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अब तुलसी की खुशबू से महकेगा मंदिर, तेल निकालकर जलाया जाएगा दीया

शिरडी में चढ़ाई जाने वाली तुलसी से निकाला जाएगा तेल। बड़े पैमाने पर लगाए जाएंगे देशी गुलाब। सरोकार-जनसंख्या नियोजन

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 03:21 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 08:39 AM (IST)
अब तुलसी की खुशबू से महकेगा मंदिर, तेल निकालकर जलाया जाएगा दीया
अब तुलसी की खुशबू से महकेगा मंदिर, तेल निकालकर जलाया जाएगा दीया

लखनऊ, [रूमा सिन्हा]। मंदिरों में चढऩे वाले फूलों से अगरबत्ती बनाए जाने की शुरुआत के बाद अब भगवान को चढ़ाई जाने वाली तुलसी को भी सीमैप व्यर्थ नहीं जाने देगा। मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली तुलसी का तेल निकाल कर दीया जलाया जाएगा। इससे जहां तुलसी का प्रयोग किया जा सकेगा, वहीं उसकी महक मंदिरों को महकाएगी। 

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केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) शिरडी में बड़ा प्रयोग करने की तैयारी में है। मंदिर में चढऩे वाले गेंदे व अन्य फूलों से अगरबत्ती व कोन बनाए जाएंगे। वहीं गुलाब के फूलों से गुलाबजल निकाला जाएगा। यही नहीं, मंदिर में चढ़ाई जाने वाली सैकड़ों किलो तुलसी का तेल निकाल कर मंदिर में जलने वाले दीये में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे मंदिर प्रांगण तुलसी की पवित्र खुशबू से सुवासित रहेगा। एरोमा मिशन के तहत इस परियोजना को शिरडी के जन सेवा फाउंडेशन के सहयोग से संचालित किया जाएगा। सीमैप फाउंडेशन की 200 महिलाओं व स्थानीय किसानों के साथ इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मूर्त करेगा। 

सीमैप के डॉ.आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि शिरडी में हर रोज 600 किलो गेंदा व गुलाब और 800 किलो के करीब तुलसी चढ़ाई जाती है। इनसे वर्तमान में अगरबत्ती बनाई जाती है और तुलसी की कम्पोस्टिंग की जाती है। लेकिन तुलसी में तेल होने की वजह से उसका आसानी से विघटन नहीं हो पाता है। सीमैप अब चढ़ाई गई तुलसी से तेल का आसवन करेगा। एरोमा मिशन के तहत इसके लिए मंदिर में आसवन इकाई लगाई जाएगी।

डॉ. श्रीवास्तव बताते हैं कि हर रोज लगभग 500 किलो तुलसी चढ़ाई जाती है। गुरुवार को इसकी मात्रा बढ़कर एक हजार किलो तक हो जाती है जबकि शनिवार-रविवार को 1500 किलो तक तुलसी चढ़ाई जाती है। वैज्ञानिक आकलन के अनुसार 500 किलो से लगभग ढाई किलो तुलसी का तेल प्राप्त होगा। इस तेल का प्रयोग मंदिर में जलने वाले दियों में किया जाएगा। जिससे पूरा मंदिर प्रांगण तुलसी की महक से सुवासित रहेगा। वह कहते हैं कि तेल निकाले जाने के बाद इससे आसानी से खाद भी तैयार हो सकेगी। सीमैप खाद बनाने के लिए वर्मी कम्पोस्टिंग के साथ बायो एनाकुलेंट का भी प्रयोग करेगा। 

सिम सौम्या की पौध वितरित की जाएगी

डॉ.श्रीवास्तव बताते हैं कि अभी वहां तुलसी की सब्जा वैरायटी उपलब्ध है। सीमैप तुलसी की उन्नत वैरायटी सिम सौम्या की पौध किसानों को उपलब्ध कराएगा, जिससे अधिक तेल की प्राप्ति हो सके। 

बाबा को पहनाई जाए नूरजहां गुलाब की माला  

बाबा को फिलहाल गुलाब के कट फ्लॉवर ही नजर किए जाते हैं। सीमैप की कोशिश है कि शिरडी व आसपास के किसान देशी गुलाब की 'नूरजहां' वैरायटी की खेती करें। गुलाब की यह किस्म सुगंध के साथ-साथ गुलाब जल के लिए उपयुक्त है। ऐसे में मंदिर में चढ़ाए जाने वाले गुलाब से गुलाब जल बनाया जा सकेगा।         


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