Move to Jagran APP

Girdhari Encounter Case: पुलिस ने कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, कहा-बचाने का क‍िया पूरा प्रयास

Allahabad High Court News पुलिस आयुक्त ने अपने हलफनामे में कहा है कि गिरधारी ने आकस्मिक व अप्रत्याशित रूप से पुलिस बल पर हमला कर उन्हेंं घायल किया था। सरकारी पिस्टल लूटकर पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 10:02 PM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 10:02 PM (IST)
Girdhari Encounter Case: पुलिस ने कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, कहा-बचाने का क‍िया पूरा प्रयास
गिरधारी एनकाउंटर मामलें में पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा। News

लखनऊ, जेएनएन। पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की हत्या के आरोपित शूटर कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी उर्फ डॉक्टर की पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत के मामले में शुक्रवार को डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन, एसीपी विभूतिखंड प्रवीण मलिक व इंस्पेक्टर चंद्रशेखर सिंह कोर्ट में उपस्थित हुए। तीनों ने अपना-अपना हलफनामा न्यायालय में दाखिल किया। उधर, पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर की ओर से भी हलफनामा दाखिल किया गया। जिला जज दिनेश कुमार शर्मा, तृतीय ने हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए परिवादी राकेश को चार दिन की मोहलत दी है। अब मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी। दरअसल, 17 फरवरी को गिरधारी के भाई राकेश विश्वकर्मा की ओर से वकील प्रांशु अग्रवाल ने परिवाद दाखिल किया था। इसमें पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। कहा गया है कि 14 फरवरी की रात पुलिस ने गिरधारी की हत्या कर दी। लिहाजा, बतौर मुल्जिम इन्हेंं तलब कर दंडित किया जाए। 

loksabha election banner

उधर, पुलिस आयुक्त ने अपने हलफनामे में कहा है कि गिरधारी ने आकस्मिक व अप्रत्याशित रूप से पुलिस बल पर हमला कर उन्हेंं घायल किया था। सरकारी पिस्टल लूटकर पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था। पुलिस की कार्रवाई के बाद उसे जीवित व घायल अवस्था में पकड़कर जीवन रक्षा के लिए तत्काल डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया,  लेकिन दुर्भाग्य से उसकी मौत हो गई। गिरधारी की मौत पुलिस अभिरक्षा में नहीं हुई है, बल्कि फरार होकर पुलिस बल पर किए गए ताबड़तोड़ जानलेवा हमले के परिणामस्वरूप प्रतिरक्षा में की गई फायरिंग में वह घायल हुआ था। 

कोर्ट के आदेशों का किया पालन

पुलिस अधिकारियों के हलफनामे में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन किया गया है। 16 फरवरी को इस घटना की सूचना, पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व एफआइआर की प्रति राज्य मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेज दी गई है। इसके साथ ही मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी प्रति भेजी गई है। इस मामले की विवेचना पूर्वी जोन से इतर मध्य जोन के सहायक पुलिस आयुक्त, हजरतगंज को सौंपी गई है। 

सात साल भगोड़ा रहे आरोपित को जमानत से इंकार 

सात साल तक छकाने के बाद पुलिस के हत्थे चढ़े हत्या के प्रयास के एक आरोपित को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जमानत देने से इंकार कर दिया। आरोपित ने मेडिकल आधार पर जमानत देने की अर्जी दी थी। कोर्ट ने कहा कि आरोपित का डा राम मनोहर लोहिया संस्थान में इलाज चल रहा है। जैसे ही इलाज पूरा हो जाये आरोपित को वापस जेल भेज दिया जाए। यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने आरोपित अंशुमान पांडे की जमानत अर्जी पर पारित किया है। उसकी ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रुक्मिनी बोबडे ने उसे मेडिकल आधार पर शार्ट टर्म के लिए रिहा करने की मांग की थी।

अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम राव नरेंद्र सिंह ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपित के खिलाफ पांच मुकदमों का अपराधिक इतिहास है। वह भगोड़ा घोषित होने के बाद भी गिरफ्तारी से बचता रहा। बड़ी मुश्किल से पुलिस ने उसे कुछ समय पहले गिरफ्तार किया है। ऐसे में आरोपित जमानत पाकर येन-केन प्रकारण बाहर आना चाहता है। आरोपित अंशुमान पांडे के खिलाफ गोमतीनगर थाने में 2013 में रिपोर्ट लिखाई गई थी। वादी का कहना था कि जिस स्कूल में वह काम करता था आरोपित उसका सेके्रटरी था। जब वह अपना वेतन मांगने उसके घर गया तो उसने उसे गोली मार दी। उसने चार चार बार उसके ऊपर फायर किया, जिसमें उसे गंभीर चोटें आईं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.