पांच महीने से बंद है ओपीडी मरीज जांच और इलाज के लिए परेशान, भटक रहे नए मरीज
लखनऊ में सरकारी अस्पताल काेरोना की वजह से पांच माह से बंद न जांच न दवा में बदलाव ईओपीडी में पहले वाली खाते रहो।
By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 09:00 AM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। केस- इंद्रपुरी निकट निर्मल प्रकाश पीजीआई के रहने वाले को हार्ट में परेशानी लेकर पीजीआई आए लेकिन यहां पर घूमते रहे किसी ने नही देखा फिर निजि अस्पताल में जाना पडा।
केस – बस्ती जिले के शोभ नाथ लंबे से डायबटीज से ग्रस्त है । मेडिकल विवि में लंबे समय से इलाज चल रहा है। पहले हर 6 महीने पर एचबीएवनसी जांच के बाद दवा की मात्रा में बदलाव किया जाता था लेकिन ओपीडी बंद होने के कारण न तो जांच हो पा रही है और दवा में बदलाव। अब राम भरोसे चल रहा है।
केस- आटो इम्यून डिजीज से ग्रस्त संतकबीर नगर जिले के राजेश वर्मा का लंबे समय से संजय गांधी पीजीआई में इलाज चल रहा है। हर तीन महीने पर विशेष जांच के बाद दवा की मात्रा कम या अधिक की जाती है लेकिन संस्थान की ओपीडी न चलने के कारण न तो जांच हो पा रही है न दवा में बदलाव । फोन पर सलाह दी जाती है जो दवा चल रही है उसे लेते रहें। दवा में बदलाव न होने के वजह से कई तरह की परेशानी हो रही है। राजेश कहते है कि कोरोना से तो नहीं लेकिन इस बीमारी से मौत पक्की है।
यह चंद उदाहरण है सामान्य दिनों में संजय गांधी पीजीआई की ओपीडी में रोज चार से पांच हजार मरीज, किंग जार्ज मेडिकल विवि की आठ से दस हजार, लोहिया की दो से तीन हजार की ओपीडी होती थी । ओपीडी में आने वाले कुल मरीज़ों में से 50 से 60 फीसदी लोगों की विशेष जांचे होती थी लेकिन ओपीडी बंद होने के कारण हजारों मरीजों पुराने मरीजों का इलाज पुराने पर्चे पर चल रहा है। नए मरीज तो बीमारी के साथ जी रहे है नहीं तो लोकल डाक्टर के साथ किसी तरह जी रहे है। मरीजों का कहना है कि बाजार खुल गया। बसे चलने लगीं लेकिन जिंदगी बचाने के लिए अस्पताल की ओपीडी नहीं खुल रही है। ओपीडी में सभी मरीज़ों को न देंखे कोरोना का संकट है तो 50 फीसदी ओपीडी चलाएं । मरीज़ों का कहना है कि कोरोना से लोग नहीं परेशान रहे है जितना दूसरी बीमारियों से परेशान हो रहे है। इसके ऊपर किसी की नजर नहीं है। एकता फाउडेंशन के अध्यक्ष डा. अजय कुमार कहते है कि कोरोना से बचाव बहुत जरूरी है लेकिन दूसरी बीमारी से परेशान लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है। कारपोरेट अस्पताल में नहीं बंद तो बाकी में क्यों मरीजों का कहना है कि मेदांता, अपोलो सहित अन्य में ओपीडी भी चल रही है। मरीज में भर्ती हो रहे है वहां के डाक्टर और स्टाफ को खतरा नहीं है क्या । कोरोना इतनी जल्दी तो खत्म होने वाला नहीं है ऐसे में कोरोना के साथ सारे काम करने होंगे।
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