UP के बाराबंकी में पोते ने बाबा की हत्या कर शव बक्से में ठूंसा फिर मिट्टी में दबाया, छह माह बाद कंकाल बरामद
बाराबंकी में जमीन के लालच में की थी बाबा की हत्या। दादी के शक पर पोते से पुलिस ने की कड़ाई से पूछताछ। घर के पास ही तालाब किनारे मिट्टी में दबाकर रखे गए बक्से में मृतक का कंकाल मिला। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने निशानदेही पर बरामद किया कंकाल।
बाराबंकी, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां साढ़े तीन बीघा जमीन के लिए एक पोते ने बाबा की सोते वक्त गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को बक्से में रखकर ठिकाने लगाकर दिया। गुमराह करने के लिए दो दिन बाद गुमशुदगी भी दर्ज करा दी। इस सनसनीखेज वारदात का राजफाश छह माह बाद तब हुआ जब मृतका की पत्नी ने पुलिस को तहरीर देकर अपने पोते पर ही शक जाहिर किया। पुलिस ने आरोपित को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो घर के करीब तालाब किनारे मिट्टी में दबाकर रखे गए बक्से में मृतक का कंकाल मिला।
ये है पूरा मामला
मामला जैदपुर के ग्राम गंजरिया मजरे गढ़ी राखमऊ का है। राधेश्याम छह जुलाई की रात संदिग्ध हालात में लापता हो गए थे। इसकी गुमशुदगी दो दिन बाद थाने में दर्ज कराई गई थी। कुछ दिन पहले राधेश्याम की पत्नी सुनीता देवी ने अपने पौत्र को अपनी पत्नी से बात करते सुना तो उसे उक्त प्रकरण में पौत्र पर शक हुआ। अपनी शादीशुदा तीनों पुत्रियों से विचार-विमर्श के बाद सुनीता ने रविवार सुबह थाने पहुंचकर अपने पौत्र के खिलाफ तहरीर देकर हत्या की आंशका जताई। प्रभारी निरीक्षक जैदपुर संदीप राय ने बताया कि आरोपित सहदेव को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ किए जाने पर उसने हत्या करना स्वीकार कर लिया। इसके बाद उसकी निशानदेही पर पुलिस ने घर से करीब 50 मीटर की दूरी पर तालाब किनारे लगे पेड़ के नीचे से शव को बरामद कर लिया। आरोपित ने शव एक बक्से में रखकर छिपाया था जो कंकाल हो चुका था। पुलिस ने कंकाल को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है।
जमीन के लिए की हत्या
मृतक राधेश्याम के पास साढ़े तीन बीघा भूमि थी, जिसे वह बेचना चाहता था। बताया जाता है कि वह जमीन बेचकर पुत्रियों को भी रुपये देना चाहता था, जिसका सहदेव विरोध कर रहा था। छह जुलाई की रात सहदेव की गला दबाकर हत्या कर दी और शव को ठिकाने लगा दिया। हालांकि, बाद में उसने यह कृत्य अपनी पत्नी से साझा किया था।
तीन साल पूर्व आया था ददिहाल
आरोपित सहदेव जब मात्र सात दिन का था तभी उसके पिता महादेव की मौत हो गई थी। इसके बाद मां शर्मा देवी इसे लेकर मायके चली गई थी। करीब बीस साल बाद सहदेव अपने दादी-बाबा के पास आकर रहने लगा था। दो वर्ष पहले सहदेव का विवाह हुआ था।