ऑफलाइन हुआ स्टेशनरी बाजार अब रफ्तार पकड़ने की उम्मीद, कोरोना काल में 10 से 20 फीसद पर सिमटा काराेबार
लखनऊ में स्टेशनरी कारोबार पटरी पर लाने की जिद्दोजहद स्कूल खुलने की संभावनाओं पर कारोबार में सुधार आने के आसार।
By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 07:12 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 07:12 AM (IST)
लखनऊ [नीरज मिश्र]। जल्द ही स्कूल खुलने की संभावनाओं को देखते हुए ऑनलाइन पढ़ाई से ऑफलाइन हुए स्टेशनरी बाजार के पटरी पर लौटने के आसार हैं। स्टेशनरी और किताब-कॉपी की सर्वाधिक खपत वाले अप्रैल से सितंबर महीनों में ग्राहकों का टोटा रहा। तकरीबन 35 जिलों के रिटेल दुकानदारों को स्टेशनरी की थोक आपूर्ति करने वाले राजधानी के अमीनाबाद ग्वीन रोड स्टेशनरी बाजार में सन्नाटा रहा। स्टेशनरी के आइटम दुकानों में शोपीस बने रहे। कारोबारी कहते हैं कि सीजन में 500 करोड़ रुपये का कारोबार होता था जो सिमटकर महज दस से बीस फीसद पर जा टिका है।
कारोबार और बाजार
- 200 स्टेशनरी की थोक दुकानें
- 35 जिलों को यहां से होती है स्टेशनरी की आपूर्ति
- लखनऊ जिले में फुटकर करीब 2000 दुकानें
- सीजन में होता है 400 से 500 करोड़ रुपये का कारोबार
- इस बार महज दस से बीस फीसद के बीच
- कॉपी, पेंसिल, पेन समेत सभी स्टेशनरी आइटम दुकानों पर महज शोपीस के रूप में सजे रहे
इस बार दस से बीस फीसद पर सिमटा कारोबार
एक तो ऑनलाइन पढ़ाई और दूसरे सिंडिकेट बनाकर अभिभावकों को चपत लगा की जाने वाले कमाई ने कारोबार को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। सीजन में करीब चार से पांच सौ करोड़ रुपये का कारोबार आसानी से हाे जाता था। इस बार यह सिमटकर दस से बीस फीसद रह गया है। स्कूल खुलने की सूचना आने पर बाजार में रौनक लौटेगी। बाहरी दुकानदार बाजारों में फिर से दिखेगा।
जितेंद्र सिंह चाैहान, अध्यक्ष स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन
लॉकडाउन के बाद दुकानों का लॉक तो खुल गया लेकिन अभी तक कारोबार मंदा ही था। स्कूल खुलेंगे तो स्टेशनरी की डिमांड बढ़ेगी। ऐसा लग रहा है कि छह माह बाद बाजार का सन्नाटा टूटेगा। दरअसल जून तक का महीना स्टेशनरी कारोबार के लिए सबसे अहम माना जाता है। पूरे साल की कमाई और खर्च इन्हीं तीन महीनों में होती है।
गौरव महेश्वरी, कार्यवाहक अध्यक्ष स्टेशनरी एसाेसिएशन
ऑनलाइन पढ़ाई से कारोबार पूरी तरह से ऑनलाइन हो गया है। अब रास्ता निकल रहा है। स्कूल खुलने से स्टेशनरी बाजार में रौनक लौटेगी। यही नहीं निजी स्कूल संचालकों की मनमानी पर भी रोक लगनी जरूरी है जिससे अभिभावक स्टेशनरी, ड्रेस समेत सभी आइटम बाहर से सस्ते दाम पर खरीद सकें।
विशाल गौड़, स्टेशनरी व्यापारी
कारोबारियों की मांगें
- सिलेबस और कीमत तय करे सरकार
- प्रकाशक को छापने का अधिकार
- स्कूलों में नहीं पहले की तरह मुक्त बाजार से काॅपी-किताब और स्टेशनरी की बिक्री हो
- निजी स्कूलों की चिह्नित कर कार्रवाई की जाए जो सिंडिकेट बना लोगों को ठग रहे हैं।
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