UP में अब स्नातक स्तर पर भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित होगा सभी विषयों का पहला पाठ
उत्तर प्रदेश में स्नातक स्तर पर विद्यार्थियों को बताया जाएगा भारतीय शिक्षाविदों व वैज्ञानिकों का योगदान। गैर प्रायोगिक विषयों में भी जोड़ा जाएगा प्रैक्टिकल स्नातक से ही शोध को बढ़ावा देने की होगी व्यवस्था। भाषाओं के पाठ्यक्रम में अनुवाद रूपांतरण स्क्रिप्ट राइटिंग और लैंग्वेज लैब आदि को जोड़ा गया है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में स्नातक के सभी विषयों का पहला पाठ अब अनिवार्य रूप से ज्ञान परंपरा से संबंधित होगा। सभी राज्य विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेजों में विद्यार्थियों को संबंधित विषय में भारतीय शिक्षाविदों व वैज्ञानिकों का योगदान भी बताया जाएगा। वह इसके माध्यम से संबंधित विषय के इतिहास की जानकारी भी हासिल करेंगे। उच्च शिक्षण संस्थानों में 70 फीसद पाठ्यक्रम समान पढ़ाया जाएगा, जबकि 30 प्रतिशत सिलेबस विश्वविद्यालय स्तर पर तय होगा। इसे नए शैक्षिक सत्र वर्ष 2021-22 से लागू किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को पढ़ाई के बेहतर विकल्प देने पर जोर दिया जा रहा है। इसी के तहत अब शामिल हो रहे पहले पाठ को लेकर उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सभी विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों से सुझाव भी मांगे जा चुके हैं। बदलाव के तहत गैर प्रयोगिक विषयों में भी व्यवहारिक ज्ञान और प्रैक्टिकल जोड़ा गया है।
भाषाओं के पाठ्यक्रम में अनुवाद, रूपांतरण, स्क्रिप्ट राइटिंग और लैंग्वेज लैब आदि को जोड़ा गया है। वहीं स्नातक स्तर से ही शोध को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए हैं। स्नातक प्रथम वर्ष में सभी विषयों में रिसर्च ओरिएंटेशन और स्नातक तृतीय वर्ष में रिसर्च प्रोजेक्ट को जोड़ा गया है। भाषा से संबंधित शोध को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए बेहतर अवसर दिए जाएंगे।