्हा के विरुद्ध ठगी के कई और मामले भी थे। इसके अलावा डॉ. बंसल का कुख्यात दिलीप मिश्रा से जमीन को लेकर भी विवाद था। प्रयागराज जेल में बंद रहने के दौरान आलोक ने दिलीप के साथ मिलकर डा.बंसल की हत्या कराने का षड्यंत्र रचा था और उनकी बैरक में ही बंद अपराधी अरशद उर्फ अख्तर कटरा ने भाड़े पर हत्या के लिए शूटर मुहैया कराए थे।

प्रयागराज में 12 जनवरी 2017 को जीवन ज्योति हॉस्पिटल में घुसकर दो बदमाशों ने डॉ. बंसल की उनके चैंबर में गोली मारकर हत्या कर दी थी। एसटीएफ ने इस मामले में प्रतापगढ़ निवासी मु.शोएब को सोमवार सुबह लखनऊ के चिनहट क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। उसके कब्जे से .32 बोर की पिस्टल व अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं। एडीजी ने बताया कि एसटीएफ डा.बंसल हत्याकांड की जांच में लंबे समय से लगी थी।

एसटीएफ लखनऊ में तैनात सीओ दीपक सिंह के नेतृत्व में चल रही छानबीन के दौरान प्रतापगढ़ की नगर कोतवाली में जानलेवा हमले समेत अन्य धाराओं में दर्ज मुकदमे में वांछित इनामी बदमाश शोएब के बारे में जानकारी मिली थी। शोएब से पूछताछ में डा.बंसल हत्याकांड का राज खुला। शोएब ने पुलिस को बताया कि डा.बंसल 55 लाख रुपये ठगे जाने के बाद आरोपित आलोक सिन्हा के विरुद्ध दर्ज अन्य मामलों में भी पैरवी कर रहे थे। डा.बंसल के प्रयास से ही कर्नाटक के एक मुकदमें में आलोक पर पुलिस का शिकंजा कसा था, जिसके बाद दोनों के बीच रंजिश और गहरा गई थी।

70 लाख रुपये में हुई थी डील : प्रयागराज की नैनी जेल में दिलीप मिश्रा व अशरफ उर्फ अख्तर कटरा, जुल्फिकार उर्फ तोता, गुलाम रसूल पहले से निरुद्ध थे। सभी एक नंबर सर्किल के बी क्लास बैरक में निरुद्ध थे। उसी बैरक में आलोक सिन्हा भी बंद हुआ था। वहां आलोक व दिलीप के बीच परिचय बढ़ा और दोनों ने डा. बंसल की हत्या की साजिश रची। दिलीप मिश्रा व अख्तर ने अबरार मुल्ला के जरिए मकसूद उर्फ जैद, यासिर व शोएब से भाड़े पर हत्या कराने की डील 70 लाख रुपये में की गई। 15 लाख रुपये वारदात से पहले और 55 लाख रुपये बाद में दिए जाने का सौदा हुआ। अबरार मुल्ला के जरिये ही शोएब व उसके साथियों ने पांच लाख रुपये में दो पिस्टल तथा एक बाइक का बंदोबस्त किया। अबरार ने 10 लाख रुपये अपने पास ही रख लिए थे। 12 जनवरी 2017 की शाम शोएब, यासिर व मकसूद बाइक से जीवन ज्योति हास्पिटल पहुंचे थे। मकसूद बाइक चला रहा था और बाहर ही रुक गया था। शोएब व यासिर ने भीतर जाकर डा.बंसल पर ताबड़तोड़ गोलियां दागी थीं।

रुपये के विवाद में एक साथी को भी मार डाला था : एसटीएफ अधिकारियों के अनुसार घटना के बाद मकसूब व यासिर के बीच रुपये के बंटवारे को लेकर झगड़ा हुआ था। इसी विवाद में अबरार मुल्ला के इशारे पर शोएब व मकसूद ने डा.बंसल हत्याकांड के करीब डेढ़ माह बाद यासिर की भी हत्या कर दी थी। यासिर हत्याकांड में एसटीएफ ने मकसूद को पकड़ा था, लेकिन वह पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा था। मकसूद ने शोएब के बारे में तब पुलिस को कुछ नहीं बताया था। बाद में शोएब अमेठी में हत्या के प्रयास के एक मामले में जेल गया था और जेल से छूटने के बाद मुंबई भाग गया था।

इन वारदात को भी दिया अंजाम : शोएब ने वर्ष 2015 में प्रतापगढ़ में चुनमुन पांडेय की दिनदहाड़े बस में गोली मारकर हत्या की थी। इसी वर्ष डॉ. प्रभात की गोली मारकर हत्या की थी। चिलबिला रेलवे क्रासिंग के पास हुई इस वारदात में हरि प्रताप सिंह के धोखे में डॉ. प्रभात को मौत के घाट उतार दिया गया था। वर्ष 2019 में एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर ठगी के बड़े मामले में भी शोएब व उसके साथियों की अहम भूमिका थी। एसटीएफ महामाया मार्बल के मालिक राजेश सिंह हत्याकांड में भी शोएब की भूमिका की जांच कर रही है।

पेड़ पर गोलियों से लिखा था 1090 : प्रतापगढ़ के भुलियापुर गांव के पास शोएब व उसके साथियों ने जंगल में एक पेड़ पर फायरिंग कर 1090 लिख दिया था। जंगल में सटीक निशानेबाजी का अभ्यास करने के लिए गिरोर नीलगाय, खरगोश व अन्य जीवों पर गोलियां दागता था।


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