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नोटबंदी पर आज काला दिवस मना रहा विपक्ष, कांग्रेसियों ने बांधी काली पट्टी

नोटबंदी का एक वर्ष पूरा होने पर आज विपक्ष काला दिवस मनाकर विरोध जता रहा है।सभाएं, मोमबत्ती जुलूस, गोष्ठियां, बैठकें और नुक्कड़ सभाओं की तैयारी हो रही है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 07 Nov 2017 09:58 PM (IST)Updated: Wed, 08 Nov 2017 12:57 PM (IST)
नोटबंदी पर आज काला दिवस मना रहा विपक्ष, कांग्रेसियों ने बांधी काली पट्टी
नोटबंदी पर आज काला दिवस मना रहा विपक्ष, कांग्रेसियों ने बांधी काली पट्टी

लखनऊ (जेएनएन)। नोटबंदी के फैसले का एक वर्ष पूरा होने पर बुधवार को विपक्षी दल काला दिवस मनाकर विरोध जताने की तैयारी कर रहा है। नगरीय निकाय चुनाव के दौरान यह मुद्दा सरकार को घेरने और वोटरों को लुभाने का जरिया बनेगा। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल सभी ने अपनी अपनी तैयारियां की हैं। हालांकि सबका इरादा मोदी सरकार को घेरना है। इस दौरान सभाएं, मोमबत्ती जुलूस, गोषिठियां, बैठकें और नुक्कड़ सभाएं होंगी।

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कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह ने बताया कि बुधवार को जिला व ब्लाक स्तर पर पार्टी कार्यकर्ता काली पट्टी बांधकर नोटबंदी के विरोध में गोष्ठियां व बैठकें आयोजित करेंगे। इस मौके पर नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान, बढ़ती बेरोजगारी व विकास ठप हो जाने जैसी जानकारी तथ्यों सहित आम जनता को दी जाएगी। कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय से बुधवार को शाम सात बजे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर की अगुआई में जीपीओ तक मोमबत्ती जुलूस निकाला जाएगा। जिलों में होने वाले इन कार्यक्रमों में वरिष्ठ नेताओं से उपस्थित रहने को कहा गया है।

समाजवादी पार्टी भी संयुक्त विपक्ष के काला दिवस आयोजन में शिकरत करेगी। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि नोटबंदी का कड़वा सच जनता को बताने का काम किया जाएगा। वार्डों से लेकर गांवों तक भाजपा सरकार की विफलताओं की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी के कारण बेरोजगारी बढ़ी है और कारोबार व उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं। शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई और विकास कार्य ठप है।

राष्ट्रीय लोकदल के मीडिया प्रभारी अनिल दुबे ने बताया कि बुधवार को पार्टी की ओर से नोटबंदी के नुकसान चौपालों पर व नुक्कड़ सभाओं में बताए जाएंगे। जिला व शहर कमेटियों को गोष्ठियां आयोजित करने को कहा गया है, जिसमें अर्थशास्त्री, व्यापारी, उद्यमी व कृषि विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।


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