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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने बनाया नया फार्मूला, आधा किलो गुड़ और दो लीटर मट्ठे से नष्ट होगी एक एकड़ पराली

यदि आप किसान हैं और खेतों में पड़ी पराली को लेकर परेशान हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। आधा किलो गुड़ और दो लीटर मट्ठे का प्रयोग करके आप एक एकड़ खेती की पराली को खाद बना सकते हैं।

By Vikas MishraEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 09:23 AM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 02:51 PM (IST)
पराली जलाने के कारण हर साल वायु प्रदूषण की समस्या से जूझना पड़ता है

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। यदि आप किसान हैं और खेतों में पड़ी पराली को लेकर परेशान हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। आधा किलो गुड़ और दो लीटर मट्ठे का प्रयोग करके आप एक एकड़ खेती की पराली को खाद बना सकते हैं। इसके प्रयोग की वैज्ञानिक विधि और इसके साथ मिलाए जाने वाले हलो सीआरडी फार्मूले को केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान केंद्र के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय की ओर गुरुवार को जारी किया गया। हलो सीआरडी नाम से तैयार नए फार्मूले न केवल किसानों की पराली जलाने की मजबूरी को कम करेगा बल्कि जमीन को भी उपजाऊ बनाएगा। इसके प्रयोग से 10 से 15 फीसद उत्पादन भी बढ़ेगा। वैज्ञानिकों ने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को भी कम करने का दावा किया है। इसको प्रयोग करने के लिए भी आपको किसी कृषि वैज्ञानिक के पास जाने की जरूरत नहीं है। 

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केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान केंद्र के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी व प्रधान वैज्ञानिक डा.संजय अरोड़ा ने बताया कि पांच साल में हुए शोध के बाद इस फार्मूले को तैयार किया गया है। जीवाणु युक्त हलो सीआरडी के 100 मिली.एकड़ क्षेत्र की पराली को खाद बनाने की क्षमता है। इसके लिए आपको वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए नियमों के तहत किसानों को प्रयोग करना है। इस जैविक फार्मूले को आम किसानों तक पहुंचाने के लिए एक कंपनी द्वारा करार किया गया है। डा.अरोड़ा ने बताया कि हर साल देश में 600 मीट्रिक टन फसल अवशेष निकलता है। इनमे 70 मीट्रिक टन उत्तर प्रदेश और 51 मीट्रिक टन पंजाब में निकलता है। कुल अवशेष का 34 फीसद धान की फसल के दौरान निकलता है। ऐसे में यह फार्मूला किसानों के साथ ही सरकार के लिए भी लाभदायक होगा। 

17 जिलों में 1200 हेक्टेयर में किया गया परीक्षणः हलो सीआरडी को जारी करने से पहले पिछले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में 1200 हेक्टेयर खेतों में इसक प्रयोग कर परीक्षण किया गया। सार्थक परिणाम के बाद इसे अब नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से वाराणसी के परासर एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड को निर्माण के लिए दिया गया है। संस्थान के वैज्ञानिक डा.वाइपी सिंह, डा.अतुल कुमार सिंह,डा.प्रबोध चंद्र शर्मा,डा.पीआर भटनागर की मौजूदगी में कंपनी के निदेशक असित शुक्ला को फार्मूला हस्तांतरित किया गया। शीघ्र ही फार्मूला किसानों को मिलने लगेगा। 

कैसे करना है प्रयोगः केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान केंद्र के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी व प्रधान वैज्ञानिक डा.संजय अरोड़ा ने बताया कि इसके प्रयोग के लिए वैज्ञानिक विधि को अपनाना पड़ेगा तो बहुत ही आसान है। हलो फार्मूला की 100 मिली.मात्रा की कीमत 50 रुपये प्रस्तावित है। 100 मिली.हलो फार्मूला को 200 लीटर गोबर युक्त पानी में मिलाकर दो से तीन दिनों तक छाए में रखना है। इसके बाद इस मिक्चर में 500 ग्राम गुड़ और दो लीटर मट्ठा मिलाना है। इस मिक्चर का छिड़काव एक एकड़ फसल के अवशेष पर करें। 25 से 28 दिनों में यह पराली खाद बन जाएगी।


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