यूपी पंचायत चुनाव में विपक्ष ने कसी कमर, जिला पंचायत सदस्यों पर फोकस कर रहे राजनीतिक दल
UP Panchayat Chunav यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों ने तैयारी तेज कर दी है। विधानसभा आम चुनाव का सेमीफाइनल माने जाने वाले इन चुनावों में सत्ताधारी दल बीजेपी के साथ ही प्रमुख विपक्षी पार्टियां भी कमर कस रही हैं।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मार्च-अप्रैल तक प्रस्तावित हैं। सरकारी गतिविधियां बढ़ने के साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों ने तैयारी तेज कर दी है। विधानसभा आम चुनाव का सेमीफाइनल माने जाने वाले इन चुनावों में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के साथ ही प्रमुख विपक्षी पार्टियां भी कमर कस रही हैं।
यूपी के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अमूमन सभी दलों ने जिला पंचायत सदस्यों के चुनावों पर फोकस किया हुआ है। क्षेत्र और ग्राम पंचायत चुनावों में कार्यकर्ताओं को उतरने के लिए कहा गया है परंतु अधिकृत उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की जाएगी क्योंकि निचले स्तर पर गुटबाजी बढ़ने का खतरा है। जिला पंचायत सदस्य चुनाव में राजनीतिक दल इसलिए भी खुलकर आ जाते हैं क्योंकि पंचायत सदस्य के प्रत्येक सीट के तहत 20 से 22 ग्राम पंचायतें होती हैं। गांवों में इस चुनाव को मिनी विधायक का चुनाव भी कहा जाता है।
भारतीय जनता पार्टी : 3000 से अधिक सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी
भाजपा ने अब पंचायत चुनाव को लेकर जनता के बीच बने रहने की तैयारी की है। इसके लिए मतदाता सूची की तैयारी से लेकर पंचायतों के आरक्षण के कामों तक पार्टी नेताओं को जोड़ा जा रहा है। पंचायत चुनाव के लिए 28 दिसंबर से तीन जनवरी तक मतदाता सूची के निरीक्षण और दावे व आपत्तियां लेने की प्रक्रिया चलेगी। इसके बाद 4 से 11 जनवरी तक दावों और आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। भाजपा ने सेक्टर एवं बूथ कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि पार्टी के समर्थक प्रत्येक पात्र व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने पर पूरा ध्यान दिया जाए। मतदाता सूची और आरक्षण अभियान के बाद पार्टी ने सम्मेलनों की योजना बनाई गई है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व पंचायत चुनाव प्रभारी विजय बहादुर पाठक के मुताबिक पार्टी ने अभी सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के 3000 से अधिक सीटों पर ही प्रत्याशी उतारने की तैयारी की है। ग्राम प्रधान व बीडीसी सदस्य पर पार्टी चुनाव में जाएगी इस पर कोई फैसला अभी नहीं हुआ है।
समाजवादी पार्टी : गांवों में वजूद बचाने की परीक्षा
ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी मजबूत पकड़ मानने वाली समाजवादी पार्टी के लिए यह बड़ी परीक्षा है। गत त्रिस्तरीय पंचायत सपा शासनकाल में होने के कारण प्रदेश में अधिकतर पंचायतों पर इस पार्टी के समर्थकों का कब्जा था। इस बार हालात बदले है परंतु सपा वर्चस्व बचाए रखने के लिए पूरी ताकत से मैदान में है। जिला अध्यक्षों के अलावा सभी वर्तमान व पूर्व जनप्रतिनिधियों को चुनाव की तैयारी में जुटने के निर्देश दिए गए हैैं। संगठन व जनप्रतिनिधियों में समन्वय स्थापित करने के लिए जिलेवार कमेटी गठित की जा रही है। सपा का फोकस जिला व क्षेत्र पंचायतों में रहेगा। ग्राम पंचायतों के चुनाव में सपाई उतरेंगे परंतु पार्टी अधिकृत उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी।
बहुजन समाज पार्टी : प्रत्याशियों की सूची फाइनल करने के निर्देश
बहुजन समाज पार्टी ने भी पंचायत चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। जिलाध्यक्षों के साथ मंडल प्रभारियों को जिला पंचायत चुनाव के लिए संभावित प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप देने को कहा है। मिशन 2022 को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी चयन में सोशल इंजीनियरिंग का भी ध्यान रखा जा रहा है। बसपा प्रमुख मायावती के जन्मदिन 15 जनवरी के बाद तैयारियों को और गति दी जाएगी।
कांग्रेस : करो या मरो जैसे हालात
प्रदेश की राजनीति में करीब तीन दशक से वनवास भोग रही कांग्रेस अपना खोया जनाधार पाने के लिए राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में प्रयोग पर प्रयोग कर रही है। करो या मरो जैसी स्थिति से गुजर रही कांग्रेस गत विधानसभा उपचुनाव व विधान परिषद चुनावों में कोई चमत्कार नहीं कर सकी। गांवों में में अपनी उपस्थिति का अहसास कराने की कोशिश में जुटी इस पार्टी ने जिलेवार बैठकें शुरू की है।