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आपको थोड़ा इंतजार करना होगा, न्यूरो चिकित्सक अभी नहीं आए हैं...कोरोना काल में आम रोगियों के इलाज में दिक्कतों

वैश्विक महामारी कोरोना काल में आम रोगियों के इलाज में अस्पतालों में मुश्किलें । दुर्घटनाग्रस्त मरीज घंटों खड़े रहने के बाद दूसरी जगह इलाज कराने को मजबूर। मरीजों को लिए उनके तीमारदार इधर से उधर भटक रहे हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 01:57 PM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 01:57 PM (IST)
आपको थोड़ा इंतजार करना होगा, न्यूरो चिकित्सक अभी नहीं आए हैं...कोरोना काल में आम रोगियों के इलाज में दिक्कतों
कोरोना काल में आम रोगियों को लिए उनके तीमारदार इधर से उधर भटक रहे हैं।

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना संक्रमित मरीजों के बीच अब आम रोगियों के इलाज में अस्पतालों में मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। हाल यह है कि इलाज के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। तीमारदार भटक रहे हैं। केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में दुर्घटनाग्रस्त मरीज घंटों खड़े रहने के बाद दूसरी जगह इलाज कराने को मजबूर हैं। ट्रामा सेंटर में आम मरीजों कों इन दिनों आ रही दिक्कतों पर रिपोर्ट...।

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दृश्य - एक: मौरावां में दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल शिल्पी साहू को उनके परिवारजन सुबह तकरीबन सात बजे केजीएमयू के ट्रामा सेंटर लाए। सिर में गंभीर चोट लगी थी। मौजूद चिकित्सकों ने देखा। बताया कि इंतजार कीजिए! अभी न्यूरो के डाक्टर नहीं हैं, आएं कब तक आएंगे यह कहना मुश्किल है। परिवारजन की मानें तो करीब छह घंटे बिताने के बाद भी जब चिकित्सक नहीं आए और सही बात बताने वाला कोई नहीं मिला तो कानपुर इलाज के लिए लेकर चले गए।

दृश्य - दो : अयोध्या से वरुण कुमार अपने नवजात भांजे को लेकर दोपहर करीब एक बजे ट्रामा सेंटर पहुंचे। कागजी कोरम पूरा करने और इधर-उधर भागने में डेढ़ घंटे से अधिक का समय बीत गया। वरुण के मुताबिक नवजात शिशु को आक्सीजन लगी हुई। उसकी सांस नली और आहार नली में दिक्कत थी। काफी देर भटकने के बाद उसका इलाज शुरू हो सका। अब चिकित्सकों की टीम ने नवजात को संभाला है।

इलाज के लिए की शिकायत : बलरामपुर कोविड अस्पताल के बाहर बोलेरो में बैठे अपने नाना श्याम नारायण निवासी बाराबंकी फतेहपुर का हाल घर वालों को फोन कर बता रहे सोमेश्वर सिंह काफी परेशान थे। उन्होंने बताया कि पांच दिन पहले नाना को यहां भर्ती कराया था। दो दिन तक तो कोई सुनवाई नहीं कर रहा था। इसके बाद उच्चाधिकारियों को फोन कर स्टाफ की शिकायत की। इसके बाद इलाज ठीक से शुरू हुआ। अब स्टाफ नर्स भी  ठीक से सुनती हैं। 


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