मस्जिद का स्वागत, लेकिन राम मंदिर से समुचित दूरी पर...ताकि फिर न हो कोई विवाद
अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा मार्ग से बाहर ही जमीन देने पर सहमति । मस्जिद के पक्षकार रहे मुहम्मद इकबाल ने भी जताई अपनी इच्छा।
अयोध्या, (रघुवरशरण)। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के साथ मस्जिद निर्माण को लेकर उत्सुकता बयां हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मस्जिद के लिए पांच एकड़ भूमि दिए जाने में किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन यह कहां हो इस पर विमर्श छिड़ा है। विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा के अनुसार हम सभी कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन मस्जिद के लिए जमीन मुकर्रर करने में रामनगरी की मर्यादा का ध्यान रखना होगा। कोशिश यह होनी चाहिए कि मस्जिद के लिए भूमि अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा मार्ग से बाहर हो।
आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ास्थान के महंत बिंदुगाद्याचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य का मानना है कि सनातनियों की नगरी अयोध्या की आस्था के केंद्र में भगवान राम हैं। ऐसे में आस्था का कोई अन्य केंद्र विकसित करने के लिए यह ध्यान रखना होगा कि उसकी राम मंदिर से समुचित दूरी हो। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य के अनुसार अयोध्या में पहले से ही अनेक मस्जिदें हैैं। एक और मस्जिद बन जाने से रामनगरी के तौर पर अयोध्या की मर्यादा आहत होने की आशंका निराधार है। फिर भी मस्जिद के लिए भूमि का चयन करने में यह जरूर ध्यान रखना होगा कि उसके निर्माण से कोई व्यावहारिक दिक्कत न खड़ी होने पाए।
शीर्ष पीठ रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास कहते हैं, अच्छा हो कि मस्जिद का निर्माण 14 कोसी परिक्रमा की परिधि से बाहर किया जाए। इसके पीछे दुराव की भावना न होकर व्यवस्था का सवाल है। इस व्यवस्था में सभी को सहयोग करना होगा। पौराणिक महत्व की पीठ नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास कहते हैं कि मंदिर हो या मस्जिद, दोनों भगवान का घर हैं। जब व्यवस्था नए सिरे से बनने को है, तब इस बात का ध्यान जरूरी है कि भविष्य में कोई दिक्कत न खड़ी हो। समाजसेवी एवं आचार्य पीठ तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी कहते हैं, मस्जिद होना कोई बड़ा विषय नहीं है, लेकिन भूमि चयन में सावधानियां बरती जाएं।
मस्जिद के साथ रामभक्तों की धर्मशाला चाहते हैं इकबाल
मस्जिद के पक्षकार रहे मुहम्मद इकबाल चाहते हैं कि जिस कोटिया मुहल्ले में उनका आवास है, उसी मुहल्ले में स्थित बिजली शहीद मस्जिद को विस्तार दिया जाए। वे इस मस्जिद के इर्दगिर्द खाली पड़ी पांच एकड़ भूमि का भी हवाला देते हैं। इस आशंका को निर्मूल ठहराते हैं कि मस्जिद से रामनगरी की मर्यादा पर आंच आएगी। उनका मानना है कि यह मस्जिद अयोध्या की साझा संस्कृति को और बुलंद करेगी। उनकी चाहत है कि मस्जिद के साथ महिला चिकित्सालय और तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशाला बने। अयोध्या आने वाले रामभक्तों के लिए ठहरने की मुफ्त व्यवस्था सुनिश्चित हो।