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कानपुर के राजकीय महिला संवासिनी गृह की घटना पर विपक्ष का हमला, सत्ता पक्ष का पलटवार

कानपुर के राजकीय महिला संवासिनी गृह की घटना पर रविवार को देखते ही देखते ही उत्तर प्रदेश की राजनीति गर्मा गई। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया तो सत्ता पक्ष ने भी पलटवार किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 01:15 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 07:44 AM (IST)
कानपुर के राजकीय महिला संवासिनी गृह की घटना पर विपक्ष का हमला, सत्ता पक्ष का पलटवार
कानपुर के राजकीय महिला संवासिनी गृह की घटना पर विपक्ष का हमला, सत्ता पक्ष का पलटवार

लखनऊ, जेएनएन। कानपुर के राजकीय महिला संवासिनी गृह की घटना पर रविवार को देखते ही देखते ही उत्तर प्रदेश की राजनीति गर्मा गई। कोरोना संक्रमित 57 बालिकाओं में कुछ के गर्भवती पाए जाने को लेकर विपक्ष ने सोशल मीडिया पर प्रदेश सरकार पर हमला शुरू कर दिया। तुरंत ही कानपुर जिला प्रशासन ने घटना का पटाक्षेप करते ही सत्ता पक्ष भी सक्रिय हो गया और करारा पलटवार कर भ्रामक पोस्ट पर कार्रवाई तक की चेतावनी दे डाली।

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कानपुर के राजकीय महिला संवासिनी गृह की घटना पर कांग्रेस और सपा के नेताओं ने ट्विटर पर टिप्पणी शुरू कर दी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने ट्वीट किया- बिहार के मुजफ्फरपुर का मामला सबके सामने है। उत्तर प्रदेश के देवरिया में ऐसा ही मामला आ चुका है। ऐसे में पुन: इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति से साफ है कि सरकार ने सबक नहीं लिया। किसी को बख्शा नहीं जाएगा जैसे जुमले बोले देने से व्यवस्था नहीं बदलती मुख्यमंत्री जी। देवरिया से कानपुर तक की घटनाओं में क्या बदला?

वहीं, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व फिल्म अभिनेता राज बब्बर ने ट्वीट किया- सरकारी निगरानी में पल रहीं इन बच्चियों का ये ख्याल रखा गया?  सभी 57 बच्चियां संक्रमित लेकिन, कोरोना ने शोषण का जो भेद खोला, वह असहनीय है। ऐसे अन्याय बिना रसूखदारों की संलिप्तता के संभव नहीं। कानपुर के संरक्षण गृह मामले में सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को संज्ञान में लेना चाहिए। इसी तरह सपा प्रवक्ता एवं बाल अधिकार आयोग की पूर्व अध्यक्ष जूही सिंह ने ट्वीट किया- जो बच्चियां सरकार के संरक्षण में थीं, उनके साथ ऐसा अपराध, ऐसा अन्याय। ये कौन सा मॉडल है सरकार का?

इस पर प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमल रानी वरुण ने ट्वीट कर घटना के तथ्य लिखे और सवाल उठाया- आप तो राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग में सदस्य भी रही हैं। प्रक्रिया की जानकार हैं। फिर भी इस तरह का असंवेदनशील आचरण, सिर्फ सियासत के लिए? वहीं, हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची ने विपक्ष को तीखा जवाब दिया।

जूही सिंह को जवाब देने के साथ ही राज्य बाल अधिकार आयोग की सदस्य डॉ. प्रीति वर्मा ने पुलिस-प्रशासन से मांग की कि आपदा के वक्त ऐसी झूठी खबर फैलाने वालों के खिलाफ फेक न्यूज व पॉक्सो में कड़ी कानूनी कार्रवाई की जााए। ये प्रदेश की छवि बिगाड़ने के साथ ही बच्चियों की इज्जत से खिलवाड़ कर रहे। मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने ट्वीट किया- आपदाकाल में साजिश के तहत पूरी तरह झूठी खबर फैलाकर प्रदेश की छवि खराब करने व बच्चियों के मान सम्मान से खिलवाड़ करने के लिए तत्काल आपदा कानून और पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई बनती है।

वहीं, कानपुर सांसद सत्यदेव पचौरी ने इस मामले पर ट्वीट कर बताया कि कतिपय लोगों द्वारा कानपुर संवासिनी गृह को लेकर द्वेषपूर्ण भावना से पूर्णतया असत्य सूचना मीडिया व सोशल मीडिया पर फैलाई गई है। आपदाकाल में यह संवेदनहीनता का उदाहरण है और फेक न्यूज के दायरे में आता है। जिला प्रशासन इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए तथ्य एकत्र कर रहा है।

बता दें कि कानपुर के राजकीय महिला संवासिनी गृह में 57 संवासिनी कोरोना संक्रमित मिली हैं। इसमें सात संवासिनी गर्भवती हैं, जिसमें पांच संवासिनी की कोरोना पॉजिटिव और दो की निगेटिव रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट से खलबली मच गई है। प्रशासन के अनुसार सभी सात बालिकाएं बालिका गृह में प्रवेश के समय से गर्भवती थीं। कोरोना संक्रमित दो बालिकाएं को हैलट और तीन को रामा मेडिकल कॉलेज में कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


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