गंगा तट पर लहराया संगीत का समंदर
लखनऊ। संगीत के रसिया बनारस में कल देर रात तक सुर लय ताल का अनूठा रंग छाया। जाह्नवी के तट पर सं
लखनऊ। संगीत के रसिया बनारस में कल देर रात तक सुर लय ताल का अनूठा रंग छाया। जाह्नवी के तट पर संगीत का समंदर सा लहराया। संत रविदास घाट की सीढि़यों पर डटे श्रोताओं ने इसकी लहरें दिलों में महसूसीं। थिरकन ने झंकृत मन से उठते हिलोरे का अहसास कराया। कुछ ऐसे हुआ गंगा महोत्सव का आगाज।
रामकृष्ण की लीला से सजी ओडिसी में शास्त्रीय रूप निखरा, लोकशास्त्र के साझा रसों में पगी साजों की जुगलबंदी ने झुमाया तो सूफियाना अंदाज हर एक को भाया।
सोनल ने भावों से कान्हा को सजाया
पद्मविभूषण सोनल मानसिंह ने ओडिसी के भावों से कान्हा का बालपन तो यशोदा का ममतामयी रूप सजाया। राग कलावती में सूरदास रचित पद 'मइया मोरी मैं नहीं माखन खायो ..' पर नृत्य से संत रविदास घाट पर गोकुल उतर आया। युवाओं को भी मात देती फुर्ती से पूरा घाट ही थिरक आया। रामचरित मानस के प्रसंग सीता स्वयंवर का द्वंद्व और हर्ष की फुहार तो फुलवारी में लजाई सिया का रूप दिखाया। मंगलाचरण, शिव-भवानी स्तुति भी प्रस्तुत की। बंकिम सेठी ने कंठ, अबरार हुसैन ने सरोद, विनय प्रसन्ना ने बांसुरी व प्रशांत मंगाराज ने पखावज पर संगत किया।
जावेद ने सूफियाना रंग जमाया
गजल गायक गुलाम अली के शिष्य पार्श्व गायक जावेद अली के गीतों पर युवा बावरे से झूमे। जावेद ने फिल्मी तराने फिजा में घोले तो सूफियाना गीतों से रंग जमाया। 'कहने को जश्न बहारा है..', 'तेरी आंखों में रहना है..', गीतों पर जादू बिखेरा।
लोक-शास्त्र में लिपटे राग रंग
देर रात शास्त्रीय और लोक के साजों की अनूठी जुगलबंदी स्वर ताल से पथरीले घाट तक झंकृत हो उठे। तौफीक कुरैशी ने जुंबा की थाप पर संगीत रसिकों के साथ ही रागों तक को निहाल किया। गाजी खान ने खड़ताल वादन कर राजस्थान की सैर कराया। पं. रोनू मजूमदार ने बांसुरी की तान छेड़ी और पं. रामकुमार ने तबले की थाप से विभोर कर दिया।
शहनाई की तान से मंगल बेला आई
गंगा महोत्सव का उद्घाटन करते हुए पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने राष्ट्रीय नदी को फूल व राख से हो रहे प्रदूषण से बचाने के लिए धर्माचार्यो को आगे आने का आह्वान किया। प्रस्तुतियों की शुरूआत उस्ताद अली अब्बास खान की शहनाई से हुई। उन्होंने राग मधुवंती में तान छेड़ी, रघुपति राघव राजाराम..भजन भी सुनाया।