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ओवरलोडिंग घोटाला : एसआईटी को मिले अहम सुराग, तय तारीख में होता था काली कमाई का हिसाब

UP Overloading Scam एसआईटी की जांच में सामने आया है कि हर माह की 10 तारीख को ओवरलोडिंग करने वाले वाहनों की बंधी रकम परिवहन अधिकारियों तक पहुंच जाती थी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 10:54 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 10:54 AM (IST)
ओवरलोडिंग घोटाला : एसआईटी को मिले अहम सुराग, तय तारीख में होता था काली कमाई का हिसाब
ओवरलोडिंग घोटाला : एसआईटी को मिले अहम सुराग, तय तारीख में होता था काली कमाई का हिसाब

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर समेत कई जिलों में ओवरलोडिंग घोटाले की जड़ें बेहद गहरी हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों से लेकर एजेंटों तक पूरा खेल बेहद संगठित ढंग से हो रहा था। विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच में सामने आया है कि हर माह की 10 तारीख को ओवरलोडिंग करने वाले वाहनों की बंधी रकम परिवहन अधिकारियों तक पहुंच जाती थी। इसके साथ ही ओवरलोडिंग करने वाले वाहनों की सूची भी वॉट्सएप के जरिए साझा की जाती थी। तय तारीख तक रकम न पहुंचने पर ओवरलोड वाहनों के चालान शुरू हो जाते थे।

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उत्तर प्रदेश में ओवरलोडिंग घोटाले की जांच कर रही एसआईटी को गोरखपुर में पकड़े गए एजेंट ढाबा मालिक धर्मपाल की डायरी भी हाथ लगी है, जिसमें काली कमाई के हिसाब-किताब समेत कई अहम जानकारियां दर्ज हैं। सूत्रों का कहना है कि यूपी के ट्रक संचालकों से एजेंट सीधे संपर्क में रहते थे और कमीशन की रकम समय से न पहुंचाने पर यदि किसी ट्रक का चालान होता था, तो उसका भुगतान एजेंट को करना पड़ता था। बेहद संगठित ढंग से यह काला कारोबार अपनी जड़ें जमाए था।

सोनभद्र से ओवरलोडिंग कर आने वाले ट्रकों का हर जिले के परिवहन अधिकारियों का दो से चार हजार रुपये हिस्सा तय था। ऐसे ही बिहार से आने वाले ट्रकों का भी हाल था। इस मामले में एसआईटी के निशाने पर अब कई और एजेंट भी हैं। इन एजेंट के तार सीधे एआरटीओ के चालक व साथ चलने वाले सिपाही से जुड़े थे। उनके जरिए ही साहब तक काली कमाई का हिस्सा पहुंचाए जाने की बात भी सामने आई है।

बता दें कि यूपी एसटीएफ ने गोरखपुर में करोड़ों का ओवरलोडिंग घोटाला पकड़ा था। परिवहन विभाग के अधिकारियों व ढाबा संचालक धर्मपाल की सांठगाठ से ओवरलोड वाहनों से करोड़ों की वसूली का खेल सामने आया था। एसटीएफ ने धर्मपाल समेत छह आरोपितों को गिरफ्तार कर एफआईआर दर्ज कराई थी। मामले के तार कई जिलों से जुड़े होने के तथ्य सामने आने पर शासन ने इस घोटाले की जांच एसआइटी के हवाले कर दी थी। एसआइटी की जांच में अब तक 25 जिलों के एआरटीओ की भूमिका जांच के दायरे में आ चुकी है। एसआईटी जल्द एआरटीओ व अन्य से पूछताछ शुरू करेगी।


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