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ISI की साज‍िश : सुविधाओं के नाम पर बरगला रहा भारतीय सेना के जवानों को Lucknow news

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की ओर से फेसबुक पर पूर्व सैनिक संगठन के नाम से बनाए जा रहे अकाउंट। पेंशन वेतन का मुद्दा उछालकर बरगलाने की करते हैं कोशिश।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 07:51 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 01:05 PM (IST)
ISI की साज‍िश : सुविधाओं के नाम पर बरगला रहा भारतीय सेना के जवानों को Lucknow news
ISI की साज‍िश : सुविधाओं के नाम पर बरगला रहा भारतीय सेना के जवानों को Lucknow news

लखनऊ, (निशांत यादव)। सेना के जवान और अफसरों के बीच सुविधाओं, वेतन को लेकर असंतोष पैदा करने की साजिश रची जा रही है। फेसबुक पर पूर्व सैनिकों के संगठनों के नाम से कुछ फर्जी अकाउंट बनाए गए हैैं। उनके जरिए सेना की ओर से दी जा रही सुविधाओं की आलोचना करते हुए गलत जानकारी पोस्ट कर जवानों को भ्रमित किया जा रहा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने ही यह नया पैंतरा आजमाया है। हालांंकि, ग्रुप से जुड़े जवान बरगलाने वालों को मुंह तोड़ जवाब दे रहे हैैं। जबकि खुफिया एजेंसियां भी इन फेसबुक अकाउंट पर नजर रख रही हैैं। भारतीय सेना की ओर से जवानों और सैन्य अधिकारियों को सोशल मीडिया का सावधानी से इस्तेमाल करने की एडवायजरी दोबारा जारी की गई है।

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ऐसे हुई जानकारी 

सीमा पार से इस साजिश का पता खुफिया एजेंसियों को तब चला, जब कुछ जवानों ने पूर्व सैनिकों के नाम से बने कुछ फेसबुक अकाउंट के बारे में अपनी यूनिटों से जानकारी साझा की। नौसेना, वायुसेना और थलसेना पूर्व सैनिक वेलफेयर से जुड़ते नाम वाले फेसबुक अकाउंट बनाए गए हैैं। ताकि खासतौर पर पूर्व सैनिक अपनी पेंशन, योजनाओं के बारे में अपडेट जानकारी हासिल करने के लिए उससे जुड़ जाएं। पूर्व सैनिकों को जोडऩे के बाद इसी ग्रुप के जरिए उनके म्यूच्युअल फ्रेंड लिस्ट में मौजूद सेना के सेवारत जवानों को भी तलाशा जाता है।

ऐसे कर रहे साजिश

पहले तो सीएसडी सामान, ईसीएचएस और वन रैंक वन पेंशन सहित कई जानकारियां इस ग्रुप में पोस्ट की जाती हैं। इसके बाद जब पूर्व सैनिकों और जवानों की ओर से इसे लाइक किया जाता है, तब जवानों और अफसरों को मिलने वाली सुविधाओं, वेतन व भत्ते से जुड़ी गलत जानकारी पोस्ट की जाती है। इसका मकसद दोनों के बीच के अंतर को गलत तरीके से प्रस्तुत कर जवानों को बहकाने का है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, ऐसे सभी ग्रुपों पर नजर रखी जा रही है। जवानों और पूर्व सैनिकों को सतर्क किया गया है। साथ ही कहा गया है कि वह ऐसे ग्रुपों में अपनी सर्विस से जुड़ी कोई जानकारी साझा न करें।

पीआइओ भी इसमें शामिल

खुफिया एजेंसियों की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि इस साजिश में आइएसआइ के साथ पाकिस्तान इंटेलिजेंस आर्गनाइजेशन (पीआइओ) भी शामिल है। भारत में आइएसआइ के स्लीपिंग मॉडयूल रक्षा मंत्रालय की जवानों व अफसरों के वेलफेयर और सर्विस से जुड़ी जानकारी उस पार पहुंचाते हैं। उनको एडिट करने का काम पीआइओ करती है। फेसबुक अकाउंट बनाने का काम आइएसआइ की सोशल मीडिया से जुड़ी विंग करती है। उसी अकाउंट से पीआइओ की पोस्ट को अपलोड किया जा रहा है। इसी महीने राजस्थान में गोपनीय सूचनाएं लीक करने के मामले में पकड़े गए सेना के दो जवानों से पूछताछ में यह सारा खेल पता चला। 


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