दुधवा टाइगर रिजर्व में बढ़ गए 39 बाघ, जानिए किस डिवीजन में घूम रहे कितने बाघ
दक्षिण खीरी वन प्रभाग में दो साल पहले कराए गए कैमरा ट्रैपिंंग में एक भी बाघ नहीं मिला है। अधिकारियों का कहना है कि 25 ऐसे बाघ चिन्हित हुए हैं जो पार्क एरिया बफरजोन या किशनपुर सैंंचुरी के समीपवर्ती गन्ने के खेतों में जंगल से आ जा रहे हैं।
लखीमपुर, [श्वेतांक शंकर उपाध्याय]। जंगल से एक खुशखबरी है। लगातार संरक्षण व संवर्धन के कारण दुधवा टाइगर रिजर्व एरिया में बाघों की संख्या में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2018 में कैमरा ट्रैपिंंग की डेटा रिपोर्ट से पता चला है कि दुधवा एरिया में बाघों की संख्या 107 हो गई है। इससे पहले वर्ष 2014 की कैमरा ट्रैपिंंग में 68 बाघ मिले थे।
देहरादून के भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) ने देशभर के नेशनल पार्कों की रिपोर्ट जारी कर दी है। पार्क अधिकारियों को यह रिपोर्ट मिल भी गई है, जिसमें टाइगर रिजर्व के तीनों डिवीजनों दुधवा में 20, किशनपुर सैंचुरी में 33 और कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग (बहराइच) में 29 बाघ मिले हैं। दक्षिण खीरी वन प्रभाग में दो साल पहले कराए गए कैमरा ट्रैपिंंग में एक भी बाघ नहीं मिला है। अधिकारियों का कहना है कि 25 ऐसे बाघ चिन्हित हुए हैं, जो पार्क एरिया, बफरजोन या किशनपुर सैंंचुरी के समीपवर्ती गन्ने के खेतों में जंगल से आ जा रहे हैं। जंगल से बाहर रहने वाले बाघों में सबसे ज्यादा 12 बाघ महेशपुर, गोला के सिकंदरपुर, उत्तर निघासन के मझरा पूरब और किशनपुर इलाके में घूम रहे हैं। इन्हीं बाघों के कारण मानव- वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है।
पीलीभीत में दोगुनी हुई बाघों की संख्या
दुधवा पार्क की सीमाओं से सटे तराई के ही एक और जिले पीलीभीत में बाघों की संख्या दोगुनी हुई है। यहां वर्ष 2014 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व में कुल 25 बाघ मिले थे, लेकिन 2018 की कैमरा ट्रैपिंंग रिपोर्ट के हिसाब से यहां अब कुल 65 बाघ हो गए हैं। इस उपलब्धि पर यहां के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल को अवार्ड देकर सम्मानित भी किया गया है।
दुधवा पार्क के लिए यह बड़ी उपलब्धि
फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बाघों की संख्या में बढ़ोतरी को बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा, पार्क कर्मियों की मेहनत, तमाम संस्थाओं और वन्यप्रेमियों के सहयोग से हम बाघों का कुनबा बढ़ा पाने में सफल हुए हैं। यही निरंतरता बनी रहे, इसके लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।