Ozone Preservation Day 2020: ओजोन का छेद बंद हुआ...लेकिन ना हो बेफिक्र
Ozone Preservation Day 2020 वर्ष 2011 में आर्कटिक के ऊपर ओजोन का छेद बहुत बड़ा हो गया था। दुनिया के सभी देशों ने एकजुट प्रयास से छेद लगभग बंद हो चुका है।
लखनऊ, जेएनएन। Ozone Preservation Day 2020: ओजोन परत, गैस की एक ऐसी नाजुक ढाल है, जो सूर्य की पराबैगनी किरणों के हानिकारक हिस्से से पृथ्वी की रक्षा करती है। यानी पृथ्वी पर जीवन को संरक्षित करने में मदद करती है। वर्ष 2011 में आर्कटिक के ऊपर ओजोन का छेद बहुत बड़ा हो गया था जिसने पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया था। हालांकि दुनिया के सभी देशों ने एकजुट होकर प्रयास किए जिसका नतीजा यह है कि अब यह छेद लगभग बंद हो चुका है लेकिन जरूरत इस बात की है कि आगे भी सावधानी बरती जाए।
पर्यावरणविद डॉ.भरत राज सिंह कहते हैं कि पृथ्वी पर जीवन व जलवायु संरक्षण के लिए ओजोन परत का कवच होना बेहद जरूरी है। मोंट्रियल अंतर्राष्ट्रीय प्रयास के तहत तीन दशकों के सतत प्रयास में हमें फिलहाल इसकी रक्षा करने में मदद की है। इस गति को बनाए रखना नितांत आवश्यक है।रेफ्रिजरेटर, एयर-कंडीशनर और कई अन्य उत्पादों में 99 प्रतिशत ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों का उपयोग हो रहा था, इसका अन्य विकल्प ढूंढा गया।आगे भी प्रयास जारी है।
डॉ. सिंह ने बताया कि ओजोन परत का नवीनतम वैज्ञानिक आकलन 2018 में किया गयाथा जिसमें वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि उत्तरी गोलार्ध और मध्य-अक्षांश पर ओजोन 2030 तक पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। परंतु यह प्रयास दक्षिणी गोलार्ध पर 2050 और ध्रुवीय क्षेत्रों में 2060 तक चलेगा। ओजोन परत संरक्षण के प्रयासों ने 1990 से 2010 तक अनुमानित 135 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन को रोककर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में बहुमूल्य योगदान दिया है।