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सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना होगा : राजनाथ

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह अपने पुराने घर आकर अब परेशान हो जाते हैं। वजह है घर पर मौजूद रहने वाली मेले जैसी भीड़ और समर्थकों की उनसे अपार अपेक्षाएं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2015 10:25 AM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2015 11:57 AM (IST)
सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना होगा : राजनाथ

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह अपने पुराने घर आकर अब परेशान हो जाते हैं। वजह है घर पर मौजूद रहने वाली मेले जैसी भीड़ और समर्थकों की उनसे अपार अपेक्षाएं। आलम यह है कि पिछली तीन दिनी अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ की यात्रा के बाद उनके साथ सामान में दो बोरे भी रवाना हुए थे। इन बोरों में लोगों की विभिन्न आकांक्षाओं को दर्शाते प्रार्थनापत्र थे। लगातार एक के बाद एक कार्यक्रमों में शिरकत करते और लोगों से मिलते राजनाथ सिंह शाम ढले निढाल से हो जाते लेकिन फिर भी 'दैनिक जागरण' के लिए समय निकाल लेते हैं। राज्य संपादक दिलीप अवस्थी से उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की विशेषकर उत्तर प्रदेश के राजनीतिक भविष्य के संबंध में। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश।

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-कैसा चल रहा है बिहार चुनाव?

- लड़ाई है, लेकिन साफ लगता है कि हम लोग सरकार बनाने में कामयाब रहेंगे। कारण है कि बड़ी संख्या में जदयू और राजद छोडऩे वाले हमें ज्वाइन कर रहे हैं। मौजूदा सरकार से लोगों में नाराजगी है।

-उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की क्या तस्वीर देख रहे हैं?

- वैसे तो चुनाव के लिए डेढ़ साल है और तब क्या परिस्थिति होगी, अभी कह नहीं सकते लेकिन जिस तरह से जनता का सहयोग मिल रहा है उससे भाजपा की बेहतर तस्वीर दिख रही है। भाजपा अबकी यहां भी सरकार बनाएगी।

- चुनाव में भाजपा की टक्कर किससे मान रहे हैं?

- (हंसते हुए) हम तो किसी से टक्कर मानते ही नहीं हैं। हमसे कौन लड़ेगा, यह तो विरोधी पार्टियों से पूछा जाना चाहिए।

-कहा जा रहा है कि सूबे में पार्टी नेतृत्व विहीन है?

-नहीं-नहीं, हमारे यहां नेतृत्व की भरमार है। नेतृत्व का फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड करता है। बिहार में बिना किसी को नेता डिक्लेयर किए चुनाव लडऩे का बोर्ड ने फैसला किया। यहां के लिए बोर्ड का क्या फैसला होगा अभी कुछ कह नहीं सकते।

-विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी का चयन कब तक होगा?

- चुनाव को लेकर हर पार्टी की अपनी स्ट्रैटजी होती है। यह आवश्यक नहीं है कि दूसरी पार्टी की तरह हम भी काफी पहले उम्मीदवार घोषित करें। अभी तो चुनाव होने में समय है। संगठन को लेकर काम चल रहा है। समय आने पर प्रत्याशी घोषित किए जाएंगे।

-कहीं चुनाव के मद्देनजर सांप्रदायिक माहौल बिगाडऩे की कोशिश तो नहीं की जा रही है?

- मैं ऐसा न मानता हूं और न ही ऐसा होना चाहिए। अगर ऐसा कुछ होता है तो वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा। देश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने को लेकर केंद्र सरकार पूरी तरह से गंभीर है। सांप्रदायिक तनाव की स्थिति को देखते हमने सतर्क रहने के लिए न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है।

- क्या मानते हैं कि कौन माहौल खराब कर रहा है?

- देखिए देश-प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक सद्भाव बनाए रखना किसी एक पार्टी या सरकार की नहीं बल्कि हर एक दल की जिम्मेदारी है वह देश या प्रदेश में इसे सुनिश्चित करे।

-सूबे की कानून-व्यवस्था के बारे में क्या सोचते हैं?

- देखिए, कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है। हालांकि, मैं राज्य सरकार से अपेक्षा करता हूं कि सूबे में सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक सद्भाव को सुनिश्चित करे। यह उनकी जिम्मेदारी भी है। मैं राज्य सरकार को आश्वस्त करना चाहता हूं कि केंद्र सरकार हर तरह की सहायता देने को तैयार है।

-पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बल नहीं दिया?

- पंचायत चुनाव सिंबल पर नहीं लड़ा जाता है। राज्य में पुलिस बल की भी कोई कमी नहीं है। फिर भी विशेष परिस्थितियों में हम जरूरत को देखते हुए राज्य को केंद्रीय बल मुहैया कराने में देर नहीं करेंगे।

-आतंकवाद से देश को कितना खतरा है?

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से स्थिति पहले से बेहतर हुई है। पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर की सीमा से आतंकवादी घुसपैठ के फिराक में रहते हैं लेकिन हमारी सेना और अद्र्ध सैनिक बल के जवानों की मुस्तैदी से बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे जा रहे हैं। पाक रेंजर्स के डीजी के मिलने पर मैंने साफ कह दिया कि पहली गोली हमारी तरफ से नहीं चलेगी लेकिन उधर से कुछ किया गया तो स्वाभाविक तौर पर मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

-देश की सीमाओं पर क्या स्थिति है?

- सीमाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं। बीएसएफ, आइटीबीपी, सीआरपीएस आदि के जवान सीमाओं की सुरक्षा में डटे हुए हैं। छह देश में से नेपाल और भूटान से लगी सीमाएं जहां शांत हैं वहीं बांग्लादेश व मंयामार की सीमाएं एक्टिव और पाकिस्तान व चीन की सीमाएं संवेदनशील हैं।

-अब तो नेपाल की ओर से भी हालात ठीक नहीं दिख रहे?

-...अरे, कोई समस्या नहीं है। पड़ोसी देश नेपाल से हमारे काफी पुराने मजबूत सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध रहे हैं। हमारी सरकार ने इस दिशा में और भी कदम उठाए हैं। वैसे वर्तमान में जो स्थिति नेपाल में है उसमें भारत सीधे तौर पर तो हस्तक्षेप कर नहीं सकता क्योंकि यह उनका आंतरिक मामला है। मुझे विश्वास है कि नेपाल सरकार समस्या का समाधान निकालेगी।

-नेपाल का झुकाव चीन की ओर देखा जा रहा है?

- नेपाल और भारत की संस्कृति लगभग मिलती-जुलती है। ऐसा कुछ होने नहीं पाएगा। कुछ लोग होंगे जो कि यह बात बोल रहे हैं। फिर भी जो भी थोड़ी-बहुत समस्या सिर्फ दिखाई दे रही है उसे भी हमारे प्रधानमंत्री जी अपने कूटनीतिक कौशल से सुलझा लेंगे।

-बांग्लादेश के रास्ते बड़े पैमाने पर गायों की तस्करी हो रही है?

-बांग्लादेश से हमारे अच्छे संबंध हैं। पूर्व की सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया लेकिन हमने बांग्लादेश की सीमा पर अफसरों व जवानों के साथ बैठक की। नतीजे चौंकाने वाले हैं कि पहले जहां सालाना 13 लाख गायें यहां से बाहर जाती थी वहीं अब यह संख्या घटकर एक चौथाई रह गई है। इससे बांग्लादेश में गोमांस के दाम में 40 फीसद का इजाफा हो गया है।


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