महिला अपराध की 215 शिकायतों को भूली पुलिस, इंसाफ की आस में लंबा इंतजार Lucknow News
कई शिकायतों में दो-तीन वर्ष से नहीं पुलिस ने नहीं लिया एक्शन। गाजियाबाद गौतमबुद्ध नगर में सबसे ज्यादा लंबित मामले।
लखनऊ [धीरेन्द्र सिंह]। महिला सुरक्षा को लेकर पिछले दिनों यूपी पुलिस की जो तस्वीर सामने आई है, वह अच्छी नहीं है। यहीं वजह रही कि सीएम योगी आदित्यनाथ को पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर दो टूक कहना पड़ा था कि महिला सुरक्षा के मामले में सीधे तौर पर डीएम और एसएसपी जिम्मेदार हैं, लेकिन इसके बाद भी पुलिस महिला अपराध से जुड़ी 768 शिकायतों में 215 को भूल गई। इसमें से कई शिकायतों में पीडि़त तीन वर्ष से कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।
यूपी पुलिस के विकल्प पोर्टल पर प्रदेश भर से महिलाएं उनके खिलाफ होने वाले अपराध की शिकायत दर्ज करा रही हैं, लेकिन उनकी सुनवाई की गति बहुत धीमी है। आलम यह है कि इस वर्ष प्रदेश भर से महिलाओं द्वारा 13 जून तक दर्ज कराई गई 768 शिकायतों में 215 शिकायतों पर पुलिस ने रिस्पांस ही नहीं दिया। जो कि अब तक कुल शिकायतों का 27 प्रतिशत है।
जिलों में पुलिस नहीं ले रही संज्ञान
पोर्टल पर दर्ज होने वाली शिकायतों की अपडेट सीधे जिले के प्रभारी, जोन व रेंज प्रभारी तक अलर्ट के रूप में पहुंचती है। पोर्टल का उद्देश्य 24 घंटे में शिकायतों पर कार्रवाई का था। लेकिन प्रदेश के कई जिले इन शिकायतों पर संज्ञान नहीं ले रहे हैं। इसमें गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर की स्थिति सबसे खराब है। गाजियाबाद जिले की 36 और गौतमबुद्धनगर की 30 शिकायतों पर पीडि़ताओं को अब तक न्याय नहीं मिला है। वहीं सीतापुर, हमीरपुर, हरदोई, जौनपुर, देवरिया समेत अन्य जिलों में कई मामले लंबित है, जिनमें जिला पुलिस की तरफ से कार्रवाई से अवगत नहीं कराया गया है।
राजधानी में भी सुस्त चाल
कहने को राजधानी लखनऊ में यूपी पुलिस का हाईटेक स्वरूप दिखता है, लेकिन इसी जिले में छह शिकायतों पर अभी तक रिजल्ट सामने नहीं आया है।
गोरखपुर और वाराणसी में सुधार
पोर्टल पर महिलाओं से जुड़ी गोरखपुर और वाराणसी जिले की शिकायतों में पेंडेंसी केवल एक-एक मामले की है। इन जिलों में शिकायतों का निस्तारण जल्द हो रहा है।
एडीजी महिला सम्मान प्रकोष्ठ अंजू गुप्ता ने इस मामले में फिलहाल कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड देखने के बाद ही कुछ कह सकती हूं।
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