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EXCLUSIVE: हमारी सरकार ने बिना भेदभाव तेजी से काम कियाः योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जागरण से विशेष बातचीत में कहा कि हमारी सरकार ने बिना भेदभाव तेजी से काम किया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 10:07 PM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 11:20 PM (IST)
EXCLUSIVE: हमारी सरकार ने बिना भेदभाव तेजी से काम कियाः योगी आदित्यनाथ
EXCLUSIVE: हमारी सरकार ने बिना भेदभाव तेजी से काम कियाः योगी आदित्यनाथ

लखनऊ (जेएनएन)।यह संयोग ही था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस दिन अपनी सरकार का एक साल पूरा किया, वह चैत्र प्रतिपदा नवसंवत्सर का पहला दिन भी था। अपने पांच कालिदास स्थित आवास पर दैनिक जागरण के संपादक मंडल से मुलाकात में योगी ने सवालों के जवाब सिलसिलेवार और खुशगवार अंदाज में दिए। वह चाहे उप चुनाव में भाजपा की हार से जुड़ा रहा हो या फिर निचले स्तर के भ्रष्टाचार का। उन्हें यह कहने में कोई संकोच नहीं था कि हिंदू से अधिक सेक्युलर कोई नहीं और यह स्वीकारने में भी कोई हिचक नहीं थी कि आस्था के नाम पर वह आडंबर नहीं कर सकते। साफगोई से माना कि उप चुनाव की हार एक सबक है, लेकिन इसे जनादेश मानने से भी उन्होंने इन्कार किया। योगी इस बात पर जोर देते हैैं कि एक साल में उनकी सरकार ने उत्तर प्रदेश के प्रति धारणाएं बदली हैैं। पहले जहां लोगों का पलायन हो रहा था, वहीं अब उद्यमी यहां निवेश के लिए आना चाहते हैैं। टॉप स्तर पर भ्रष्टाचार खत्म हुआ है और दावा किया कि निचले स्तर पर भी नहीं रहेगा। इस दौरान उनके आवास पर केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल भी आ जाते हैैं लेकिन योगी बातचीत के सिलसिले को जारी रखते हैैं।

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  •  विपक्ष का आरोप है कि एक साल में सरकार ने धार्मिक गतिविधियों पर ही सबसे ज्यादा फोकस किया और विकास की अनदेखी हुई। विकास के नाम पर पिछली सरकार के कामकाज का श्रेय लिया गया। इस पर क्या कहेंगे? 

हमारी सरकार के एक साल के कार्यकाल में प्रदेश में नौ लाख प्रधानमंत्री आवास (ग्रामीण) बनाये गए जिन्हें हम लाभार्थियों को 31 मार्च तक उपलब्ध करा देंगे। प्रधानमंत्री आवास के मामले में अखिलेश सरकार की प्रगति शून्य रही। हमने एक लाख किमी सड़कों को गड्ढामुक्त किया। किसने पैदा किये थे यह गड्ढे? यह गड्ढे पिछली सरकारों की देन थे। हमारी सरकार ने बिजली वितरण में भेदभाव समाप्त किया। प्रदेश के 55 हजार मजरों का विद्युतीकरण हमने किया। 32 लाख से अधिक गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिलाए। प्रदेश के 36 लाख जरूरतमंद परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं थे, उन्हें हमारी सरकार ने पात्र गृहस्थी राशन कार्ड मुहैया कराए। इसके अलावा एक लाख अत्यंत दीनहीन परिवारों को अंत्योदय कार्ड दिलवाए।

  • विपक्ष का आरोप इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर है?

 पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के लिए पहल हमारी सरकार ने की। कानपुर, आगरा और मेरठ में मेट्रो रेल परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर उन्हें मंजूरी दिलाने की कार्यवाही हमारी सरकार कर रही है। प्रदेश के मंडल मुख्यालयों को रीजनल एयर कनेक्टिविटी स्कीम के तहत जोडऩे की शुरुआत हमारी सरकार ने की। जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना को लाने और उसे आगे बढ़ाने का श्रेय भी हमारी सरकार को है। प्रदेश के जिला मुख्यालयों को फोर लेन सड़क से जोडऩे के काम को रफ्तार हमारी सरकर ने दी। प्रदेश में तीन नहीं बल्कि सात मीटर चौड़ी सड़कें बननी चाहिए, इस पर हमारी सरकार ने तेजी से काम किया। 

  • इन्वेस्टर्स मीट को लेकर सरकार बहुत उत्साहित रही? 

इन्वेस्टर्स मीट तो अखिलेश सरकार ने भी करायी थी, उसका क्या हश्र हुआ, इसे सब जानते हैं और जब हमने यूपी इन्वेस्टर्स समिट कराया तो उसका सच भी सामने है। सपा और बसपा का विकास और लोकतंत्र की बातें करना छलावा हैै। दरअसल यह सवाल तो उन लोगों से पूछे जाने चाहिए जो हमारी सरकार पर यह बेबुनियाद आरोप लगाते हैं।

  • आपने भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का वादा किया था, लेकिन पुलिस में दारोगा से लेकर लेखपाल, तहसीलदार और ऊपर तक भ्रष्टाचार बढ़ा है। बल्कि दोगुना हो गया है। कैसे नियंत्रित करेंगे? 

देखिए! मैं इस बात से सहमत नहीं हूं। कोई भी पवित्रता का अभियान ऊपर से नीचे आएगा। टॉप लेवल पर भ्रष्टाचार पर प्रहार हुआ है। शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार नियंत्रित हुआ है। भ्रष्टाचार के खिलाफ यह अभियान अब नीचे तक जाएगा। समय लग सकता है लेकिन मैं आश्वस्त करता हूं कि हम नीचे तक का भ्रष्टाचार खत्म कर देंगे। 

  • स्वच्छता मिशन को चलाने और  शौचालय बनाने के मामले में उत्तर  प्रदेश बिहार के बाद दूसरे नंबर पर है। स्थिति बहुत खराब है। क्या कारण है?

शौचालय बनाने के मामले में उत्तर प्रदेश देश मेें अव्वल है। प्रदेश में 37 लाख व्यक्तिगत शौचालय बनाये गये हैैं। सार्वजनिक शौचालय इनसे अलग हैैं। पहली अप्रैल से 30 अप्रैल की हमने कार्य योजना तैयार कर ली है। गंगा किनारे के 1657 गांवों को शौच मुक्त बना लिया है। 

  • उत्तर प्रदेश गेहूं व गन्ना की खेती में नंबर एक है लेकिन दोनों फसलों को उगाने वाले किसान इन दिनों संकट में हैैं। क्या कारण है? 

पिछले साल 37 लाख टन गेहूं सरकारी खरीद के लिए आया था। इसे बढ़ाकर इस बार 50 लाख टन कर दिया गया है। 5500 खरीद केंद्र खोले जा रहे है, जो पिछले सीजन के मुकाबले अधिक हैै। रही गन्ना किसानों की बात तो उनके पिछले सालों के सभी बकाया चुकता कर दिए गए हैं। 2011 से लेकर 2016-17 तक के सभी बकाया का भुगतान कर दिया गया है। 24 हजार करोड़ का पुराना भुगतान कर दिया गया है। इस साल का 16 हजार करोड़ रुपये का भुगतान चुकता किया गया है। चार हजार करोड़ बकाया है। 119 चीनी मिलों में से 90 मिलों का 60 फीसद भुगतान किया जा चुका है। केवल 28 मिलें हैैं, जिन्होंने 40 फीसद भुगतान किया है। सरकार बकाया चुकता कराने की कोशिश कर रही है। 

  • शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड के घोटाले की बड़ी-बड़ी बातें तो हुईं, लेकिन जांच आज तक क्यों नहीं शुरू हो सकी? आजम खान पर भी आरोप हैं, लेकिन उनकी जांच करने से अफसर भी इंकार कर देते हैं? 

कुछ जांच सीबीआइ के पास है। कुछ जांच स्थानीय स्तर पर भी चल रही हैं। कोई भी दोषी मिलेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। कठोर से कठोर कार्रवाई होगी। 

  • पुलिस मुठभेड़ से कानून-व्यवस्था सुधारने का दावा तो है, लेकिन फोर्स की कमी दूर नहीं हुई है? 

यह सच है कि 1.62 लाख सिपाही और दारोगा के पद खाली हैं, लेकिन हमारी पुलिस का हौसला बुलंद है। प्रदेश में जंगलराज और गुंडाराज समाप्त हो गया है। पिछली सरकार की 2016 की भर्तियां भी कोर्ट में लंबित है। सरकार ने बाधा दूर करने का प्रयास किया है। 42 हजार सिपाही और पांच हजार दारोगा की भर्ती शुरू की जा रही है। 

  • अरसे से पुलिस कमिश्नर प्रणाली की मांग चल रही है। इस दिशा में कदम उठाएंगे? 

जिस प्रयास से भी पुलिस व्यवस्था में सुधार होगा वह हम करेंगे। पुलिस को बेहतर बनाने वाली प्रणाली लागू करने में हमें हिचक नहीं होगी। 

  • मंत्रिमंडल और नौकरशाही नियंत्रण में नहीं है इसीलिए परिणाम अनुकूल नहीं हैं? इस पर क्या कहेंगे? 

हम लोग जो रिजल्ट दे रहे हैं वह व्यक्ति का नहीं है। यह टीम भावना का रिजल्ट है। इस प्रदेश में तो वर्क कल्चर समाप्त था लेकिन, अब धीरे धीरे सुधार हुआ है। और बेहतर परिणाम दिखेंगे। 

  • प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थान प्रतिभा के पलायन को रोकने में क्यों नाकाम हैं? इंटर के बाद बच्चे बाहर जाने को विवश हैैं, फिर उनकी वापसी भी नहीं हो पाती?

उच्च शिक्षा से ज्यादा बेसिक और माध्यमिक शिक्षा को ठीक करने की जरूरत है। पांचवीं कक्षा के बाद बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं। आठवीं कक्षा के बाद भी ड्रॉप आउट होता है। बहुत कम बच्चे हाईस्कूल पास कर पाते हैं। इंटरमीडिएट और स्नातक तक तो यह संख्या और भी कम हो जाती है। अप्रैल से शुरू होने वाले नये शैक्षिक सत्र में हम बेसिक और माध्यमिक शिक्षा में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने जा रहे हैं। इससे पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार होगा। हमारे पास टेक्निकल शिक्षण संस्थानों की भी कमी नहीं है। उप्र में 606 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं जो देश में सर्वाधिक हैं। तहसील स्तर पर पॉलीटेक्निक हैं। हमने कौशल विकास को इंडस्ट्री से जोड़ा है जिसके सुखद परिणाम मिले हैं। इससे प्लेसमेंट का स्कोप बढ़ा है। हम आगरा में ढाई हजार छात्रों को प्लेसमेंट सर्टिफिकेट देने जा रहे हैं। वाराणसी में राष्ट्रपति की मौजूदगी में ढाई हजार छात्रों को प्लेसमेंट सर्टिफिकेट बांटे जाएंगे। 

  • हमारे राज्य विश्वविद्यालय अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों से काफी पीछे हैं। ऐसा क्यों?

उत्तर प्रदेश में 29 राज्य विश्वविद्यालय हैं। हम इनकी तुलना किसी और से क्यों करें। हम अपने विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय क्यों न बनाएं। हमने हर राज्य विश्वविद्यालय को टास्क दिया है। उनसे पूछ रहे हैं कि उन्होंने किसी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के साथ कोई एमओयू किया है कि नहीं? हमने कृषि विश्वविद्यालयों से पूछा है कि वे अपने आसपास के किसानों की समस्याओं के निस्तारण और उनकी तरक्की के लिए क्या कर रहे हैं। हम विश्वविद्यालयों से ऐसी स्टडी रिपोर्ट्स मांग रहे हैं जिनकी सामाजिक उपयोगिता हो। 

  • सरकारी स्वास्थ्य तंत्र का समुचित लाभ लोगों को क्यों नहीं मिल पा रहा है?  

सबसे बड़ी चुनौती चिकित्सकों की कमी है। प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डाक्टरों और टेक्निकल स्टाफ की कमी है। डॉक्टरों की कमी से निपटने के लिए हम मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ा रहे हैं। अभी प्रदेश में 13 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। अगले वर्ष तक इनकी संख्या 26 हो जाएगी। सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस, डीएम और एमसीएच की डिग्रियां लेकर निकलने वाले छात्रों से बांड भरवाएंगे कि उन्हें पढ़ाई पूरी करने के बाद दो साल ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में अपनी सेवाएं देनी होंगी। मकसद है कि मेडिकल शिक्षा का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति को भी मिले।  

  • प्रदेश के कई शहर ऐसे हैैं जिनकी अपनी पहचान है, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुंबई, मद्रास, बंगलुरु और अहमदाबाद कहां हैैं?

उत्तर प्रदेश में अपार संभावनाएं हैैं। 653 नगरीय निकाय हैैं। आजादी के समय उत्तर प्रदेश विकास दर में सबसे आगे था। आज सबसे पिछड़ा हुआ है। ऐसा इसलिए हुआ कि सरकारों के पास विकास की सोच नहीं थी। क्लस्टर्स थे लेकिन उन्हें विकसित नहीं किया जा सका। उनकी ब्रांडिंग नहीं की गईं। एक-जिला एक उत्पाद के तहत हमने इनकी ब्रांडिंग शुरू की है। प्रदेश पहचान का मोहताज नहीं, बस लीडरशिप का अभाव रहा। 

  • बात मुंबई बैैंगलुरु जैसे आइकोनिक शहरों की हो रही थी?

हमारे यहां की सांस्कृतिक धरोहरें बहुत समृद्ध हैैं। प्रयागराज के कुंभ मेले को यूनेस्को ने सांस्कृतिक धरोहर की मान्यता दी है। यहां हैरिटेज टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैैं। इसी को यदि काशी, अयोध्या और मथुरा के नाम पर ही आगे बढ़ा देंगे तो मुंबई और बैैंगलुरु पीछे छूट जाएंगे।  

  • वे कौन सी योजनाएं हैैं जिन्हें आप सरकार की सफलता मानते हैैं और कौन सी योजनाएं हैैं, जिनमें अपेक्षित काम नहीं हो सका है? 

सरकार सभी क्षेत्रों में काम कर रही है। पहली बार किसान सरकार के एजेंडे का हिस्सा हैैं। 80 हजार करोड़ रुपये डीबीटी के जरिये किसानों के खाते में भेजा गया है। युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए कुछ अच्छी योजनाएं शुरू हुई हैैं। परसेप्शन बदलने की शुरुआत हुई है। जहां पहले अराजकता थी, गुंडागर्दी थी, जंगलराज था, वहीं अब लोगों की धारणा बदली है। जहां पलायन हो रहा था, वहीं अब उद्यमी निवेश के लिए यहां आना चाहते हैैं। 

  • लेकिन, कुछ मामले में सरकार अपेक्षित काम नहीं कर सकी। जैसे कि बालू और मोरंग के दामों का नीचे न आना...?

बालू-मोरंग की समस्या हमने नहीं पैदा की है। पूर्व सरकार के काले कारनामों की वजह से कोर्ट में केस चल रहे थे। हमें एनजीटी से लडऩे में अक्टूबर तक का समय लगा। सुप्रीम कोर्ट तक गए। हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ी। स्टे वैकेट कराने में काफी समय लगा। अब स्थिति नियंत्रण में है। फिर भी यह बताते हुए मुझे संतोष है कि खनन से जहां पिछली सरकार ने 1200 करोड़ रुपये हासिल किए थे, वहीं भाजपा सरकार में अब तक 2200 करोड़ रुपये आए हैैं। अब यह दावे से कह सकता हूं कि आने वाले दिनों में बालू-मोरंग के दाम 15 मार्च 2017 से भी कम होंगे।

  • छुट्टा जानवर भी प्रदेश की एक बड़ी समस्या हैैं। इनके लिए भी सरकार कुछ न कर सकी?

इसके लिए कांजी हाउस का प्रावधान किया है। लोगों को भी आमंत्रित कर रहे हैैं। पब्लिक से अपील की है कि स्ट्रक्चर हम देंगे, आप रखरखाव करो। चहारदीवारी से लेकर अन्य सुविधाएं सरकार देंगी, लोकल कमेटियां बस जानवरों के रखरखाव की जिम्मेदारी संभालें। प्रदेश में पांच छह करोड़ परिवार हैैं, गोवंश तीन करोड़ है। एक-एक परिवार गोद ले ले तो यह समस्या खत्म हो जाएगी। 

  • यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में नकल पर सख्ती को लेकर भी सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा? 

यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिन 12 लाख छात्रों ने परीक्षा छोड़ी जिनमें 75 प्रतिशत इस प्रदेश के थे ही नहीं। वे सिर्फ फार्म भरते थे। सरकार ने नकल माफिया के इस रैकेट को तोड़ा है। 

  • तो क्या कल्याण सिंह के शासनकाल की तरह कोई अध्यादेश लाएंगे?

नहीं कोई अध्यादेश नहीं लाया जाएगा। हम बच्चों के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहते। हम अपने स्तर पर ही परीक्षाओं में नकल रोकने में सक्षम हैैं? 

  • खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) अभियान गति क्यों नहीं पकड़ पा रहा?

स्वच्छता अभियान जन सहभागिता से ही सफल हो सकता है। प्रदेश व्यक्तिगत शौचालय निर्माण में 32 लाख शौचालयों को बनाकर अव्वल रहा हैं। गंगा नदी के किनारे बसे 1657 गांव ओडीएफ घोषित हो चुके है। उन गांवों को ओडीएफ प्लस बनाने के लिए अभियान चलाएगा। कूड़ा कचरा प्रबंध कराने के अलावा गंदा पानी गंगा नदी में गिरने से रोका जाएगा। ग्रामीण इलाकों में एक अप्रैल से विशेष अभियान चलाकर स्वच्छता के प्रति जन सहभागिता को प्रोत्साहित करेंगे। 

  • राम मंदिर मुद्दा गर्म है, कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। क्या माना जाए कि 2019 के पहले राममंदिर का फैसला हो जाएगा?

नब्बे के दशक में शुरू राममंदिर आंदोलन में दैनिक जागरण की भूमिका भी सराहनीय रही थी। राममंदिर निर्माण के प्रति हम पूरी तरह आशावान है। 


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