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84 Kosi Parikrama Marg: अब राजमार्ग पर प्रशस्त-प्रवाहित होगी आस्था की धार, जानें कितने जिलों से होकर गुजरता है परिक्रमा मार्ग

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रामनगरी के जिस 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राजमार्ग के रूप में उच्चीकृत करने की अधिसूचना जारी की है उस मार्ग पर रामनगरी की आध्यात्मिकता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत प्रवाहमान है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 12:10 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 12:10 PM (IST)
84 Kosi Parikrama Marg: अब राजमार्ग पर प्रशस्त-प्रवाहित होगी आस्था की धार, जानें कितने जिलों से होकर गुजरता है परिक्रमा मार्ग
84 कोसी परिक्रमा की शुरुआत रामनगरी से 15 किलोमीटर दूर बस्ती जिला के मखौड़ा नामक स्थान से होती है।

अयोध्या, [रघुवरशरण]। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रामनगरी के जिस 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राजमार्ग के रूप में उच्चीकृत करने की अधिसूचना जारी की है, उस मार्ग पर रामनगरी की आध्यात्मिकता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत प्रवाहमान है। वर्ष की अलग-अलग तिथियों और पुण्य पर्वों पर रामनगरी की तीन परिक्रमा होती हैं। पंचकोसी और 14 कोसी परिक्रमा क्रमश: कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी एवं नवमी के दिन होती है, जबकि 84 कोसी परिक्रमा की शुरुआत चैत्र मास की पूर्णिमा से होती है। जहां अन्य परिक्रमा की शुरुआत रामनगरी से लगी परिधि में होती है, वहीं 84 कोसी परिक्रमा की शुरुआत रामनगरी से 15 किलोमीटर दूर बस्ती जिला के मखौड़ा नामक स्थान से होती है। 

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मान्यता है कि इसी स्थल पर युगों पूर्व राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति की कामना से यज्ञ किया था। यहां से आगे बढ़ती हुई 84 कोसी परिक्रमा पुण्यसलिला सरयू के किनारे पहुंचती है और सरयू को पार करती हुई बस्ती से अंबेडकरनगर जिले में दाखिल होती है। चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी यानी मां सीता की जयंती के बीच 24 दिन तक तक चलने वाली अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा में बस्ती और अंबेडकरनगर सहित अयोध्या, बाराबंकी एवं गोंडा जिले के कई स्थल शामिल हैैं। रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्रदास इस परिक्रमा मार्ग को राजमार्ग का दर्जा दिए जाने से अत्यंत उत्साहित नजर आते हैं और इसके लिए वे प्रधानमंत्री तथा सड़क परिवहन मंत्री सहित पूरी भाजपा सरकार के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हैं। उनका मानना है कि इस निर्णय से अयोध्या की आध्यात्मिकता नए सिरे से गौरवान्वित हुई है। 84 कोसी परिक्रमा की परिधि से लगे गोंडा जिला के ग्राम सिधौटी निवासी सेवानिवृत्त जिला होम्योपैथिक अधिकारी डा.चंद्रगोपाल पांडेय के अनुसार यह घोषणा अयोध्या के साथ उसकी वृहत्तर परिधि में शामिल बस्ती, अंबेडकरनगर, बाराबंकी एवं गोंडा जिला के स्थलों के लिए भी नई संभावनाओं जगाने वाली है और इससे रामनगरी की वृहत्तर परिधि में गौरवबोध का संचार हुआ है।

84 लाख योनियों से मिलती है मुक्तिः रामनगरी की 84 कोसी परिक्रमा की अवधारणा के पीछे दो तरह की मान्यता है। पहली यह कि श्री राम के समय उनके राज्य की राजधानी अयोध्या का विस्तार चौरासी कोस में था और दूसरी यह कि चौरासी कोस जीव की 84 लाख योनियों की परिचायक है और 84 कोस की परिक्रमा से जीव जन्म मृत्यु के झंझावात से मुक्त हो सदा-सर्वदा के लिए भगवान का धाम प्राप्त करता है।

सांसद ने जताया आभारः फैजाबाद के सांसद सांसद लल्लू ङ्क्षसह वर्ष 2015 से लगातार इसके लिए प्रयासरत थे। उनके संयोजन में दिल्ली में आयोजित अयोध्या पर्व का मुख्य विषय 84 कोसी परिक्रमा मार्ग व इसमें आने वाले 151 धार्मिक व पौराणिक तीर्थ स्थलों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना था। सांसद लल्लू ङ्क्षसह ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उप मुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य के प्रति आभार ज्ञापित किया है।

बनेंगे विश्राम स्थल, लगेंगे रामायणकालीन वृक्षः 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर 24 स्थानों पर विश्राम स्थल बनेगा। पूरे मार्ग पर रामायण कालीन वृक्ष लगाए जाएंगे।

राजमार्ग के साथ सरयू नदी पर दो पुल बनेंगेः राजमार्ग निर्माण के साथ 84 कोसी परिक्रमा की परिधि में शामिल बाराबंकी जिला स्थित सरयू के मूर्तिहनघाट एवं अयोध्या जिला के ही मया ब्लॉक के शेरवा घाट पर पुल का निर्माण भी होगा।


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