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KGMU में कई विभाग निष्क्रिय, सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं चरमराईं-मरीजों की भर्ती बंद

मरीज भटकने को मजबूर सरकार ने स्थाई पदों के साथ-साथ संविदा शिक्षकों की भर्ती की भी छूट दे रखी है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 07:15 AM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 07:35 AM (IST)
KGMU में कई विभाग निष्क्रिय, सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं चरमराईं-मरीजों की भर्ती बंद
KGMU में कई विभाग निष्क्रिय, सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं चरमराईं-मरीजों की भर्ती बंद

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं चरमरा गईं हैं। कई विभागों में भर्ती बंद है। मरीज निजी अस्पताल में लुटने को मजबूर हैं। यह हाल तब है, जब सरकार ने स्थाई पदों के साथ-साथ संविदा शिक्षकों की भर्ती की भी छूट दे रखी है। 

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वर्ष 2016 में केजीएमयू में 80 से अधिक विभाग थे। शासन ने नए विभागों को हरी झंडी के साथ-साथ पद भी मंजूर कर दिए। इसमें कुछ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के आधार पर खोले गए, मगर सुपर स्पेशियलिटी विंग के इन विभागों में बैक गियर लग गया। कई का दूसरे विभाग में विलय कर निष्क्रिय कर दिया गया। ऐसे में अब संस्थान में 56 से कम विभाग हो गए। मरीजों का भार पीजीआइ, लोहिया संस्थान पर बढ़ गया। यहां के कई विभागों में भर्ती बंद है। मरीज निजी अस्पताल में महंगा इलाज को मजबूर हैं। सबसे अधिक दिक्कत गुर्दा रोगियों को हो रही है। 

पद मंजूर, विभाग गायब 

16 अप्रैल 2015 को सरकार ने नौ विभागों को मंजूरी दी थी। इनके लिए एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर, एक असिस्टेंट प्रोफेसर व तीन सीनियर रेजीडेंट के पद स्वीकृत किए गए। इसमें से वर्ष 2016 के बाद वस्कुलर सर्जरी विभाग, थोरेसिक सर्जरी विभाग का सीवीटीएस में विलय कर दिया गया। मेडिकल आंकोलॉजी व न्यूक्लियर विभाग पद सृजित होने के बावजूद शुरू नहीं हो सके। साथ ही रेडिएशन फिजिक्स विभाग का रेडियोथेरेपी विभाग में विलय कर दिया गया। यही हाल ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग का रहा। यह विभाग कागजों पर चल रहा है। इसकी जिम्मेदारी यूरोलॉजी व गैस्ट्रो सर्जरी विभाग को सौंप दी गई है।

पांच विभाग, यूनिट में सिमटे

केजीएमयू में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए पांच विभाग बनाए गए। इसमें स्टेम सेल, मॉलीक्यूलर एंड जेनेटिक्स, सेल कल्चर, आडोंटोलॉजी एंड फिंगर प्रिंटिंग आदि नाम दिए गए, मगर अब सिर्फ यह यूनिट में तब्दील होकर सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च में सिमट गए हैं।

करोड़ों खर्च, सिर्फ ओपीडी सेवा

केंद्र सरकार ने मानसिक रोगियों के इलाज के लिए जीरियाट्रिक मेडिसिन विभाग खोलने के लिए बजट दिया। वर्ष 2016 में खुले विभाग में सिर्फ ओपीडी है। मरीजों की भर्ती नहीं होती है। ऐसे ही एडोलसेंट चाइल्ड साइकियाट्री डिपार्टमेंट निष्क्रिय पड़ा है। यहां सिर्फ ओपीडी ही चलती है। ऐसे ही महिलाओं की बांझपन आदि समस्याओं के लिए प्रस्तावित रिप्रोडक्टिव हेल्थ मेडिसिन विभाग धरातल पर नहीं आ सका। नेफ्रोलॉजी विभाग व इंडोक्राइन विभाग में भी भर्ती बंद है।

क्‍या कहते हैं अफसर ?

केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मूताबिक, शिक्षक भर्ती का विज्ञापन निकाला जा चुका है। शीघ्र ही साक्षात्कार प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जिन विभागों में मरीज भर्ती नहीं हो पा रहे हैं, वहां सुविधा शुरू की जाएगी।


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