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UP: ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों पर नकेल तो दूर जांच तक भूले अधिकारी

उत्‍तर प्रदेश में 515 और शहर में चल रहे तकरीबन 40 मोटर ट्रेनिंग स्कूलों पर नकेल कसने के लिए मानक तय किए गए थे। इन सभी ट्रेनिंग स्कूलों की जांच कर रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जानी थी लेकिन कार्यवाही तो दूर जांच तक पूरी नहीं हो सकी है।

By Rafiya NazEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 11:17 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 11:17 AM (IST)
UP:  ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों पर नकेल तो दूर जांच तक भूले अधिकारी
लखनऊ में मानकों के अनुरूप स्कूलों में प्रशिक्षण की सुविधा न होने पर निरस्त किया जाना था लाइसेंस।

लखनऊ [नीरज मिश्र]। प्रदेश में 515 और शहर में चल रहे तकरीबन 40 मोटर ट्रेनिंग स्कूलों पर नकेल कसने के लिए मानक तय किए गए थे। नवंबर माह तक इन सभी ट्रेनिंग स्कूलों की जांच कर रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जानी थी जिससे इन पर कार्यवाही की जा सके। लेकिन कार्यवाही तो दूर जांच तक पूरी नहीं हो सकी है।

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दरअसल मंशा थी कि इन सभी मोटर ट्रेनिंग स्कूलों की मैनुअल  व्यवस्था को खत्म कर इन्हें ऑनलाइन जोड़ा जाए जिससे स्कूलों पर महकमे की सीधी नजर हो।

ड्राइविंग का गुर सिखाने वाले इन स्कूलों में वाहन हैं या नहीं। गाड़ी चलाने का प्रशिक्षण देने वाले इंस्ट्रक्टर की उपलब्धता, स्कूलों का हाल समेत वे सभी जानकारियां एकत्र करना जो कुशल चालक बनने में बाधा उत्पन्न कर रहे हों। ऐसे स्कूलों का पूरा ब्यौरा तैयार कर मानकों पर खरा न उतरने वाले ट्रेनिंग सेंटरों का लाइसेंस निरस्त किया जाए। नवंबर माह की प्रथम पक्ष तक इस योजना को अमली जामा पहनाए जाने के दावे किए गए। इसके लिए सभी संभागीय परिवहन अधिकारियों एवं उप परिवहन आयुक्तों को स्कूलों की जांच कर रिपोर्ट मुख्यालय भेजने के निर्देश किए गए। लेकिन हाल यह है कि अधिकांश संभागों ने अब तकअपनी रिपोर्ट ही नहीं भेजी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि संसाधनविहीन 515 स्कूलों पर नकेल कैसे कसेगी?

कुशल चालक तैयार करने के लिए इन मानकों पर रखी जानी थी नजर

स्कूलों का हाल, तकनीकी मशीनें और ट्र्रेनिंग दिए जाने वाले वाहनों की फिटनेस।

इंस्ट्रक्टर तकनीकी दक्षता से युक्त हैं या नहीं।

एक कमरे से इंस्टीटयूट और खटारा वाहनों से प्रशिक्षण की औपचारिकता करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की तैयारी।

जुगाड़ की बल पर प्रमाणपत्र बनने पर लगनी थी रोक

  • ट्रेनिंग के घंटे और दिनवार ब्यौरा।
  • निजी वाहन चालकों को 21 दिन का प्रशिक्षण मिलता है या नहीं।
  • कामर्शियल गाड़ी चालकों ने 30 दिन ट्रेनिंग पाई या नहीं।
  • पैसा देकर जुगाड़ से बिना ट्रेनिंग कराए प्रमाण पत्र देने वाले स्कूलों पर सीधी निगाह रखना।
  • मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों को ऑनलाइन करते हुए सारथी पोर्टल से जोड़ा जाना।
  • सूचीबद्ध और पोर्टल से जुड़े होने से फर्जी स्कूलों पर नकेल कसने।
  • मैनुअल व्यवस्था पूरी तरह खत्म कर ऑनलाइन किया जाना और ट्रेनिंग के लिए वसूली जाने वाली फीस का निर्धारण किया जाना।

एआरटीओ कमल जोशी ने बताया कि दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इसी दिशा में मोटर ट्रेनिंग स्कूलों पर सीधा नियंत्रण रखने के लिए कदम उठाए जाने थे लेकिन अभी तक सभी संभागों की जांच रिपोर्ट नहीं आई है। उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।


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