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जानें सावन सोमवार पर शिव के किस तरह अभिषेक से पूरी होगी कौन सी मनोकामना

श्रावण मास में भगवान शंकर का नाम लेने मात्र से सारे दु:ख दूर हो जाते हैं। उनकी महिमा का बखान कर रुद्राभिषेक करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 29 Jul 2018 05:08 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jul 2018 09:31 AM (IST)
जानें सावन सोमवार पर शिव के किस तरह अभिषेक से पूरी होगी कौन सी मनोकामना
जानें सावन सोमवार पर शिव के किस तरह अभिषेक से पूरी होगी कौन सी मनोकामना

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। श्रावण मास में भगवान शंकर का नाम लेने मात्र से सारे दु:ख दूर हो जाते हैं। उनकी महिमा का बखान कर रुद्राभिषेक करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान शिव की आराधना के इस महीने के पहले सोमवार को लेकर मंदिरों में तैयारियां पूरी हो गई हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर सुख समृद्धि की कामना करती हैं। मंदिरों में विशेष इंतजाम किए गए हैं। जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की आज से भी भीड़ उमड़ने लगी है। कहा जाता है कि भोले समस्त व्याधिनाशक है। ग्रहजनित दोष भी मिटते हैं। विद्वानों का मत है कि जैसी व्याधि वैसा अभिषेक रोगनाशक और गृह शांति करने वाला है।  

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जैसी व्याधि वैसा अभिषेक

  • शत्रु प्रभाव व प्रेत बाधा दूर करने के लिए नारियल के पानी या सरसों के तेल से अभिषेक करें।
  • कानूनी अड़चनों के लिए तिल्ली के तेल से भगवान शिव का अभिषेक करें।        
  • विवाह बाधा दूर करने के लिए दूध में हल्दी मिलाकर शिव का अभिषेक करना उत्तम होगा।
  • विद्या प्राप्ति के लिए दूध मिले शहद से अभिषेक करना उत्तम होगा।
  • यदि कारोबार में अड़चनें आ रहीं हों तो घी और इत्र या सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करना चाहिए। 
  • असाध्य रोग समाप्त करने के लिए अमर बेल, गिलोय व अनेक औषधियों से अभिषेक करें। 
  • यदि कर्ज अधिक हो या उधार दिया धन वापस न आए तो दूब के रस से अभिषेक करें।
  • पारिवारिक कलह व अचानक नुकसान से बचने के लिए दही से अभिषेक करें।
  • संतान सुख के लिए गुड़ मिले दूध या कुमकुम के जल व धतूरे से शिवजी का अभिषेक करें।
  • वाहन सुख के लिए शिवलिंग को गुलाब के फूलों से ढक कर पूजन करें।
  • लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शर्करा या गन्ने के रस से पूजन करें।
  • अभीष्ट सिद्धि के लिए शहद से पूजन फलदायी रहेगा।

पूरे प्रदेश का माहौल शिवमय 

काशी में बाबा विश्वनाथ, राजधानी लखनऊ में मनकामेश्वर, गोखपुर में बाबा गोरखनाथ, कानपुर में आनंदेश्वर और नोएडा में गढ़मुक्तेश्वर समेत यूपी के सभी प्रमुख मंदिरों में तीर्थ जैसा माहौल है। काशी, मथुरा और अयोध्या की छटा ही निराली है। यहां मंदिर मंदिर हर-हर बम-बम की गूंज उठ रही है। यही नहीं सड़कों पर चल रही कांवड़ यात्रा से पूरे प्रदेश का माहौल शिवमय हो चुका है। द्वादस शिवलिंगों की तर्ज पर बने शिवालयों में उसी स्वभाव प्रभाव के अनुरूप पूजा की तैयारियां हैं। मसलन लखनऊ के महाकाल मंदिर में भोर उज्जैन की तर्ज पर महाकाल की भस्म आरती होगी।

राजधानी में मंदिर-मंदिर हर-हर, बम-बम

यूपी की राजधानी लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर के कपाट भी महंत देव्यागिरि द्वारा की जाने वाली विशेष महाआरती के साथ ही खोल दिए जाएंगे। यहां भोलेनाथ के अभिषेक के लिए मुफ्त गंगाजल का वितरण की व्यवस्था है। कोनेश्वर मंदिर के साथ ही सदर के द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर में भी अभिषेक को लेकर तैयारियां पूरी हो गई हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, बंगलाबाजार के श्री रामजानकी मंदिर, इंद्रेश्वर मंदिर, मौनी बाबा मंदिर व गुलाचिन मंदिर के अलावा सिद्धेश्वर मंदिर, सैसोवीर मंदिर, गोमतेश्वर मंदिर व विन्ध्याचल मंदिर के अलावा शहर के सभी शिव मंदिर पूजन के लिए तैयार हैं। स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर, इंदिरानगर भूतनाथ मंदिर, महानगर के सिद्धेश्वर मंदिर, राजाजीपुरम्, सआदतगंज, आलमबाग, चिनहट के अलावा बख्शी का तलाब के मां चंद्रिका देवी मंदिर के चंद्रकेश्वर महादेव मंदिर, कालेश्वर महादेव मंदिर, इटौंजा के रत्नेश्वर महादेव मंदिर, टीकेश्वर महादेव मंदिर के साथ ही सभी छोटे बड़े पर तैयारियां पूरी हो गई है। मंदिरों को झालरों से सजाया गया है। यही स्थिति यूपी के अन्य शहरों गढ़मुक्तेश्ववर से लेकर काशी तक है। सभी जगह मंदिर जगमग हो रहे हैं।

व्रती महिलाएं ऐसे करें शिव पूजन 

वैसे तो भगवान शिव की पूजा कैसे भी करिए वह प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन विधि विधान से पूजन के नियम भी हैं। इसके तहत सुबह भोले के पूजन के लिए  भगवान को फल, पुष्प, काले तिल, बेलपत्र, गंगाजल, शहद, घी, गौदुग्ध, दही, शर्करा, वस्त्र, मिष्ठान, मौसमी फल, भांग, धस्तूरा फल, गन्ने का रस, बेल और बेर अर्पण कर पंचाक्षर जप से आराधना करनी चाहिए। देशी घी व कर्पूर से आरती उतार कर पूजन का समापन उत्तम होता है। 

मनवांछित फल का सोमवार 

मान्यता है कि श्रावण मास सोमवार को महिलाएं व युवतियां व्रत रखती हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आचार्य जितेंद्र शास्त्री ने बताया कि इस दिन अभिषेक करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। अभिषेक अपनी श्रद्धानुसार किया जा सकता है। श्रावण मास के सोमवार को 'ओम नम: शिवाय' का 108 बार जाप करने मात्र से संपूर्ण बाधाएं दूर होने के साथ ही मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। श्रावण मास का समापन 26 अगस्त को होगा जबकि चार सोमवार पड़ेंगे। पहला सोमवार 30 जुलाई को है। दूसरा तीन अगस्त, तीसरा 13 अगस्त और अंतिम 20 अगस्त को है। 

इसलिए खास श्रावण मास

शिवपुराण के अनुसार श्रावण माह (सर्वोत्तम मास) में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गये थे वहां उनका स्वागत अघ्र्य एवं जलाभिषेक से हुआ था, मान्यता है कि प्रतिवर्ष श्रावण में भगवान शिव अपनी ससुराल जाते हैं, भू-लोकवासियों के लिए शिव कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम मास है। आचार्य विजय वर्मा ने बतायाकि मारकंडू ऋषि पुत्र मारकंडेय जी की अल्पायु थी जिसके मारकंडेय ने श्रावण मास में ही भगवान शिव की अराधना की थी और भगवान शिव का साक्षात्कार हुआ था। प्रथम बार महामृत्युन्जय मंत्र का साक्षत्कार श्रावण मास में मारकण्डेय जी को हुआ था इसलिए भी श्रावण मास विशेष महत्वपूर्ण है।

 राशियों के अनुसार करें पूजन 

  • मेष - शिवजी को लाल चंदन और लाल फूल चढ़ाना चाहिए, नागेश्वराय नम: का जप करना चाहिए।
  • वृष - शिवजी को चमेली का फूल चढ़ाकर रूद्राष्टक का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
  • मिथुन - शिवजी को धतूरा, भांग चढ़ाकर पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
  • कर्क - शिवजी का भांग मिश्रित दूध से अभिषेक करना श्रेयष्कर होगा।
  • सिंह- शिव जी को कनेर के फूल अर्पित करने के साथ शिव चालीसा का पाठ करे
  • कन्या - शिव जी को बेलपत्र धतूरा, भांग आदि चढ़ाए और पंचाक्षरी मंत्र का जप करें।
  • तुला-श्रद्धालु मिश्रित दूध से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए शिव सहस्त्रनाथ स्त्रोत का पाठ करें।
  • वृश्चिक- शिवजी को गुलाब का फूल और बेलपत्र चढ़ाए व रूद्राष्टक का पाठ करें।
  • धनु- शिव जी को पीले फूल चढ़ाएं व खीर का भोग लगाए और तांडव स्त्रोत का पाठ करें।
  • मकर - शिवजी को धतूरा भांग, बेलपत्र, कमल का फूल, चढ़ाने के साथ गौरी का पाठ करें।
  • कुंभ - शिवजी का गन्ने व शहद से अभिषेक करें, पंचक्षरी मंत्र का जाप करें
  • मीन - शिवजी को पंचामृत व पीले फूल और सफेद चंदन की माला अर्पित करें और पंचाक्षरी का पाठ करें।

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