हाथ हो गया था बेजान, PGI के डॉक्टर इस तकनीक से लाए जान Lucknow News
पीजीआई के डॉक्टर ने नर्व इंजरी से लकवाग्रस्त हुए हाथ को सर्जरी से किया ठीक।
लखनऊ [कुमार संजय]। सड़क दुर्घटना का शिकार हुए 27 वर्षीय सोनू को न कोई बाहरी चोट लगी, न कोई फ्रैक्चर हुआ। लेकिन हाथ अपने आप ही बेजान हो गया। एसजीपीजीआइ के प्लास्टिक सर्जन प्रो. अंकुर भटनागर ने पैर की नर्व को हाथ में ड्रॉफ्ट कर दिया। जिससे सोनू के हाथ में जान वापस आ गई है। नर्व डैमेज होने से दिमाग हाथ को निर्देश देना बंद कर देता है। इससे हाथ में लकवा मार जाता है। ऐसे में ब्रेकियल पेक्सिस नर्व सर्जरी के जरिये इलाज संभव हो गया है।
इस वजह से बेजान हुए थे हाथ
हाथ को कमांड देने के लिए पांच नर्व होती हैं। कुछ लोगों में सभी नर्व डैमेज होती हैं तो कुछ में दो या तीन। यदि कुछ ही नर्व डैमेज हैं तो उन्हें जोडऩे के लिए माइक्रो न्यूरल सर्जरी की जाती है। सभी नर्व के डैमेज होने पर शरीर के दूसरे अंग की नर्व को निकालकर ग्राफ्ट (रोपित) करते हैं। इस जटिल सर्जरी में आठ से नौ घंटे लगते है। नर्व को जोडऩे के बाद नर्व ग्लू लगाकर उसे फिक्स कर दिया जाता है। ब्रेकियल पेक्सिस इंजरी के 10 फीसद मामलों में समय के साथ हाथ काम करने लगता है, लेकिन 90 फीसद मामलों में सर्जरी या दवा से ही इलाज संभव होता है। नर्व इंजरी का पता एमआरआइ और नर्व कंडक्शन जांच से लगता है।
क्या है नर्व
मांसपेशियां दिमाग से आने वाले सिग्नल ग्रहण कर काम करती हैं। मांसपेशियों तक ये सिग्नल 0.5 से दो मिमी मोटाई के तंतु से माध्यम से जाते हैं। इन्हीं तंतुओं को नर्व कहते हैं।
इंजरी के तीन से छह महीने में सर्जरी से परिणाम बेहतर
प्रो. अंकुर के मुताबिक, नर्व इंजरी के मामले देर से आते हैं, जिसके कारण सर्जरी का परिणाम उतना बेहतर नहीं मिलता। देखा गया है कि तीन से छह महीने में सर्जरी करने पर एक साल में बेहतर परिणाम मिलने लगता है।
सोनू की कलाई भी होगी सीधी
सोनू के हाथ की पूरी ताकत लौट आई है, लेकिन कलाई लटक रही है। अब कलाई को सीधा करने के लिए इसी हफ्ते आर्थोडिसेस सर्जरी कर कलाई में प्लेट लगाई गई है जिसके बाद कलाई सीधी हो गई है। अब सोनू दोनों हाथों से काम कर पाएगा। प्रो. अंकुर के मुताबिक नर्व सर्जरी के बाद ताकत आने में छह महीने से एक साल तक लगता है। एक सर्जरी में 30 से 35 हजार का खर्च आता है।