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लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों की बढ़ रही मुश्किल, ओटी घटीं-ऑपरेशन की वेटिंग बढ़ी

लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों का ऑपरेशन वेटिंग में शहीद पथ स्थिति मातृ-शिशु रेफरल अस्पताल है। पीडियाट्रिक इंडोक्राइन सर्जरी गाइनी के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है। 200 बेड का यह हॉस्पिटल अब कोविड अस्पताल बन चुका है। महिलाओं के ट्यूमर के ऑपरेशन बंदब्रेस्ट कैंसर-थायराइड के मरीज परेशान।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 12:51 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 12:51 PM (IST)
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों की बढ़ रही मुश्किल, ओटी घटीं-ऑपरेशन की वेटिंग बढ़ी
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों का ऑपरेशन वेटिंग में, शहीद पथ स्थिति मातृ-शिशु रेफरल अस्पताल है।

लखनऊ, जेएनएन। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों का ऑपरेशन वेटिंग में है। कारण, विभागों के ऑपरेशन थियेटर (ओटी) का घटना है। ऐसे में पीडियाट्रिक, इंडोक्राइन सर्जरी, गाइनी के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है।

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लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान का शहीद पथ स्थिति मातृ-शिशु रेफरल अस्पताल है। 200 बेड का यह हॉस्पिटल अब कोविड अस्पताल बन चुका है। यहां से गाइनी एंड ऑब्स, पीडियाट्रिक सर्जरी, इंडोक्राइन सर्जरी समेत अन्य विभाग मुख्यकैंपस में शिफ्ट कर दिए गए हैं। ऐसे में गाइनी एंड ऑब्स की इमरजेंसी ओटी संचालित रहीं। वहीं, रूटीन सर्जरी महिलाओं की बाधित रहीं। यह अभी तक शुरू नहीं हो सकी हैं। वहीं पीडियाट्रिक सर्जरी व इंडोक्राइन सर्जरी को काफी मशक्त के बाद अब एक-एक दिन ऑपरेशन के लिए ओटी मिल सकी। लिहाजा, नए मरीजों के साथ-साथ पुराने मरीजों के ऑपरेशन वेटिंग में हैं।

पहले तीन दिन बच्चों के ऑपरेशन

लोहिया संस्थान में पहले सप्ताह में तीन दिन ऑपरेशन होते थे। सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को 12 से 16 ऑपरेशन किए जाते थे। वहीं, अब मुख्य कैंपस में सिर्फ शुक्रवार के लिए ओटी मिली है। यह पेनमैनेजमेंट की ओटी है। ऐसे में दूसरे विभाग की ओटी में एक दिन ऑपरेशन की छूट मिलने पर तीन से चार ऑपरेशन की बच्चों के हो पाते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर-थायराइड के मरीज परेशान

थायराइड-ब्रेस्ट कैंसर आदि ग्रंथियों के ऑपरेशन पहले मंगलवार व बुधवार को होते थे। वहीं, अब विभाग के डॉक्टर को सप्ताह में एक दिन ऑपरेशन की अनुमति मिली है। इसमें इंडोक्राइन के डॉक्टर आर्थोपेडिक विभाग की ओटी में ऑपरेशन करते हैं। लिहाजा, पहले जहां आठ के करीब सप्ताह में ऑपरेशन हो जाते थे। वहीं अब तीन से चार मरीज ही मरीज हो पाते हैं।

महिलाओं के ट्यूमर के ऑपरेशन बंद

ऑब्स एंड गाइनी विभाग भी मुख्य कैंपस में आ गया है। ऐसे में इमरजेंसी में महिला के सिजेरिएयन प्रसव संबंधी ऑपरेशन हो रहे हैं। मगर, हिस्टरेक्टॉमी बंद है। ऐसे में यूट्रेस को निकालने की ऑपरेशन, ट्यूमर के ऑपरेशन ठप हैं। लिहाजा, रूटीन में सिजेरिएयन प्रसव भी हो रहे हैं।

क्या कहते हैं लोहिया संस्थान के प्रवक्ता 

लोहिया संस्थान प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश सिंह के मुताबिक, मुख्य कैंपस में विभाग शिफ्ट किए गए हैं। ऐसे में ओटी की संख्या घट गई हैं। जिन मरीजों की दिक्कत अधिक है, उनके ऑपरेशन पहले करने का फैसला लिया जाता है। शेष को अगले दिन की ओटी की तारीख दी जाती है।


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