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Lucknow Nagar Nigam: लखनऊ में प्लांट शुरू, अब सड़कों पर नहीं फैलेगी मृत पशुओं की दुर्गंध; प्रदूषण पर लगेगी रोक

लखनऊ शहर के मृत पशुओं का निस्तारण अब आधुनिक मशीन से होने लगा है। इसके लिए माडर्न कारकस यूटिलाइजेशन प्लांट मोहान रोड शिवरी के पास लगाया गया है। यहां पिछले तीन दिन से हर रोज पचास से अधिक मृत पशुओं को यहां भेजा जा रहा है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 11:21 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 01:54 PM (IST)
मृृत पशुओं से फैल रहे वायु प्रदूषण को देखते हुए ही कारकस यूटिलाइजेशन प्लांट लगाने की योजना बनाई गई थी।

लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। शहर के मृत पशुओं का निस्तारण अब आधुनिक मशीन से होने लगा है। इसके लिए माडर्न कारकस यूटिलाइजेशन प्लांट मोहान रोड शिवरी के पास लगाया गया है। यहां पिछले तीन दिन से हर रोज पचास से अधिक मृत पशुओं को यहां भेजा जा रहा है। वैसे तो यह प्लांट लगाने की योजना अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते समय ही लखनऊ की झोली में आ गई थी, लेकिन हरदोई रोड पर जमीन का विवाद और नगर निगम की तरफ से कोई भूमि न मुहैया कराने से यह परियोजना हाथ से निकल गई थी। दरअसल, 1998 में मिली इस परियोजना के लिए हरदोई रोड पर जगह चिह्नित की गई थी लेकिन, आसपास आबादी होने से विरोध होने लगा था। 

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जेडी इंजीनियर्स कर रहा संचालनः मृृत पशुओं से फैल रहे वायु प्रदूषण को देखते हुए ही कारकस यूटिलाइजेशन प्लांट लगाने की योजना बनाई गई थी। करीब तीन साल पहले शासन से मिले बजट के बाद नगर निगम ने शिवरी के पास इसे लगाने का निर्णय लिया था। वैसे तो इसका संचालन नगर निगम ही करेगा लेकिन, नगर निगम ने अभी प्लांट लगाने वाले जेडी इंजीनियर्स को ही संचालन का जिम्मा दे रखा है। 

अभी खुले नाले या खुली जगह पर फेंके जाते हैं मृत पशुः शहर में कुत्ता व बिल्ली मरने पर नगर निगम का कर्मी उसे उठाकर किसी नाले या जंगल में फेंक देता था। इसके अलावा गोमतीनगर में फन मॉल के पीछे सेना से विवादित जमीन पर मृत पशुओं को दफन कर दिया जाता था। इसी तरह बड़े पशु (गाय-भैंस, सांड़, गधा व अन्य) के मरने पर नगर निगम किसी ठेकेदार को उसे उठाने का जिम्मा दे देता था, जो दूरदराज किसी खुली जगह मृत पशु की खाल उतारकर और हड्डी निकालकर अवशेष वहीं छोड़ देता था, जिससे कुछ दिन बाद दुर्गंध आने लगती थी। 

ऐसे होगा मृत पशुओं का निस्तारण

  • मृत पशुओं को पहले साफ किया जाएगा और दुर्गंध खत्म करने के लिए कुकिंग की जाएगी। इसमें लकड़ी का भी उपयोग होगा।
  • बड़े पशुओं का चमड़ा अलग कर टेनरी को बेचा जाएगा।
  • गोश्त व अन्य अवशेष से मुर्गी दाना और मछली का दाना बनाने का रॉ मैटेरियल तैयार होगा। इसे भी नगर निगम बेचेगा
  • चर्बी को भी बेचा जाएगा, जिसका उपयोग साबुन, शैंपू व अन्य उत्पादों में हो सकेगा। 

माडर्न कारकस यूटिलाइजेशन प्लांट चालू हो गया है। मृत पशुओं को लाने के लिए नगर निगम ने दो वाहन लगा दिए हैं। इस प्लांट की क्षमता बड़े पशु (सौ) रोजाना है। छोटे पशुओं को मिलाकर हर दिन डेढ़ सौ मृत पशुओं का निस्तारण हो सकेगा। इनके अवशेष से भी नगर निगम को कमाई होगी। -महेश कुमार वर्मा, मुख्य अभियंता, नगर निगम


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