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Unnao Physical Abuse Case : यूपी में दुष्कर्म पीड़िताओं को नहीं मिल सका काउंसिलिंग सेल का सुरक्षा कवच

Unnao physical abuse case डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि जल्द प्रदेश के सभी जिलों में काउंसिलिंग सेल का गठन कराया जाएगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 06:38 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 08:45 AM (IST)
Unnao Physical Abuse Case : यूपी में दुष्कर्म पीड़िताओं को नहीं मिल सका काउंसिलिंग सेल का सुरक्षा कवच
Unnao Physical Abuse Case : यूपी में दुष्कर्म पीड़िताओं को नहीं मिल सका काउंसिलिंग सेल का सुरक्षा कवच

लखनऊ [आलोक मिश्र]। दुष्कर्म की घटना के बाद पीड़िता ही नहीं उसका पूरा परिवार तिल-तिल घुटता है और पल-पल नई चुनौतियों का सामना करने को मजबूर होता है। सामाजिक तानाबाना आड़े आता है। प्रभावशाली आरोपित उससे बड़ी मुसीबत होता है। उन्नाव का माखी कांड इसका गवाह रहा है, जब दुष्कर्म पीड़िता के पिता को पीटकर झूठे मुकदमे में जेल भेजा गया और उसकी मौत हो गई। माखी दुष्कर्म कांड में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर मुख्य आरोपित हैं और जेल में बंद हैं। ऐसी कई अन्य घटनाएं भी हैं, जहां पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा से लेकर काउंसिलिंग तक की जरूरत है। उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता को भी काउंसिलिंग का सुरक्षा कवच मिला होता तो शायद वह हमले से बची रही होती। 

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पुलिस मुख्यालय में 28 व 29 नवंबर को हुई अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस में महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी एक सत्र में गहन मंथन हुआ था और समापन समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ने ऐसे आयोजनों में आए सुझावों पर फील्ड पर हुए क्रियान्वयन को लेकर बड़ा सवाल उठाया था। यूपी पुलिस ने अलग-अलग स्तर पर दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए सुरक्षा कवच तैयार करने के प्रयास तो किए, लेकिन समग्रता में कोई बड़ी कार्ययोजना कभी धरातल पर नहीं उतर सकी।

लखनऊ में वर्ष 2013 में तत्कालीन एसएसपी जे.रवींद्र गौड़ ने उन पीड़िताओं के दर्द को समझा था, जो लाख कोशिशों के बाद समाज, परिवार और हालत में टूटती चली गईं। खाकी ने उनके लिए मानवीय पहल की थी और दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं व उनके परिवार की मदद के लिए काउंसिलिंग सेल का गठन किया था। शुरुआती चरण में राजधानी पुलिस ने 32 नाबालिग पीड़िताओं को चिह्नित किया था और उन्हें काउंसिलिंग के साथ कानूनी लड़ाई में सहारा तक दिलाया था। सेल में महिला सीओ के साथ चाइल्ड लाइन, स्वयंसेवी संगठनों व मनोचिकित्सकों को जोड़ा गया था।

जून 2018 में मुरादाबाद में भी दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए काउंसिलिंग सेल का गठन हुआ था। मुरादाबाद महिला थाना प्रभारी ज्योति सिंह बताती हैं कि सेल के जरिये अब तक करीब 110 केसों में पीड़िताओं की मदद की गई है। 10 मामलों में अब तक आरोपितों को सजा दिलाने में सफलता भी मिली। डीजीपी ओपी सिंह ने इस प्रयास को पूरी मुरादाबाद रेंज में लागू कराया था, लेकिन ऐसी सार्थक पहल पूरे प्रदेश में लागू नहीं हो सकी थी। पुलिस, समाज कल्याण व अन्य संबंधित विभागों के बजट से ऐसी कोई बड़ी योजना दुष्कर्म पीड़िताओं व उनके परिवार के लिए साकार रूप नहीं ले सकी है, जिससे पीड़िता की सुरक्षा से लेकर काउंसिलिंग व कानूनी लड़ाई में मदद के लिए हर जिले में एक प्लेटफार्म उपलब्ध हो सके। डीजीपी का कहना है कि जल्द प्रदेश के सभी जिलों में काउंसिलिंग सेल का गठन कराया जाएगा।


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